जयपुर: राजधानी सहित प्रदेश भर के शहरों में बिजली की हाईटेंशन लाइनों के नजदीक बसे लोगों को उम्मीद की किरण नजर आने लगी है. जयपुर विकास प्राधिकरण ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव को प्रभावित लोगों के मुताबिक हरी झंडी मिलती है तो लाखों पट्टे जारी होने की राह आसान हो जाएगी.
जानिए, क्या है पूरा मामला:
बिजली की हाईटेंशन लाइनों के नजदीक प्रदेश के कई शहरों में लाखों लोग बसे हुए हैं. ये लोग गृह निर्माण सहकारी समितियों की ओर से काटी गई कॉलोनियों में रह रहे हैं. राजधानी में भी पृथ्वीराज नगर योजना क्षेत्र में करीब बीस हजार परिवार इससे प्रभावित है. अपनी बात सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिए पृथ्वीराज नगर जन विकास समिति का गठन किया है. इस समिति ने क्षेत्र के विधायक से लेकर सभी प्रमुख मंत्री, नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन दिए हैं. कई बार धरना प्रदर्शन भी समिति की ओर से आयोजित किए गए हैं. आपको सबसे पहले बताते हैं हाईटेंशन लाइन के आस-पास के भूखंडों को पट्टे देने के आखिर क्या नियम प्रदेश में लागू हैं.
आखिर क्या नियम प्रदेश में लागू:
-नगरीय विकास विभाग की ओर से 3 फरवरी 2015 को अधिसूचना जारी की गई थी
-इस अधिसूचना के मुताबिक 132 केवी की हाईटेंशन लाइन के नीचे 105 फीट का राइट ऑफ वे छोड़ना जरूरी है
-इसी तरह 220 केवी की हाईटेंशन लाइन के नीचे 120 फीट चौड़ा राइट ऑफ वे छोड़ना जरूरी है
-अधिसूचना के मुताबिक निर्धारित राइट ऑफ वे छोड़कर ही भूखंडों का नियमन किया जा रहा है
राजधानी के पृथ्वीराज नगर क्षेत्र में 14 हाईटेंशन लाइनें गुजर रही हैं. ऐसा ही हाल प्रदेश के दूसरे शहरों का है. केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की ओर से 16 जुलाई 2020 को सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किए गए है. इनमें हाईटेंशन लाइनों के नीचे राइट ऑफ वे की चौड़ाई निर्धारित की गई है. पृथ्वीराज नगर जन विकास समिति का तर्क है कि केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देश को प्रदेश में लागू किया जाना चाहिए. आपको बताते हैं कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से 16 जुलाई 2020 के आदेश में राइट ऑफ वे की चौड़ाई बताई गई है
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय के आदेश:
- ऊर्जा मंत्रालय के आदेश के मुताबिक 132 केवी की हाईटेंशन लाइन के नीचे 19 मीटर चौड़ा राइट ऑफ वे बताया गया है
-220 केवी की हाईटेंशन लाइन के नीचे 25 मीटर चौड़ा राइट ऑफ वे बताया गया है
-ऊर्जा मंत्रालय के इस आदेश में दर्शाया राइट ऑफ वे प्रदेश में लागू राइट ऑफ वे से कम है
-जेडीए ने इस आदेश की प्रति संलग्न करते हुए मामले में मार्गदर्शन देने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है
-प्रस्ताव में कहा गया है कि केन्द्रीय मंत्रालय के इस आदेश के मुताबिक संशोधित आदेश या मार्गदर्शन जारी किया जाए
-पृथ्वीराज नगर विकास समिति की मांग है कि ऊर्जा मंत्रालय का यही आदेश प्रदेश में लागू किया जाना चाहिए
-समिति के अनुसार ऐसा किया जाता है तो बड़ी संख्या में राजधानी ही नहीं बल्कि दूसरे शहरों में पट्टे जारी किए जा सकेंगे
ऊर्जा मंत्रालय के दिशा-निर्देश को लागू करने की मांग कर रही पृथ्वीराज नगर जन विकास समिति का कहना है कि राजधानी में अजमेर रोड स्थित विद्युत नगर में साठ फीट और चित्रकूट में अस्सी फीट चौड़ा सेफ्टी कोरिडोर मानते हुए जेडीए ने पट्टे जारी किए हैं. ऐसे में उनकी मांग पर सहानुभूति पूर्वक सरकार को विचार करना चाहिए. बहरहाल इस मामले में जेडीए की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर राज्य सरकार स्तर पर गंभीर मंथन किया जा रहा है. पट्टे से वंचित लोगों की आस है कि सरकार मामले में कोई सकारात्मक कदम उठाएगी.