VIDEO: घरों से निकलने वाले स्लज का होगा वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण, प्रदेश के 97 से अधिक शहरों के लिए योजना होगी लागू

जयपुर: प्रदेश के 97 से अधिक शहरों में शौचालयों से निकले फीकल स्लज के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं हैं. फीकल स्लज खुले में फेंकने से पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है साथ भूजल और मिट्टी में भी संक्रमण बढ़ रहा है. इसे रोकने के लिए प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने 793 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है, जिस पर जल्द काम शुरू किया जाएगा. 

स्वायत्त शासन विभाग ने चार साल पहले नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर अर्बन अफेयर्स और सीडीडी सोसायटी की ओर से एक रिपोर्ट तैयार कराई थी. ताकि इन शहरों की मौके की वास्तविक स्थिति पता करने के साथ ही समस्या का भी समाधान निकाला जा सके. 'रेपिड असेसमेंट ऑफ दी फीकल स्लज एण्ड सेप्टेज सिचुएशन इन टाउन्स ऑफ राजस्थान' नाम की इस रिपोर्ट में बताया गया था कि इन 100 से अधिक शहरों में फीकल स्लज के निर्धारित स्थान पर निस्तारण की व्यवस्था नहीं होने के कारण इसे खाली भूमि और नदी,तालाब नालों में फेंका जा रहा है. इस कारण भूजल और मिट्टी जहरीली बनती जा रही है. इसके लिए जरूरी है कि फीकल सेप्टेज मैनेजमेंट को निर्धारित मापदण्डों के अनुसार लागू किया जाए. इन 100 में से तीन प्लांट्स लालसोठ, सांभर फुलेरा, खंडेला सीकर में आरयूआईडीपी की तरफ से पहले ही लगाए जा चुके हैं. शेष 97 प्लांट्स लगाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में घोषणा की थी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले वित्तीय वर्ष के बजट में 49 प्लांट्स और इस वित्तीय वर्ष में 48 फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री की घोषणा को अमलीजामा पहनाने के लिए स्वायत्त शासन विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि किन शहरों में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट सिस्टम विकसित किया जाएगा.

-सादड़ी,रानी,शिवगंज,भीनमाल,सांचौर,पीपाड़ सिटी,बिलारा,सोजत, मेड़ता सिटी,

-डेगाना,परबतसर,सागवाड़ा,सलूंबर,नोहर,संगरिया,रावतसर,अनूपगढ़,केसरीसिंहपुर,

-श्रीडूंगरपुर,राजगढ़,राजलदेसर,तारानगर,बिदासर,छबड़ा,अंता,रामगंजमंडी,

-लाखेरी,इटावा,सुल्तानपुर,केकड़ी,विजयनगर,निवाई,गुलाबपुरा,मांडलगढ़,आसींद,

-बयाना,रूपवास,राजाखेड़ा,कोटपूतली,चाकसू,किशनगढ़ रेनवाल, खैरथल, थानागाजी,

-बहरोड़,उदयपुरवाटी,पिलानी-विद्याविहार,बग्गड़,श्रीमाधोपुरऔरलोसल सरवाड़,खेरली,राजगढ़,किशनगढ़बास, मंगरोल, देशनोक, भुसावर, कुम्हेर, श्रीविजयनगर,

-विराटनगर,फलौदी,मुकुंदगढ़,सूरजगढ़,इटावा,सांगाेद,कुचरेा,मुण्डवा,नांवा,बाली,

-फालना,तख्तगढ़,पिंडवाड़ा,रींगस,खाटूश्यामजी,देवली,मालपुरा,टोडारायसिंह,परतापुरगढ़ी,

-महुवा,पोकरण,अकलेरा,टोडाभीम,छोटी सादड़ी,आमेट और देवगढ़

नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में हाल ही स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई थी. बैठक में फैसला किया गया कि इन सभी शहरों में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए स्थानीय निकाय निदेशालय नोडल एजेंसी होगा. मुख्यमंत्री की वर्ष 2022-23 की बजट घोषणा वाले शहरों में इस एजेंसी की ओर से वर्क ऑर्डर जारी भी कर दिए गए हैं. यह काम जून 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है. जबकि वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा वाले शहरों में जल्द ही वर्क ऑर्डर जारी किए जाएंगे. इन शहरों में अगस्त 2023 तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस पूरी योजना की लागत करीब 793 करोड़ रुपए है। आपको बताते हैं कि यह फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का सिस्टम आखिर है

क्या और इसे लागू करना क्यों है जरूरी-

-आमतौर पर घरों से निकलने वाले स्लज को ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने के लिए सीवर लाइन डाली जाती है

-लेकिन निर्धारित मानकों के अनुसार यह सिस्टम उन्हीं शहरों में लागू किया जा सकता है 

-जहां पेयजल की आपूर्ति 135 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति से अधिक हो

-सीवर लाइन में स्लज के ट्रीटमेंट प्लांट तक जाने के लिए इतने पानी की जरूरत है

-ऐसे शहर जिनमें इस मानक से कम पानी की आपूर्ति होती है, वहां सीवर लाइन सिस्टम संभव नहीं हैं

-इसी कारण ऐसे शहरों के लिए फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का सिस्टम विकसित किया जाता है

-इस सिस्टम की लागत सीवरेज सिस्टम से करीब दस गुना कम होती है

-इस सिस्टम के तहत घरों के बाहर बनी कुईयों में घर का स्लज एकत्र होता है

-हर घर के बाहर बनी कुई को तीन से पांच साल में खाली किया जाएगा

-एकत्र स्लज वाहनों के माध्यम से ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाएगा

-प्लांट से परिशोधित पानी पार्कों की सिंचाई के लिए काम आ सकेगा और सोलिड मैटेरियल बतौर खाद प्रयोग में लाया सकेगा

-इन शहरों में आगामी तीस वर्ष की जरूरत के अनुसार प्लांट लगाए जाएंगे

-इसके बाद इन प्लांट्स को भविष्य में अपग्रेड किया जा सकेगा

-इस योजना के तहत प्लांट लगाने वाली आगामी पांच साल उसका संचालन व रखरखाव भी करेगी

-प्लांट चलाने के लिए ऊर्जा बचत के लिहाज से सौर ऊर्जा संयत्र लगाए जाएंगे