चेन्नई: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सांसद स्वस्थ चर्चा में भाग लेंगे और सदन की कार्यवाही बाधित करने से परहेज करेंगे. साथ ही, उन्होंने राज्यसभा में मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और संसद में अनधिकृत सूचना का उल्लेख करने के लिए एक सदस्य (कांग्रेस नेता राहुल गांधी) के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस को उचित ठहराया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सभापति के रूप में विकासोन्मुख मुद्दों का मार्ग प्रशस्त करने वाला वातावरण बनाने के अलावा सदन में अनुशासन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उन पर है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-मद्रास में नवोन्मेष केंद्र का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने परोक्ष रूप से विपक्षी दलों का संदर्भ देते हुए कहा कि राज्यसभा के सभापति के रूप में वह सदन में अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए बाध्य थे. धनखड़ ने संसद सत्र के दौरान हालिया व्यवधानों का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि यह एक स्थायी ढांचा है जिसे भंग नहीं किया जा सकता है. हमारे लिए (आचरण पर) एक मॉडल है.
उन्होंने कहा कि यदि कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने के लिए बनी संसद बिना किसी कामकाज के बाधित रही तो करदाताओं का पैसा बर्बाद हो जाएगा. उपराष्ट्रपति ने युवाओं से अपील की कि वे एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करें जिससे लोकतंत्र और संसद या विधायिका की गरिमा पर आंच न आए. धनखड़ ने कहा कि इसे जन आंदोलन बनाएं, जनप्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाएं. लोग सांसदों को भेजते हैं, वे उनके कामकाज को देखते हैं और व्यवधान या गड़बड़ी को मंजूरी नहीं देते हैं.
संसद के हालिया सत्र में अडाणी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग सहित कई मुद्दों पर लगातार व्यवधान देखा गया. उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद पटल पर किसी भी तरह की असत्यापित जानकारी नहीं रखनी चाहिए या लापरवाह तरीके से आरोप नहीं लगाए जाने चाहिए. साथ ही, उन्होंने राज्यसभा में मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और संसद में अनधिकृत सूचना का उल्लेख करने के लिए एक सदस्य (कांग्रेस नेता राहुल गांधी) के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस को उचित ठहराया.
पिछले साल उपराष्ट्रपति का पद संभालने के बाद से धनखड़ का तमिलनाडु का यह पहला दौरा है. बाद में, छात्रों के साथ संक्षिप्त बातचीत में धनखड़ ने कहा कि मैं चाहता हूं कि सांसद अपना काम करें, राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को उठाएं. मैं लोकतंत्र के मंदिर राज्यसभा को संवाद, बहस, चर्चा और शिक्षा का केंद्र बनाना चाहता हूं. मैं नहीं चाहता कि राज्यसभा को व्यवधान का सामना करना पड़े. (भाषा)