श्रीनगर का बादाम वारी उद्यान पर्यटकों और बाहरी पर्यटकों से गुलजार

श्रीनगर: श्रीनगर का ‘बादाम वारी’ उद्यान स्थानीय और बाहरी पर्यटकों से गुलजार हो गया है. उद्यान में बादाम के पेड़ों पर लगे हल्के गुलाबी रंग के फूल पूरी तरह से खिल गए हैं, जो कश्मीर में सर्दियों की समाप्ति का संकेत देते हैं.

बादाम वारी में बादाम के पेड़ों पर फूल सबसे पहले आते हैं. इसे भीषण सर्दी के तीन महीनों के बाद किसानों को नए कृषि सत्र के लिए तैयार होने के संदेश के तौर पर देखा जाता है. श्रीनगर के रैनावाड़ी क्षेत्र के ‘कलाई अंदर’ में स्थित बादाम वारी की मन मोह लेने वाली सुंदरता आगंतुकों के मन-मस्तिष्क पर एक अलग प्रभाव डालती है. तजमुल इस्लाम नाम के एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि कश्मीर में चार अलग-अलग मौसम होते हैं और सर्दियों में भीषण ठंड एवं बर्फबारी के कारण सब कुछ ठप पड़ जाता है. बादाम के पेड़ों पर फूल खिलना बसंत के आगमन का संकेत देता है.

कई बार बादाम वारी की यात्रा कर चुका हूं:
एक अन्य स्थानीय व्यक्ति अकीब अहमद बादाम के फूलों की सुंदरता से इस कदर प्रभावित हैं कि उन्हें लगता है कि बादाम वारी की उनकी हर यात्रा उद्यान की उनकी पहली यात्रा है. अहमद कहते हैं, “हम हर साल इस सुंदरता का अनुभव करते हैं. मैं कई बार बादाम वारी की यात्रा कर चुका हूं, लेकिन हर बार मुझे लगता है कि यह इस उद्यान की मेरी पहली यात्रा है. वह कहते हैं कि कश्मीरी में एक कहावत है, ‘शीन गलेह, वंदे झलेह बये ये सु बहार’ यानी ‘बर्फ पिघलेगी, सर्दी वापस जाएगी और बसंद ऋतु जल्द दस्तक देगी.’ इसलिए, यह संकेत है कि वसंत की दस्तक हो चुकी है.

सोशल मीडिया के जरिये इस उद्यान के बारे में पता चला:
बाहरी राज्यों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक बादाम वारी की खूबसूरती का दीदार करने आते हैं. चंडीगढ़ से आए पर्यटक तेजिंदर सिंह कहते हैं कि यह कश्मीर की मेरी पहली यात्रा है और मैं यहां बादाम वारी में आया हूं. मुझे यह वाकई बहुत अच्छा लग रहा है. यह वास्तव में बहुत खूबसूरत और आंखों को सुकून देने वाला है. पंजाब के दंपति अंकित और शुभांगी बताते हैं कि उन्हें सोशल मीडिया के जरिये इस उद्यान के बारे में पता चला.

इन्हीं फूलों के कारण इसे ‘जन्नत’ कहते हैं:
वे कहते हैं कि हमें सोशल मीडिया के जरिये इस उद्यान की जानकारी मिली. यहां आने के बाद हमारा अनुभव काफी अच्छा रहा है. हमने यहां बहुत सारी तस्वीरें लीं, इन फूलों के पीछे पहाड़, हरा-भरा बगीचा, सब बहुत अच्छा लग रहा है. दंपति को लगता है कि कश्मीर घाटी के फूल देश के मैदानी इलाकों में खिलने वाले फूलों से अलग दिखते हैं. शुभांगी कहती हैं कि यह पूरी तरह से एक अलग अनुभव है, मनोरम. मुझे लगता है कि इन्हीं फूलों के कारण इसे ‘जन्नत’ कहते हैं. सोर्स-भाषा