नई दिल्ली: महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने कहा कि भारतीय टीम को 31 मार्च से शुरू हो रही लुभावनी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) शुरू होने के उत्साह में आस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे श्रृंखला में मिली हार को भूलने की गलती नहीं करनी चाहिए.
भारत को बुधवार को चेन्नई में तीसरे और अंतिम वनडे में 21 रन से हार का सामना करना पड़ा जिससे उसने आस्ट्रेलिया से श्रृंखला 1-2 से गंवा दी. महान बल्लेबाज गावस्कर ने कहा कि रोहित शर्मा के खिलाड़ी अक्टूबर-नवंबर में देश की मेजबानी में होने वाले 50 ओवर के विश्व कप में इसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ हो सकते हैं. गावस्कर ने ‘स्टार स्पोर्ट्स’ से कहा कि निश्चित रूप से, अब आईपीएल (31 मार्च से) शुरू हो रहा है. इसे (श्रृंखला की हार को) भूलना नहीं चाहिए. भारत कभी कभार इसे भूलने की गलती कर सकता है लेकिन किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि विश्व कप में हम फिर से आस्ट्रेलिया से भिड़ सकते हैं.
कुछ खेलने की कोशिश करते हो जिसके आप आदी नहीं हो:
उन्होंने कहा कि यह (तीसरे वनडे में हार) आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा बनाये गये दबाव की वजह से मिली थी. बाउंड्री लगना बंद हो गया था और वे (भारतीय बल्लेबाज) एक रन भी नहीं बना पा रहे थे. जब ऐसा होता है तो आप ऐसा कुछ खेलने की कोशिश करते हो जिसके आप आदी नहीं हो. उन्हें इसी चीज को देखना होगा. जीत के लिये 270 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम 49.1 ओवर में 248 रन पर सिमट गयी थी जिससे उसने मैच के साथ श्रृंखला भी गंवा दी. भारत के लिये विराट कोहली (54 रन) और केएल राहुल (32 रन) के बीच तीसरे विकेट के लिए 69 रन तथा सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा (30 रन) और शुभमन गिल (37 रन) के बीच 65 रन की भागीदारी ही महत्वपूर्ण रही.
आस्ट्रेलिया का क्षेत्ररक्षण भी लाजवाब रहा:
पूर्व भारतीय कप्तान गावस्कर ने कहा कि जब आप 270 रन या करीब 300 रन के लक्ष्य का पीछा करते हो तो आपको करीब 90 या 100 रन की एक भागीदारी की जरूरत होती है जिससे आप लक्ष्य के करीब पहुंचते हो. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि हां, मैच के दौरान दो भागीदारियां बनी थीं जिसमें एक राहुल और कोहली के बीच थी, लेकिन आपको इसी तरह की या इससे बड़े रन की एक और साझेदारी की जरूरत थी. गावस्कर ने कहा कि आस्ट्रेलिया का क्षेत्ररक्षण भी लाजवाब रहा. उनकी गेंदबाजी काफी अच्छी थी. उन्होंने कसी गेंदबाजी की, ‘स्ंटप टू स्टंप’ गेंद डाली लेकिन उनका क्षेत्ररक्षण भी काफी अच्छा था. यही अंतर रहा. सोर्स-भाषा