नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती ‘‘घोटाला’’ मामले में एक समाचार चैनल को न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय के साक्षात्कार सबंधी रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय को इस मामले की जांच किसी और न्यायाधीश को सौंपने का शुक्रवार को निर्देश दिया. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के महापंजीयक की रिपोर्ट का संज्ञान लिया और कहा कि यह मामला किसी अन्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ को सौंपना होगा. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम कलकत्ता उच्च न्यायालय के माननीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से कलकत्ता उच्च न्यायालय के किसी अन्य न्यायाधीश को लंबित कार्यवाही सौंपने का निर्देश देते हैं.
जिस न्यायाधीश को कार्यवाही सौंपी जाएगी, उन्हें इस संबंध में दायर की गई सभी याचिकाओं पर गौर करने की आजादी होगी. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक ‘‘चलन’’ है कि यदि न्यायाधीशों के फैसले किसी व्यक्ति विशेष की इच्छा के अनुसार नहीं होते हैं, तो उन न्यायाधीशों को निशाना बनाया जाता है. उन्होंने अभिषेक बनर्जी के कथित रूप से न्यायाधीशों को धमकाने वाले भाषण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘न्यायाधीशों को धमकाया नहीं जाना चाहिए. विधि अधिकारी ने कहा, ‘‘मुझे कुछ कहना है और यह व्यथित करने वाली बात है. एक चलन है और जब कोई फैसला सत्तारूढ़ व्यवस्था के खिलाफ सुनाया जाता है, तो न्यायाधीशों को निशाना बनाया जाता है. इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के महापंजीयक से इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा था कि क्या न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल में स्कूल भर्ती ‘‘घोटाले’’ से संबंधित लंबित मामले में एक समाचार चैनल को साक्षात्कार दिया था. पीठ ने शुक्रवार को कहा, ‘‘इस अदालत के 24 अप्रैल के आदेश के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के पंजीयन कार्यालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के महापंजीयक द्वारा दायर 27 अप्रैल की तिथि वाला हलफनामा दाखिल किया है.’’
इससे पहले पीठ ने इस मामले को लेकर एक समाचार चैनल को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय द्वारा कथित साक्षात्कार दिए जाने का कड़ा संज्ञान लिया था और कहा था, ‘‘लंबित मामलों के बारे में साक्षात्कार देने का किसी न्यायाधीश को अधिकार नहीं है.’’ पूर्व में, 17 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने अभिषेक बनर्जी को बड़ी राहत प्रदान करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के 13 अप्रैल के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें उसने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अभिषेक और शिक्षक भर्ती घोटाले के एक आरोपी कुंतल घोष से पूछताछ करने का आदेश दिया था. इससे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने पश्चिम बंगाल पुलिस को आदेश दिया था कि वह मामले की जांच कर रहे सीबीआई और ईडी के अधिकारियों के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं करे. सोर्स- भाषा