Sun Transit 2023: सूर्यदेव का कर्क राशि में प्रवेश, जानें शुभ-अशुभ प्रभाव-महत्व और सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव

जयपुर: आज सूर्य देवता ने कर्क राशि में प्रवेश कर लिया है. इसी के चलते आज कर्क संक्रांति पर्व मनाया जा रहा है. इस पर्व पर तीर्थ-स्नान और दान के साथ उगते हुए सूरज की पूजा करने की भी परंपरा है. पुराणों में कहा गया है कि ऐसा करने से बीमारियां दूर होती है. साथ ही उम्र और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है. सेहत के नजरिये से भी देखा जाए तो सूर्य को जल चढ़ाना फायदेमंद होता है. क्योंकि सूरज की रोशनी में विटामिन डी होता है. जो हमारे शरीर में सीधे पहुंचता है. 

 ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य 17 जुलाई 2023 को सुबह 05:05 मिनट पर चंद्रमा की राशि कर्क में गोचर करेंगे. सूर्य इस राशि में 17 अगस्त 2023 तक रहेंगे. इसके बाद सूर्य अपनी राशि सिंह में गोचर कर जाएंगे. आषाढ़ महीने में सूर्य उपासना की परंपरा है. इससे आत्मविश्वास बढ़ता है. स्कंद और पद्म पुराण में कहा गया है कि इस महीने में सूर्य को जल चढ़ाने से पुण्य मिलता है और पाप भी खत्म हो जाते हैं. वेदों में सूर्य को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है. इसलिए सूर्य उपासना से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य का राशि परिवर्तन मेष से लेकर मीन राशि तक सभी 12 राशियों को प्रभावित करेगा. कुछ राशियों को सूर्य शुभ तो कुछ राशियों को अशुभ फल देंगे. ज्योतिष के अनुसार कर्क संक्रांति को छह महीने के उत्तरायण काल का अंत माना जाता है. इसके साथ ही इस दिन ही दक्षिणायन की शुरुआत होती है. सूर्य की यह स्थिति मकर संक्रांति तक रहती है. शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की कर्क संक्रांति के दिन उपासना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

सूर्यदेव 17 जुलाई को बुध की राशि मिथुन से निकल कर चंद्रमा की राशि कर्क में गोचर करेंगे. मित्र की राशि में होने के का कारण सूर्य ज्यादातर राशियों के लिए शुभ फल देने वाला होगा. सूर्य के गोचर का प्रभाव राजनीति बिजनस और जीवन अन्य क्षेत्रों में देखने को मिलेगा. सूर्य गोचर का अर्थ है कि सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है. सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते इसलिए सूर्य के गोचर का ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है. सूर्य के गोचर के दौरान किस व्यक्ति को कैसा फल मिलेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति की कुंडली या राशि में सूर्य किस भाव में संचरण कर रहे हैं.

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सेहत के नजरिये से भी महत्वपूर्ण सूर्य को जल चढ़ाना सेहत के लिए भी फायदेमंद है. उगते हुए सूर्य को चल चढ़ाने से शरीर को विटामिन डी की भरपूर मात्रा में मिलता है. सूर्य की किरणें शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को दूर कर निरोगी बनाने का काम करती हैं. इससे शरीर स्वस्थ रहता है. इंसान का शरीर पंच तत्वों से बना होता है. इनमें एक तत्व अग्नि भी है. सूर्य को अग्नि का कारक माना गया है. इसलिए सुबह सूर्य को जल चढ़ाने से उसकी किरणें पूरे शरीर पर पड़ती हैं. इससे हार्ट, स्कीन, आंखें, लिवर और दिमाग जैसे सभी अंग सक्रिय हो जाते हैं. 

शरीर के ऊर्जा चक्र को सक्रिय करने में मददगार ज्योतिष ग्रंथों में भी सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है. इसलिए सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव के दर्शन से मन प्रसन्न होता है. इससे सकारात्मक रहने और अच्छे काम करने की प्रेरणा मिलती है. सूर्य पूजा से शरीर में स्फूर्ति भी आती है. उगते हुए सूर्य की किरणें हमारी आंखों के लिए अच्छी होती है. ये हमारे शरीर के ऊर्जा चक्र को सक्रिय करने में भी मदद करती हैं. सूर्य को जल चढ़ाने से मन में अच्छे विचार आते हैं, जिससे प्रसन्नता महसूस होती है. इससे सोचने-समझने की शक्ति भी बढ़ती है. ये व्यक्ति की इच्छाशक्ति को मजबूत करने का भी काम करता है.

संक्रांति पर सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि धर्म ग्रंथों के अनुसार संक्रांति पर सूर्य को जल चढ़ाने का महत्व स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार सूर्य को देवताओं की श्रेणी में रखा गया है. उन्हें भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाला भी कहा जाता है. इसलिए आषाढ़ महीने में सूर्यदेव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है. आषाढ़ महीने में सूर्य को जल चढ़ाने से सम्मान मिलता है. सफलता और तरक्की के लिए भी सूर्यदेव को जल चढ़ाया जाता है. दुश्मनों पर जीत के लिए भी सूर्य को जल चढ़ाया जाता है. वाल्मीकि रामायण के अनुसार युद्ध के लिए लंका जाने से पहले भगवान श्रीराम ने भी सूर्य को जल चढ़ाकर पूजा की थी. इससे उन्हें रावण पर जीत हासिल करने में मदद मिली.

सूर्य का शुभ-अशुभ प्रभाव:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य के शुभ प्रभाव से जॉब और बिजनेस में तरक्की के योग बनते हैं और लीडरशीप करने का मौका भी मिलता है. ज्योतिष में सूर्य को आत्माकारक ग्रह कहा गया है. इसके प्रभाव से आत्मविश्वास बढ़ता है. पिता, अधिकारी और शासकिय मामलों में सफलता भी सूर्य के शुभ प्रभाव से मिलती है. वहीं सूर्य का अशुभ प्रभाव असफलता देता है. जिसके कारण कामकाज में रुकावटें और परेशानियां बढ़ती हैं. धन हानि और स्थान परिवर्तन भी सूर्य के कारण होता है. सूर्य के अशुभ प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होती है.  देश भर में महंगाई बढ़ने के भी आसार हैं. देश के कुछ इलाकों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति बन सकती है तो वहीं कुछ इलाकों में सूखे की स्थिति का सामना भी करना पड़ सकता है.

सूर्य करते हैं राशियों को प्रभावित:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रह को ग्रहों का राजा बताया गया है. जब सूर्य गोचर करते हैं अर्थात राशि परिवर्तन करते हैं तब इसे सूर्य संक्रांति के नाम से जाना जाता है. जैसे सूर्य अब कर्क राशि में गोचर कर रहे हैं तो इसके कर्क संक्रांति के नाम से भी जाना जाएगा. सूर्य किसी भी राशि में एक महीने तक रहते हैं और इसके बाद राशि परिवर्तन कर जाते हैं. इस तरह वह सभी 12 राशियों के अलग-अलग भाव में होकर उनको प्रभावित करते हैं. सभी 12 राशियों में सूर्य का आधिपत्य केवल सिंह राशि पर है. वहीं 27 नक्षत्रों में सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी हैं. सूर्य अत्यंत तेजस्वी ग्रह होकर आत्मा का कारक भी है.

सूर्य का महत्व:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य मेष राशि में उच्च होते हैं और तुला राशि में नीच होते हैं. सूर्य के चंद्रमा मंगल व देवताओ के गुरु बृहस्पति के साथ अच्छे संबंध यानी मित्र ग्रह हैं वहीं बुध से सम्यता के संबंध हैं और शनि व शुक्र ग्रह से इनके शत्रुवत संबंध हैं. सूर्य शुभ ग्रह अर्थात गुरु शुक्र और चंद्रमा के साथ युति होने पर शुभ फल देते हैं और क्रूर ग्रह यानी कि शनिएमंगल केतु व राहु के साथ युति होने पर अशुभ फल देते हैं. सूर्य की राशि सिंह की मित्र राशि मेष कर्क वृश्चिक धनु व मीन हैं. वहीं वृष तुला मकर व कुंभ राशि से शत्रुवत संबंध हैं.

 

कुंडली में सूर्य मजबूत:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य अगर व्यक्ति की कुंडली में मजबूत स्थिति में है तो उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और जीवन में सुख-शांति के साथ समृद्धि भी आती है. साथ ही पिता के साथ संबंध मजबूत होते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कार्य बनने लग जाते हैं. जो व्यक्ति रोजगार की तलाश कर रहा होता हैए उसे सरकारी नौकरी प्राप्त हो जाती है और राजनीतिक जीवन में भी सफलता मिलती है. सूर्य के प्रभाव से मान-सम्मान में वृद्धि होती है और हर रोग से मुक्ति मिलती है. चूंकि सूर्य उच्च पद का कारक ग्रह है इसलिए जिस पर सूर्य देव की कृपा होती है उसे हर क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त होता है.

कुंडली में सूर्य कमजोर:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कमजोर स्थिति में हो तो उसे कार्यक्षेत्र के साथ.साथ जीवन में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं शारीरिक रोग-दोष का सामना करना पड़ता है और हार्ट व नेत्र से संबंधित परेशानियां लगी रहती है. साथ ही कई झूठे आरोपों का भी सामना करना पड़ता है और मान-सम्मान में भी कमी आती है. पिता के साथ संबंध अच्छे नहीं रहते और धन की हानि लगातार बनी रहती है. सूर्य के अशुभ प्रभाव से कुंडली में पितृ दोष भी लगता है.

राशियों पर शुभ-अशुभ प्रभाव:
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि 17 जुलाई 2023 को सूर्य का राशि परिवर्तन होने जा रहा है. सूर्य इस दिन मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे. सबसे अधिक प्रभाव कर्क राशि पर पड़ेगा. 4 राशियों के लिए सूर्य का राशि परिवर्तन शुभ रहेगा. वहीं अन्य 8 राशियों पर सूर्य का अशुभ प्रभाव रहेगा.

शुभ - वृष, कन्या, तुला और कुंभ
अशुभ - मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु, मकर और मीन

उपाय:
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान श्री विष्णु की उपासना करें. बंदर, पहाड़ी गाय या कपिला गाय को भोजन कराएं. रोज उगते सूर्य को अर्घ्य देना शुरू करें. रविवार के दिन उपवास रखे. रोज गुढ़ या मिश्री खाकर पानी पीकर ही घर से निकलें . जन्मदाता पिता का सम्मान करें, प्रतिदिन उनके चरण छुकर आशीर्वाद लें. भगवान सूर्य की स्तुति आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें.