जयपुर : आबकारी विभाग में बीते कई सालों से बकाया वसूली का बोझ बढ़ता जा रहा है और जिम्मेदार हैं कि जीरो वसूली का रिकॉर्ड बना रहे हैं. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर वसूली करेगा कौन ? हालाकि आबकारी आयुक्त बकाया वसूली के लगातार प्रयास कर रहे हैं और अब तय किया है कि निरोधात्मक कार्रवाई, एमनेस्टी योजना और राजस्व अर्जन के आधार पर ही जिला आबकारी अधिकारियों की रैंकिंग तैयार की जा रही है.
आबकारी विभाग ने राजस्व बकाया के पुराने प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के लिए एमनेस्टी योजना चला रखी है. लेकिन वसूली में पसीने छूट रहे हैं. योजना को एमनेस्टी योजना 2024 नाम दिया गया है. इसमें वर्ष 2018 से पहले के बकाया प्रकरणों के सेटलमेंट पर सबसे ज्यादा छूट दी जा रही. जबकि वर्ष 2022-23 के मामलों में छूट का दायरा सबसे कम रखा गया है. दिसंबर तक चलने वाली योजना में कुछ कुछ जिला आबकारी अधिकारियों की परफॉर्मेंस जीरो आ रही है, जबकि उम्मीद यह लगाई गई थी कि वसूली पर जोर रहेगा और बकाया चल रहे प्रकरणों में वसूली होगी. यह भी तय किया गया है कि बकाया नहीं चुकाने वालों की संपत्ति कुर्क की जाएगी. यह काम संबंधित जिला कलेक्टर के माध्यम से किया जाएगा.
आबकारी विभाग में बकाया वाले जिले
जिला-------मामले पेंडिंग
जोधपुर-----876
गंगानगर---600 से ज्यादा
अजमेर-----350
बारां--------434
उदयपुर----365
झालावाड़--250
कोटा-------222
सीकर------336
अलवर-----209
जयपुर शहर--188
जयपुर ग्रामीण--290
आबकारी विभाग में प्रदेश स्तर पर 7 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग चल रहे हैं. आबकारी विभाग की माने तो एक हजार करोड़ से अधिक का बकाया होने पर एमनेस्टी योजना के तहत छूट का प्रावधान रखा गया. वर्ष 2018 से पहले के बकाया प्रकरणों पर मूल बकाया राशि पर 75 प्रतिशत छूट और ब्याज पर संपूर्ण छूट का प्रावधान दिया है. एमनेस्टी योजना की जानकारी मुख्य सचिव को भी दी जा चुकी है और मुख्य सचिव की वीसी में आबकारी आयुक्त शिवप्रसाद नकाते जिला आबकारियों को ताकीद कर दिया था. उसके बावजूद बहरोड़, भरतपुर, डूंगरपुर, झालावाड़, प्रतापगढ़ और टोंक जिले की परफॉर्मेंस जीरो है.
शराब बिक्री और गारंटी के पेटे बकाया वसूली में संपत्ति कुर्की के आदेश भी हो चुके हैं, लेकिन बकायेदारों को किसी का डर नहीं है. उधर, जिन्हें डर दिखाकर वसूली करनी चाहिए, ऐसे आला अधिकारी भी कार्रवाई को तैयार नहीं तो आखिर कौन वसूली करेगा. यह सवाल खड़ा हो रहा है. देखने वाली बात यह रहेगी कि एमनेस्टी योजना समाप्त होने के बाद 7 हजार मामलों में से कितनों में संपत्ति कुर्क हो पाती है.