जयपुर: प्रदेश के एक विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पदों पर हो रही भर्ती बेरोजगार युवाओं के साथ मजाक बनकर रह गई है. गड़बड़ी के आरोप विश्वविद्यालय प्रशासन पर हैं, लेकिन भुगतना बेरोजगार युवाओं को पड़ रहा है. हम बात कर रहे हैं बीकानेर की राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर भर्ती की. भर्ती को राज्य सरकार ने गड़बड़ियों की शिकायत के चलते पहले एक बार रोका, लेकिन फिर अनुमति दे दी. लेकिन अब तीसरी बार फिर से इस पर रोक लगा दी गई है.
जानिए क्या है पूरा गड़बड़झाला:
एक तरफ जब राजुवास यूनिवर्सिटी बीकानेर के कुलपति डॉ. सतीश कुमार गर्ग खुद आपराधिक पृष्ठभूमि के आरोपों के बीच कुलपति बनने को लेकर सवालों के घेरे में हैं, अब उनके द्वारा विश्वविद्यालय में की जा रही भर्ती भी विवादों में आ गई है. विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पदों पर की जा रही भर्ती को राज्य सरकार ने रोक दिया है. दरअसल विश्वविद्यालय प्रशासन ने 23 जून 2022 को सहायक प्रोफेसर के 72 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी. इसके लिए 23 जून से लेकर 18 जुलाई तक योग्य अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे गए थे.
भर्ती में एक तरफ सहायक प्रोफेसर के 176 स्वीकृत पदों में से चुनिंदा 72 नियमित पद रखे गए. जबकि उसी दिन 156 कॉन्ट्रैक्चुअल पदों पर भर्ती निकाली गई. आरोप है कि विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसरों के पदों की इस भर्ती में गड़बड़ियां की गई. भर्ती के दौरान नियम विपरीत कार्य किए जाने से कई अभ्यर्थियों ने गड़बड़ियों को लेकर विश्वविद्यालय के नोडल सरकारी विभाग यानी पशुपालन विभाग को शिकायत की. पशुपालन विभाग ने भर्ती को लेकर जांच कराई तो इसमें गड़बड़ियां पाई गई. लिहाजा अब इसमें अंतर विभागीय कमेटी गठित कर जांच करने के आदेश दिए गए हैं.
भर्ती में कैसी-कैसी गड़बड़ी ?:
- 18 जुलाई 2022 तक जब आवेदन लेना बंद हो गए
- इसके बाद 28 अगस्त को विश्वविद्यालय प्रशासन ने बॉम मीटिंग में अजब-गजब निर्णय लिया
- पशु चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत होने पर 4 अंक देने का किया प्रावधान
- और 14 सितंबर 2022 को इसके लिए बाकायदा नोटिफिकेशन जारी कर दिया
- नियमानुसार इस निर्णय के बाद भर्ती के लिए संशोधित आवेदन दुबारा लिए जाने चाहिए थे
- लेकिन आवेदन दुबारा नहीं लिए, इससे बड़ी संख्या में पशु चिकित्सा अधिकारी वंचित रह गए
- इस नए प्रावधान से अपने चहेतों को 4 अंक बोनस का लाभ दे दिया गया
- भर्ती के लिए 2 रोस्टर होने और दोनों में पदों का वर्गीकरण अलग-अलग
- एक रोस्टर पंजिका में 208 पदों का कैडर स्ट्रैंथ, दूसरी में 331 पदों का कैडर स्ट्रैंथ
- दोनों रोस्टर पंजिका में एससी-एसटी के बैकलॉग के पदों की गणना अलग-अलग
- विश्वविद्यालय के 9 सहायक प्रोफेसर ऐसे, जिनके नाम ही नए रोस्टर से गायब किए गए
- वर्ष 2013, 2015 व 2017 की भर्तियों में एग्रोनॉमी व एस्ट्रोनॉमी के 3-3 पद विज्ञापित
- जबकि मौजूदा रोस्टर पंजिका में इनके 2-2 पद ही किए गए हैं शामिल
- रोस्टर पंजिका में यह भी भारी गड़बड़ी कि सहायक प्रोफेसर के पदों के बीच में...
- सहायक निदेशक के विभिन्न विषयों को शामिल कर दिया गया
विश्वविद्यालय प्रशासन की मनमर्जी का आलम यह है कि सहायक प्रोफेसरों के लिए की जा रही भर्ती के लिए गठित एक्सपर्ट पैनल के जरिए ही पदोन्नति भी की जा रही है. करियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत 4 सहायक प्रोफेसरों को एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत करने की तैयारी है. जबकि इनके लिए अलग से न तो नोटिफिकेशन जारी किया गया है और न ही अलग एक्सपर्ट पैनल बुलाया गया है. सहायक प्रोफेसर डॉ. पंकज थानवी के खिलाफ तो महिला शोधार्थी को प्रताड़ित करने के भी आरोप की जांच लंबित है. इस सहायक प्रोफेसर के निजी कॉलेज के कार्य अनुभव को भी योग्यता में जोड़ा जा रहा है, जो कि उच्च स्तरीय जांच का विषय है.
कैसे चली राज्य सरकार की जांच:
- 15 जुलाई 2022 को पहली बार राज्य सरकार ने प्रभावित छात्रों की शिकायत पर भर्ती पर रोक लगाई
- विवि प्रशासन से एमएससी एनिमल बायोटेक्नोलॉजी के छात्रों को शामिल नहीं करने पर जवाब मांग
- साथ ही जवाब मिलने तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई
- विश्वविद्यालय प्रशासन के जवाब के बाद भर्ती फिर से सुचारू हुई
- राजस्थान यूथ बोर्ड के सदस्य सुनील शर्मा ने 2 नवंबर को सीएमओ में रोस्टर गड़बड़ी की शिकायत की
- इस पर 25 नवंबर को पशुपालन सचिव ने जांच कमेटी का गठन किया
- साथ ही भर्ती पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाई
- कमेटी को प्रथम दृष्टया भर्ती प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ियां मिली
- अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच के लिए 21 दिसंबर को अंतर विभागीय कमेटी का गठन किया