जयपुर: नए आर्थिक ढांचे में राजस्थान को 16 वें वित्त आयोग से खासी उम्मीदें हैं. आयोग के प्रदेश के चार दिवसीय दौरे में बजट के बेहतर प्रबंधन,योजनाओं के सही दिशा में क्रियान्वयन और स्वायत्तशासी संस्थाओं के राजस्व में वृद्धि और अपने पैरों पर खड़े होने की राजस्थान की क्षमता का आकलन भी होगा.
16 वें वित्त आयोग के चेयरमैन और सदस्य आज से जयपुर आना शुरू हो गए हैं. जयपुर के रामबाग पैलेस होटल में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा,अधिकारियों और अन्य वर्गों के साथ मंथन का दौर शुरू होगा.
ये हैं आयोग के दल में शामिल
डॉक्टर अरविंद पनगड़िया चेयरमैन, 16 वां वित्त आयोग
दल में होंगे ये सदस्य भी शामिल
अजय नारायण झा
एनी जॉर्ज मैथ्यू
मनोज पांडा
सौम्यकांति घोष
ये रहेगा कार्यक्रम
- कल सुबह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा.डिप्टी सीएम दिया कुमारी और वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक होगी.
- इसमें सीएम प्रदेश की माली हालत के मद्देनजर ज्यादा फंड और पंचायतीराज और शहरी निकायों की संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए राजस्व के और स्रोत को लेकर संवाद करेंगे.
- डिप्टी सीएम दिया कुमारी भी राज्य की परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए केन्द्र से ज्यादा से ज्यादा राशि उपलब्ध कराने की मांग रखेंगी.
- कल दोपहर 3 बजे आयोग चेयरमैन डॉक्टर अरविंद पनगडिया प्रेस से रूबरू होंगे.
- इसके बाद औद्योगिक और व्यापारिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक होगी.
- फिर शहरी निकायों के प्रमुखों/ महापौरों और शहरी निकायों के प्रतिनिधियों के साथ आयोग की बैठक होगी.
- राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक होगी.
- 2 अगस्त को सुबह पंचायतीराज प्रतिनिधियों के साथ होगी बैठक.
- जिला प्रमुखों,चुनिंदा सरपंचों और अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ होगी बैठक.
- 1 अगस्त को रामबाग होटल में सत्र की शुरुआत में सुबह सीएम भजनलाल शर्मा देंगे स्वागत उद्बोधन
तो डिप्टी सीएम दिया कुमारी करेंगी धन्यवाद ज्ञापित
ये रहेंगे मुद्दे
- करों में अधिक हिस्सेदारी, पंचायती राज संस्थाओं में टाइड और अनटाइड फंड को लेकर मुद्दे
- 30,30 प्रतिशत स्वच्छता और पानी में खर्च करने की बाध्यता समाप्त करने
- और शहरी निकायों को राजस्व और अन्य बिंदुओं में अधिक स्वायत्तता देने जैसे बिंदुओं पर होगा गौर
- इसके साथ ही पंचायतों को राशि जल्द जारी करने,शहरी निकायों के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने और राजस्व बढ़ाने के नए स्रोतों को लेकर होगी बातचीत.
- 2025 तक पुराने 15 वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर ही होगा अमल
- 2025 बाद मौजूदा दल के सदस्यों की सिफारिशें होंगी लागू
यह रहेगी आकलन की प्रमुख कसौटी
- पंराज संस्थाओं,नगरपालिकाओं के फंड में कैसे हो वृद्धि ?
- वे कैसे अपने राजस्व में वृद्धि कर सकें ?
- कैसे वे अपनी विकास की योजनाओं के लिये राज्य सरकारों पर निर्भरता कम करके स्व वित्तपोषण कर सकें?
- कैसे विभाग वित्तीय अनुशासन बनाये रखें ?
- दी राशि उसी योजना में हो खर्च.
- योजनाओं का बेहतर प्रबंधन हो सुनिश्चित.
- बजट से ज्यादा राशि खर्च न हो और बजट के लिए देय राशि उसके लिए निर्धारित काम पर ही खर्च हो.
- हर वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित बजट उसी वर्ष हो खर्च.
- योजनाओं के लिए बजट का बेहतर हो नियोजन.
- राज्यों की ओर से कर्ज़ लेने में अनावश्यक वृद्धि ना हो और ओवरड्राफ्ट जैसी स्थिति ना पैदा हो इस पर रहेगा खास फोकस.
- इसे लेकर दिशानिर्देश देगा व मॉनिटरिंग करेगा आयोग.
क्या हुआ है बदलाव ?
प्लानिंग व नॉन प्लानिंग मद में बजट आवंटन होता था जो अब बंद हो चुका.
-स्कीम हेड्स का पुनर्विनियोजन हो चुका है और अब केंद्र की ओर से राज्यों को दिए जानेवाले राजस्व की राशि दी जाती है.
- ऐसे में राज्यों को योजनाओं के बेहतर प्रबंधन पर खास फोकस करना होगा क्योंकि योजनाओं में जो बजट आवंटित है उसके खर्चे और प्रदर्शन के आधार पर ही उन्हें अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट या योजनाओं की शेष राशि दी जाती है.
-जानकारों का मानना है कि बदली व्यवस्था में अब राज्यों को अतिरिक्त राजस्व बढ़ाने के मौके बढ़े हैं वहीं जीएसटी लागू होने के बाद हालात में बदलाव भी आया है.
अब ऐसे हो सकती भरपाई
- राजस्थान में अधिकतर मरुस्थलीय इलाके होने से के आधार पर वह विशेष दर्जा की मांग करता आया है हालांकि बार-बार इस बारे में मापदंड पूरा ना करने की बात सामने आती रही है .
ऐसे में वह स्पेशल फंड या विशेष सहायता या कन्टीनजेन्सी प्लान में ज्यादा राशि की मांग कर सकता है.
-इसके लिए वह राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों का हवाला दे सकता है. यह बता सकता है कि यहां पर कई जिलों में सूखा की स्थिति रहती है तो वहीं बाढ़ जैसी आपदा का भी सामना करना पड़ता है.
सरकारी खजाने पर बढ़ते भार के बावजूद भी अभी तक राज्य में ओवरड्राफ्ट की स्थिति नहीं है, हालांकि माली हालत सुधारनी बेहद जरूरी है. दल राज्य का दौरा करने के बाद भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौपेंगा.