बीकानेरः किसानों की परेशानियाँ कम हो उन्हें मदद मिले इसको लेकर सरकार योजनाएँ लाती हैं ताकि देश की अन्नदाता को होने वाली परेशानियों से निजात मिल सके. सरकार की मंशाओं के बावजूद निचले स्तर पर फैले करप्शन और कंपनियों की मनमानी के चलते किसानों को उनका हक़ मिल पाता जिसके वो हक़दार है . बीकानेर में प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना को लेकर भी हालात कुछ ऐसे ही है और बीमा कम्पनी यूनिवर्सल सॉम्पो पर घोटाले और फ़र्ज़ीवाड़े के आरोप लग रहे है इस मामले में हालाँकि मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद अब किसानों को उम्मीद जागी है बीकानेर से लक्ष्मण राघव की ख़ास रिपोर्ट
अन्नदाता हाड़ तोड़ मेहनत कर तेज गर्मी सर्दी के बीच अपनी फ़सल उपजाता है प्रकृति की मार के चलते उसकी पकी पकाई फ़सल चौपट हो जाती है सरकारें भी इस बात से इत्तेफ़ाक़ रखती है ऐसे में प्रधानमंत्री फ़सल बीमा जैसी योजनाएं लाई गई लेकिन इस योजना हो रहे फ़र्ज़ीवाड़े और घोटाले से बीकानेर के किसान परेशान है. बीकानेर में यूनिवर्सल सोम्पो नामक कंपनी पर किसानों के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर कर फ़र्ज़ी डॉक्यूमेंट तैयार करने के आरोप लगे है इतना ही नहीं एक दो मामले में तो किसानों ने एफ़आइआर तक दर्ज कराई है. दरअसल यूँ तो आम किसान की इस मसले पर सुनवाई नहीं हो रही थी लेकिन पिछले दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भारतीय किसान संघ ने इस आशय की शिकायत दर्ज कराई थी उस शिकायत को CM ने गंभीरता से लिया ।जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि किसानों की बीच भी पहुँची साथ साथ किसानों के साथ एक बैठक भी की. शिकायत के बाद भारतीय किसान संघ से जुड़े शम्भू सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री का तो आभार व्यक्त करते हैं लेकिन अभी भी किसानों को उनके मुआवज़े का इंतज़ार
भारतीय किसान संघ ने मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में ख़ासतौर पर नोखा, कोलायत और लूनकरणसर तहसील के गाँवों में बीमा कंपनी द्वारा किसानों को फ़सल बीमा कोई भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कंपनी द्वारा कृषि और राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर क्रॉप कटिंग के आंकड़ों में हेर फेर की गई है.
इतना ही नहीं इस 9 सूत्री शिकायत में कई तरह की फ़र्ज़ीवाड़े के आरोप लगे हैं. किसान संघ का कहना है कि वर्ष 218 में बैंकों ने पाँच करोड़ रुपये का प्रीमियम किसानों से काटा लेकिन पोर्टल पर अपलोड नहीं किया गया साथ ही साथ बाजरा मोठ जैसी फसलों का तो क्लेम दिया गया लेकिन महँगी और मुद्रा दायिनी फसलों पर हास्यास्पद तर्क देते हुए मुआवजा नहीं दिया कि ये फसले ख़राब ही नहीं हुई. ऐसे में किसानों में आक्रोश है.
किसानों के फ़र्ज़ी हस्ताक्षर तैयार कर डॉक्यूमेंटेशन करने के मामले में एफ़आइआर भी दर्ज कराई गई है जिला कलेक्टर ने DGRC की बैठक में किसान प्रतिनिधियों की बात को ध्यान से सुना भी है लेकिन सवाल यह है कि इस तरह की योजनाएं जो केंद्र सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं उन योजनाओं में भी इस तरह की घोटाले और फ़र्ज़ीवाड़े हो रहे हो तो आम किसान आख़िर किससे उम्मीद करें.