जयपुर: जयपुर विकास प्राधिकरण के एक नहीं, दो नहीं बल्कि करीब सौ फर्जी पट्टों के एक मामले ने खुद जेडीए और गृह विभाग के अधिकारियों में खलबली मचा रखी है. खलबली का कारण मुख्य सचिव सुधांश पंत की ओर से मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट तलब करना है.
जन सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव सुधांश पंत को एक शिकायत मिली. इस शिकायत में बताया गया कि स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के थाने में पिछले वर्ष एक मामला दर्ज कराया गया था. इस मामले में यह आरोप लगाया गया है कि जेडीए के करीब सौ फर्जी पट्टे बनाकर आदर्श क्रेडिट कॉ ऑपरेटिव सोसायटी व अन्य बैंकों से ऋण ले रखा है. ऋण लेने के लिए इन फर्जी पट्टों को सब रजिस्ट्रार ऑफिस से पंजीकृत भी करा लिया गया. शिकायत में कहा गया है कि फर्जी पट्टे जारी करने और उस पर ऋण उठाने के मामले में आरोपियों के खिलाफ जिम्मेदार एजेंसियां ठोस कार्रवाई नहीं कर रही हैं. इस शिकायत पर मुख्य सचिव सुधांश पंत ने गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव से 18 फरवरी तक जवाब मांगा था. नगरीय विकास विभाग ने जवाब देने के लिए यह प्रकरण जेडीए को भिजवा दिया है. जेडीए प्रशासन ने फर्जी पट्टों के मामले में सभी जोन कार्यालयों से जानकारी मांगी है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि पूरा मामला क्या है.
-पिछले वर्ष एसओजी थाने में शंकर खंडेलवाल व अन्य के खिलाफ यह मामला दर्ज कराया गया था
-मामले में यह आरोप लगाया गया कि जेडीए के करीब सौ फर्जी पट्टे तैयार किए गए
-और उनको पंजीकृत करा कर आदर्श सोसायटी व अन्य बैंकों से करोड़ों रुपए के ऋण उठा लिए गए
-एकत्र की गई जानकारी के अनुसार झोटवाड़ा व वैशाली नगर इलाके स्थित मित्र नगर,तारा नगर डी,
-मानसरोवर कॉलोनी, कल्याण कुंज,राणा प्रताप नगर,रामनाथपुरी,बाल विहार,स्कीम नम्बर 5 कल्याणपुरी,
-हनुमान नगर बी ब्लॉक,ऑफिसर्स कैम्पस विस्तार, बृज मंडल कॉलोनी, कृष्णा नगर,चित्रकूट स्कीम,
-भगवान बाहुबली नगर और भौमिया नगर के भूखंडों के जेडीए के फर्जी पट्टे तैयार किए गए
-अधिकतर पट्टे शंकर खंडेलवाल,उनके परिजन व उनके जानकारों के नाम से तैयार कराए गए
-एक ही भूखंड के एक ही नाम से चार-चार तक फर्जी पट्टे बनाए गए और
-और उन्हें अलग-अलग सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में पंजीकृत कराया गया
-इनमें से कई भूखंडों के तो पट्टे खुद जेडीए ने ही जारी नहीं किए हैं
-एकत्र की गई जानकारी के मुताबिक ऐसे पट्टों की संख्या फिलहाल 96 है, लेकिन इससे अधिक फर्जी पट्टे होने का अनुमान है
सिंडीकेंट बैक से जुड़े एक मनी लॉड्रिंग प्रकरण में प्रवर्तन निदेशालय ने शंकर खंडेलवाल के बयान लिए थे. शंकर खंडेलवाल ने प्रवर्तन निदेशालय को दिए बयान में यह स्वीकार किया है कि उसने कई भूखंडों के फर्जी पट्टे बनाए और उनक पट्टों के आधार पर आदर्श कॉ ऑपरेटिव सोसायटी व अन्य बैंकों से ऋण लिया गया. आपको बताते हैं कि शंकर खंडेलवाल ने प्रवर्तन निदेशालय को दिए बयान क्या जानकारी दी.
-मानसरोवर कॉलोनी में भूखंड संख्या 93 सी के फर्जी पट्टे से आदर्श क्रेडिट कॉ ऑपरेटिव सोसायटी, सिडीकेंट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक से ऋण लिया
-मित्र नगर में भूखंड संख्या 18 का भी फर्जी पट्टा बनाया गया है,इस पर सिंडीकेट बैंक से ऋण लिया
-मानसरोवर कॉलोनी झोटवाड़ा में भूखंड संख्या 59 का भी फर्जी पट्टा बनाकर आदर्श सोसायटी व हीरो फिन कॉप से ऋण लिया
-मित्र नगर कालवाड़ रोड के भूखंड संख्या एक से छह और 20,22,24,25.27,28 सभी भूखंडों के फर्जी पट्टे बनाए गए
-इन पट्टों पर सिंडीकेंट बैंक व आदर्श सोसायटी से ऋण लिया
-तारा नगर डी कॉलोनी के भूखंड संख्या 239 से 246,248 व 249 के जेडीए के फर्जी पट्टे बनाकर आदर्श सोसायटी व सिंडीकेंट बैंक से ऋण ले रखा है
-श्रीराम नगर के भूखंड संख्या डी-54 का फर्जी पट्टा बनाकर ऋण लिया गया
-ऑफिसर्स कैम्पस विस्तार के भूखंड संख्या 171 के फर्जी पट्टे बनाकर बैंकों से ऋण लिया गया
-विजय सिह पथिक नगर के भूखंड संख्या 185,186 के फर्जी पट्टे से आदर्श सोसायटी से ऋण लिया गया है
आदर्श कॉ ऑपरेटिव सोसायटी के फर्जीवाड़े को लेकर एसओजी ने खुद एक प्रकरण 27 दिसंबर 2018 को दर्ज किया था. इस दर्ज प्रकरण के साथ जो प्राथमिक सूचना दर्ज कराई गई, उसके मुताबिक जिन कंपनियों को ऋण दिया गया, उनमें शंकर खंडेलवाल व उसके परिजनों से जुड़ी कंपनी भी शामिल है.
-इसके अनुसार श्री गोविंद कृपा बिल्ड मार्ट प्राइवेट लिमिटेड को आदर्श सोसायटी ने 50 करोड़ रुपए ऋण दिया
-इस कंपनी में शंकर खंडेलवाल और उनके परिजन निदेशक थे
-एसओजी की प्राथमिक सूचना में इस कंपनी, शंकर खंडेलवाल और उनके परिजनों के सोसायटी के अकाउंट बैलेंस की जानकारी दी गई है
-यह अकाउंट बैलेंस माइनस में 4.94 करोड़ रुपए से लेकर 236 करोड़ रुपए तक बताया गया है
जेडीए के फर्जी पट्टे जारी कर उनका सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में पंजीकरण कराना और उनको गिरवी रख बैंकों से करोड़ों रुपए का ऋण उठाना, पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा करता है. जेडीए का हुबहु पट्टे का प्रारूप तैयार करना और उस पर जेडीए की फर्जी मोहर लगना सवाल खड़े करता है क्या जेडीए कार्मिकों की भी इस मामले में भूमिका है? मुख्य सचिव को प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट के बाद देखना यह है कि क्या जेडीए के तत्कालीन जोन उपायुक्तों व कार्मिकों के खिलाफ कार्यवाही होती है अथवा नही और फर्जी पट्टे निरस्त करने की कार्यवाही अपने अंजाम तक पहुंचती है अथवा नहीं?