बदरीनाथ-केदारनाथ आने वाले 'VIP' भक्तों को अब देना होगा शुल्क

बदरीनाथ-केदारनाथ आने वाले 'VIP' भक्तों को अब देना होगा शुल्क

देहरादून: श्री बदरीनाथ- केदारनाथ समिति ने इस वर्ष से बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में श्रद्धालु के रूप में आने वाले सभी अति विशिष्ट व्यक्तियों (VIP) से भगवान के विशेष दर्शन और प्रसाद के लिए प्रति ​व्यक्ति 300 रुपये का शुल्क लेने का निर्णय लिया है. समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मंगलवार को यहां बताया कि यह निर्णय देश के चार प्रमुख मंदिरों में पूजा और दर्शन आदि व्यवस्थाओं के प्रबंधन का अध्ययन करने गए दलों की रिपोर्ट और उनकी संस्तुतियों के आधार पर लिया गया है.

उन्होंने बताया कि समिति ने पिछले दिनों देश के चार प्रमुख मंदिरों-तिरुपति बालाजी, श्री वैष्णो देवी, श्री महाकालेश्वर व श्री सोमनाथ मंदिरों में पूजा और दर्शन आदि व्यवस्थाओं के प्रबंधन के अध्ययन के लिए चार दल भेजे थे. अजय ने कहा कि दलों की रिपोर्ट और संस्तुतियों के आधार पर समिति ने सोमवार को उनकी अध्यक्षता में हुई एक बैठक में बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिर में विशेष दर्शन और प्रसाद के आकांक्षी सभी वीआईपी भक्तों के लिए प्रति व्यक्ति 300 रुपये का शुल्क निर्धारित कर दिया गया है. इसके अलावा, उन्होंने बताया कि समिति ने यह भी तय किया है कि प्रोटोकॉल के तहत आने वाले वीआईपी को मंदिरों में दर्शन कराने और प्रसाद वितरण की जिम्मेदारी केवल समिति के कर्मचारी ही संभालेंगे जिससे अव्यवस्था न हो . उन्होंने बताया कि अभी तक अति महत्वपूर्ण श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए समिति के साथ ही पुलिस और प्रशासन भी अपने-अपने तरीके से दर्शन व्यवस्था संभालते थे.

अजय ने बताया कि यह भी तय किया गया है कि श्रद्धालुओं के द्वारा मंदिर के लिए दिये जाने वाले दान या चढ़ावे को समिति के वेतनधारी पुजारी और कर्मचारी नहीं लेंगे, बल्कि वे उन्हें उसे दानपात्र में डालने को प्रेरित करेंगे. उन्होंने बताया कि अगर कर्मचारी खुद दान या चढ़ावा लेते पाए गए, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. समिति के अध्यक्ष ने बताया कि मंदिरों को मिलने वाले दान और चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी व्यवस्था की जाएगी और इसके तहत दोनों धामों में पारदर्शी शीशे लगाए जाएंगे और उनमें सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि आगामी यात्रा शुरू होने से पहले केदारनाथ में एक दानदाता के सहयोग से 100 किलोग्राम का अष्टधातु का त्रिशूल स्थापित किया जाएगा. सोर्स- भाषा