Sawai Mansingh Stadium: खेल परिषद की पोल खुली, सवाई मानसिंह स्टेडियम की स्थिति खस्ताहाल

जयपुरः राजस्थान खेल परिषद के एक अधिकारी ने ही अपनी रिपोर्ट में खेल परिषद की कलई खोलकर रख दी. जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम के खराब हालात पर मैनेजर की यह रिपोर्ट आंख खोलने वाली है. रिपोर्ट में साफ लिखा है कि न खेल मैदानों की स्थिति ठीक है और न ही खेल छात्रावासों की. शराब की बोतले मिलना तो शायद आम बात है. मैदान की तो क्या ही बात करे, खुद खेल परिषद के कार्यालय की बिल्डिंग जर्जर होती जा रही है. 

खेल परिषद ने सवाई मानसिंह स्टेडियम की स्थिति सुधारने के लिए सात अधिकारियों को जिम्मेदारी दी थी. इनमें से एक अधिकारी शमीम खान जो खेल प्रबंधक के पद पर कार्यरत है, ने अपनी पहली रिपोर्ट पेश कर दी है. इस रिपोर्ट ने खुद खेल परिषद की ही पोल खोलकर रख दी है. खेल परिषद के बड़े अधिकारी जिस एसएमएस स्टेडियम में बैठकर प्रदेश की खेल गतिविधियों व मैदानों का संचालन करते है उसी स्टेडियम के हालात खराब है. खेल प्रबंधक ने पांच बिंदुओं की अपनी रिपोर्ट में सच सामने ला दिया है.

साफ-सफाई नहींः
बिंदु नंबर एक के अनुसार  सवाई मानसिंह स्टेडियम परिसर में परिषद मुख्यालय में कार्यालय के कमरों में उपयुक्त साफ-सफाई नहीं पाई गयी. पंखों की सफाई नहीं है, मकड़ियों के जाले लगे हुये है. डस्टबिन साफ नहीं है. मुख्य कार्यालय की बालकोनी से पानी निकासी के पाईप संभवतः अवरोध होने के कारण बालकोनी से जर्जर होने के कगार पर है.

कचरे से अव्यवस्थितः
बिंदु नंबर दो के अनुसार स्टेडियम परिसर में यत्र-तत्र विभिन्न प्रकार का कूड़ा-करकट यथा कागज, प्लास्टिक, कपड़ा, लोह-लक्कड़, पत्थर आदि बिखरे पड़े है. वालीबॉल मैदान की दर्शक दीर्घा के पीछे, स्क्वेश एकेडमी के दोनो ओर एथलेटिक्स खेल मैदान के चारों ओर, अकादमी के चारों ओर, फुटबॉल खेल मैदान के चारों ओर, क्रिकेट एकेडमी के चारों ओर, साईक्लिंग वेलोड्रम के चारों ओर, इण्डोर हॉल के पीछे, हॉकी मैदान व स्विमिंग पुल के बीच के क्षेत्रों में जमीन उबड-खाबड, झाड़-जंखाड़ पत्थरों व कचरे से अव्यवस्थित है. रात्रि में प्रवेश करने वाले आगंतुकों पर कोई रोक-टोक / व्यवस्था तथा केन्द्रीकृत व्यवस्था नहीं पाई गयी. सम्पूर्ण परिसर में कई स्थानों पर भवन निर्माण सामग्री तथा यंत्र, जरिया असबाब-ए-गुनाह के स्थान मौजुद पाये गये. टेनिस कोर्ट के पास तथा खेल भवन आदि कई स्थान, जोकि अर्द्धनिर्मित भवन, खुले पड़े भी प्रकार की दुर्घटना की संभावनायें है. कई स्थानों पर मादक द्रव्य से जुड़े अवशेष पड़े थे.

रोशनी की व्यवस्था नहींः
बिंदु नंबर तीन में लिखा है कि  परिसर में कई स्थानों पर सी. सी. टी. वी. लगाये जाने की अत्यंत आवश्यकता है. साईक्लिंग वेलॉड्रम के पीछे कबड्डी खेल मैदान के आस-पास, तीरंदाजी खेल मैदान के पीछे, बैडमिंटन इण्डोर व हैण्डबॉल खेल मैदान के पीछे, स्विमिंग पूल व हॉकी मैदान के बीच में स्थित परिसरों में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था, साफ-सफाई व सी. सी. टी. वी. सर्विलान्स नहीं पाया गया.

ड्रेस कोड बनी समस्याः
बिंदु नंबर चार में बताया गया है कि खेल मैदानों पर प्रथम दृष्टि में ड्रेस कोड न होने के कारण प्रशिक्षकों को पहचानना कठिन हो रहा था. खेल मैदानों पर साफ-सफाई व ग्राउण्ड मेन्स नहीं थे. खेल मैदानों पर प्राथमिक चिकित्सा, ब्लेक / व्हाईट बोर्ड तथा स्वस्थ जल की सुविधा नहीं पाई गयी. खिलाडियों के अभिभावकों के बैठने हेतु कोई सुविधा नहीं पाई गयी. अनुबंध के आधार पर नियुक्त प्रशिक्षकों ने अवगत कराया है कि उन्हे वेतन प्राप्त नहीं हो रहा है.

बिंदु नंबर पांच छात्रावासों के बारे में. लिखा है कि छात्रावास में खिलाड़ियों के बैड आपस में सटे हुये लगे थे. तकिये के कवर नहीं थे. छज्जों पर कपड़े व छत पर गंदगी थी. प्रसाधन साफ नहीं थे. प्रसाधन में वाशिंग मशीन रखी थी. भोजन कक्ष हेतु अलग से वॉश बेसिन उपलब्ध नहीं है. छात्रावास में एक से अधिक द्वार खुले थे. भोजन का स्तर ब्रह्मकुमारी संस्थानों के समान था. भोजन कक्ष में पेयजल व्यवस्था नहीं थी. आस-पास के क्षेत्र में साफ-सफाई नहीं थी. सीढ़ीयों के पास टॉयलेट क्लीनर बंद बोतल में पड़ा था. 

खेल परिषद के सचिव राजेंद्र सिंह ने तीन दिन पहले खुद स्टेडियम का जायजा लिया था और दावा किया था कि साफ-सफाई कर दी जाएगी, लेकिन मैनेजर की रिपोर्ट ने सचिव के दावों की धज्जियां उड़ा दी है. दरअसल खेल परिषद अकसर मीडिया में मामला सामने आने पर कुछ दिन तक तो स्टेडियम का ख्याल रखता है, लेकिन फिर स्थिति वहीं ढाक के तीन पात हो जाती है.