जयपुर: प्रदेश में गौवंश संवर्धन के नाम पर परियोजनाओं में लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि इनके परिणाम धरातल पर नगण्य हैं. ऐसा ही एक मामला गिर और थारपारकर नस्ल की गायों को बढ़ाने के मामले में किया गया है. यहां भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक से 150 उन्नत नस्ल की गायें पैदा करने के नाम पर करीब 29 लाख रुपए खर्च कर दिए गए. पूरे मामले में एक संस्था और गोपालन विभाग के अफसरों की मिलीभगत की आशंका है. वर्ष 2018 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने गौवंश संवर्धन के लिए एक नींव रखी थी. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत रफ्तार योजना में गौवंश संवर्धन के प्रयास शुरू किए गए. इसके तहत गिर और थारपारकर नस्ल की गायों के संवर्धन के लिए इन वीवो फर्टिलाइजेशन और भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक अपनाने का फैसला किया गया.
इसके लिए गोपालन विभाग ने 31 अगस्त 2018 को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड डेयरी सर्विसेज नई दिल्ली को कार्य आदेश जारी किया था. कार्य आदेश के अनुदार 2 वित्तीय वर्ष में कुल 150 गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण किया जाना था. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड डेयरी सर्विसेज द्वारा संचालित साबरमती आश्रम गौशाला गुजरात को यह कार्य सौंपा गया. संस्था ने 150 भ्रूण तैयार करने, उनके प्रत्यारोपण और भ्रूण को फ्रोजन रखने के एवज में गोपालन विभाग से 28 लाख 81 हजार रुपए का भुगतान प्राप्त किया है. इस पूरे मामले में रोचक बात यह है कि न तो प्रोजेक्ट के लिए वित्त विभाग से अनुमति ली गई और विभाग के निदेशक ने अपने अंतिम कार्य दिवस के दिन 13 लाख 69 हजार रुपए के भुगतान की नियम विपरीत स्वीकृति भी जारी कर दी.
ऐसे समझें गोपालन विभाग का यह घोटाला ?:
- 31 अगस्त 2018 को 150 भ्रूण प्रत्यारोपण के लिए कार्य आदेश जारी किया
- वर्ष 2018-19 में 50 भ्रूण और 2019-20 में 100 भ्रूण प्रत्यारोपण होने थे
- प्रति भ्रूण 17 हजार रुपए, प्रत्यारोपण के 1 हजार और फ्रोजन के 500 रुपए अतिरिक्त
- इस तरह जीएसटी के साथ प्रति भ्रूण करीब 19 हजार रुपए का भुगतान किया गया
- योजना में गौशाला ने 150 भ्रूण बनाने, 89 भ्रूण फ्रोजन करने और
- 150 भ्रूण प्रत्यारोपण करने के लिए 28 लाख 81 हजार रुपए भुगतान लिया
- संस्था को 6 जुलाई 2020 तक 3 किश्तों में 15.11 लाख रुपए भुगतान किया
- इसके बाद संस्था को 13 लाख 69 हजार भुगतान की प्रक्रिया शुरू की गई
- 29 जुलाई 2022 को गोपालन निदेशक लाल सिंह ने भुगतान की स्वीकृति दी
- रोचक यह कि 29 जुलाई 2022 को ही सेवानिवृत्त हुए गोपालन निदेशक लाल सिंह
राज्य सरकार के नियमों में अंतिम कार्य दिवस के दिन अफसर या कर्मचारी वित्तीय भुगतान जैसे निर्णय नहीं ले सकते हैं. इसके बावजूद गोपालन निदेशक लाल सिंह ने 29 जुलाई 2022 को साबरमती आश्रम गौशाला को 13 लाख 69 हजार रुपए भुगतान करने की स्वीकृति दे दी. मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि परियोजना के लिए गोपालन विभाग ने वित्त विभाग से स्वीकृति भी नहीं ली थी. स्वीकृति नहीं लेने को लेकर विभाग के मुख्य लेखाधिकारी धन सिंह मीणा ने आपत्ति जताई थी. इसके बावजूद गोपालन निदेशक ने आपत्तियों को दरकिनार कर रिटायरमेंट के दिन भुगतान करने के आदेश कर दिए.
अकाउंट्स ने कहा, ये नियम विपरीत, फिर भी किया भुगतान:
- 25 अगस्त 2021 को साबरमती गौशाला को 13.69 लाख के भुगतान की फाइल चली
- 29 सितंबर 2021 को CAO मीणा ने लिखा, संस्था का चयन सक्षम स्तर से नहीं हुआ
- RTPP नियम 2013 के नियम 32 के 4 सितंबर 2013 के आदेश का उल्लंघन हुआ
- नियमानुसार संस्था से एमओयू के लिए वित्त विभाग से अनुमति लेनी चाहिए थी
- इसलिए पत्रावली पर प्रस्तुत बिल भुगतान योग्य नहीं
- इस कार्य के एवज में पूर्व में किए 15.11 लाख के भुगतान भी बताए गलत
- 11 नवंबर 2021 को वित्त शाखा ने प्रकरण प्रशासनिक विभाग को भेजने को लिखा
- 22 मार्च 2022 को गोपालन निदेशक लाल सिंह ने लिखा, योजना का कार्य पूरा हुआ
- राशि बकाया है, बाद में लैप्स हो जाएगी, इसलिए भुगतान कर दिया जाए
- 24 मार्च को वित्त शाखा ने फाइल शासन को भेजने की बात कही
- लेकिन निदेशक ने फिर से लिखा, भुगतान करने की कार्यवाही करें
इस तरह मुख्य लेखाधिकारी की लगातार आपत्तियों के बावजूद भी गोपालन निदेशक लाल सिंह ने 29 जुलाई 2022 को अपने अंतिम कार्य दिवस पर संस्था को 13 लाख 69 हजार रुपए का भुगतान करने की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी. इसके बाद संस्था को राशि का भुगतान कर दिया गया.
जानिए, इस योजना के परिणाम क्या निकले:
150 गायों में प्रत्यारोपण, गर्भधारण 31 में !
- फेल साबित हुई गोपालन विभाग की यह योजना
- 150 गायों में किया गया था भ्रूण प्रत्यारोपण
- लेकिन इनमें से मात्र 31 गायें ही गर्भवती हुई
- यानी मात्र 20 फीसदी गायों में ही गर्भधारण हुआ