Rajasthan: सचिन पायलट के आरोप पर बोले रंधावा- अतीत को लेकर नहीं चलना चाहता, भविष्‍य की बात कर रहा हूं

जयपुर: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा शनिवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के उस आरोप को एक तरह से खारिज करते नजर आए कि सितंबर में गहलोत खेमे के विधायकों की समानांतर बैठक आलाकमान के खिलाफ बगावत थी. रंधावा ने कहा कि वह अतीत को लेकर नहीं चलना चाहते और भविष्य की बात कर रहे हैं.

गौरतलब है कि पायलट ने पिछले साल 25 सितंबर को पार्टी विधायक दल की बैठक में न आकर मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक करके पार्टी आलाकमान के निर्देशों की कथि‍त अवहेलना करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर हाल ही में सवाल उठाया था. गौरतलब है कि गहलोत समर्थक इन विधायकों ने इस बैठक के बाद पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था. तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी. पायलट के आरोप के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के राजस्थान प्रभारी रंधावा ने जुलाई 2020 में पायलट खेमे द्वारा बगावत का उल्लेख किया.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, "कुछ लोग कहते हैं क‍ि कोरोना से पहले बगावत हुई थी. मैं इन बातों को या अतीत को ज्‍यादा लेकर नहीं चलना चाहता. मैं भविष्‍य की बात कर रहा हूं.' रंधावा ने कहा, ‘‘हम नेताओं को भविष्‍य के बारे में सोचना चाहिए और साथ ही साथ अतीत से सबक भी लेना चाहिए ताकि दुबारा ऐसी गलती न हो." इसके साथ ही रंधावा ने कहा कि राज्‍य में पार्टी एकजुट है. जुलाई 2020 में, पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके कारण राज्य में एक महीने तक राजनीतिक संकट बना रहा. यह संकट पार्टी आलाकमान द्वारा हस्तक्षेप के बाद समाप्‍त हुआ और पायलट को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर किया जाएगा. उल्‍लेखनीय है कि राज्‍य में दिसंबर 2018 में राजस्थान कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर गहलोत और पायलट के बीच अनबन चल रही है.

पायलट ने 23 अप्रैल को झारखंड महादेव मंद‍िर में पूजा-अर्चना करने के बाद मीडिया से बात करते हुए 25 सितंबर की घटना का जिक्र किया. उन्‍होंने कहा, "यह सही है कि 25 सितंबर को हुई घटना तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेशों का खुला उल्लंघन था. (पार्टी अध्यक्ष) मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन का खुलेआम अपमान किया गया था. उन (विधायकों) के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? यह प्रश्न है जिसका उत्तर पार्टी ही दे सकती है.” उल्‍लेखनीय है कि पायलट, पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार के मामलों में मौजूदा गहलोत सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं क‍िए जाने को लेकर 11 अप्रैल को जयपुर में एक दिन के अनशन पर बैठे और अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ फिर से मोर्चा खोल दिया. सोर्स- भाषा