जयपुर: राजस्थान की धरती पर भी जल्द ही चीते कुलांचे भरते नजर आएंगे. आज रणथंभौर में मध्य प्रदेश और राजस्थान के वन अधिकारियों के बीच बैठक में यह निर्णय लिया गया. अब वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के माध्यम से विजिबिलिटी स्टडी कराई जाएगी. धौलपुर से सीता माता अभ्यारण्य तक वृहद चीता लैंडस्केप तैयार किया जाएगा. मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच नई वाइल्डलाइफ सफारी और पर्यटन रूट विकसित किए जाने पर सहमति हुई. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा द्वारा चीता लैण्डस्केप के संबध में की गई बजट घोषणा के क्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री प्रतिपालक पवन उपाध्याय एवं मध्यप्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक शुभ रंजन सेन की संयुक्त अध्यक्षता में गठित अन्तराज्यीय कमेटी की प्रथम बैठक आयोजित की गई.
चीता के लैण्डस्केप एवं प्रबंधन पर चर्चा:
इस बैठक में चीता के लैण्डस्केप एवं प्रबंधन पर चर्चा की गई, जिसमें मध्यप्रदेश के अधिकारियों में शुभरंजन सैन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक मध्यप्रदेश, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) कृष्णामूर्ति, कुनो नेशनल पार्क के क्षेत्र निदेशक उत्तम कुमार शर्मा एवं राजस्थान राज्य के प्रधान मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पवन कुमार उपाध्याय, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) राजेश कुमार गुप्ता, रणथम्भौर टाईगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक अनूप के. आर. मुख्य वन संरक्षक भरतपुर, पी. काथिरवेल, मुकन्दरा हिल्स टाईगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक रामकरण खैरवा एवं चीता लैण्डस्केप में आ रहे राजस्थान के 12 उप वन संरक्षको द्वारा भाग लिया गया. बैठक में नेशनल टाईगर कन्जरवेशन प्राधिकरण के अभिषेक कुमार एवं भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के डॉ बिलाल हबीब एवं डॉ विपिन सिंह द्वारा भी भाग लिया गया.
दोनों राज्यों के मध्य MOU पर भी चर्चा:
बैठक में चीतों को wild में छोडने के लिए Area of conflict, Area of concern दोनो राज्यों के मध्य चीता प्रबन्धन के लिए Area of cooperation के विस्तृत रोड मैप पर चर्चा की गई. एवं चीता प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने पर दोनो राज्यों के मध्य MOU पर भी चर्चा की गई. बैठक में निर्णय लिया गया कि चीता परियोजना की Feasibility Study WII के द्वारा यथाशीघ्र की जावेगी एवं दोनों राज्यों के मध्य MOU करने पर सहमति व्यक्त की गई. चीत्ता प्रोजेक्ट के प्रबन्ध के लिए दोनो राज्यों के मध्य चीताओं के Free range movement के लिए SOP बनाने पर चर्चा की गई और इसके विस्तृत रोड मैप हेतु एक्शन प्लान तैयार करने का निर्णय लिया गया. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कुनो नेशनल पार्क से चीता को wild में छोडने से पूर्व राजस्थान में चीता लैण्डस्केप में आ रहे राजस्थान के संबधित उप वन संरक्षको द्वारा अपने वनमण्डल स्तर पर लोगों को चीते के व्यवहार हेतु जागरूकता उत्पन्द करने एवं प्रचार-प्रसार करने हेतु टीम बनाई जाकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान को पालना रिपोर्ट प्रस्तुत की जावेगी. चीतों के व्यवहार का व्यापक प्रचार प्रसार हेतु जिला प्रशासन एवं संबधित हित धारक विभागों के साथ जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में यथाशीघ्र बैठक आयोजित कर आमजन में जागरूकता उत्पन्न की जायेगी.
कूनो नेशनल पार्क में दिया जाएगा प्रशिक्षण:
राजस्थान के प्रशनगत जिलों के वेटेरनरी चिकित्सक एवं वन मण्डलों के स्टाफ को चीता के व्यवहार एवं प्रबंधन के लिए कुनो नेशनल पार्क में प्रशिक्षण दिया जावेगा. इस प्रकार दोनों राज्यों की संयुक्त कमेटी द्वारा चीता को वाईल्ड में रिलीज करने के लिए विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई. इस प्रकार दोनो राज्यों के अधिकारियों की संयुक्त बैठक से चीताओ को वाईल्ड में छोडने की चीता परियोजना को गति मिलेगी. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रयासों से अब जल्द ही मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच अन्तर्राज्यीय चीता कॉरिडोर मूर्त रूप ले सकेगा. करीब 8 दशक बाद प्रदेश में चीतों की वापसी होगी इससे न केवल प्रदेश का इकोसिस्टम और मजबूत होगा वरन वाइल्डलाइफ टूरिज्म के भी नए द्वार खुलेंगे.