जयपुर: पाश्चात्य संस्कृति में पाणिग्रहण एक गठबंधन तो है लेकिन संस्कार नहीं.. यही कारण है कि पश्चिमी देशों में भारतीय वैदिक मंत्रोच्चार और रीति रिवाजों के बीच विवाह करने का चलन तेजी से बड़ा है. खासकर राजस्थान के परंपरागत शहरों में विदेशी अविवाहित जोड़े और जिनकी पूर्व में शादी हो चुकी है वे भी राजस्थान आकर 'मॉक वेडिंग' कर रहे हैं. राजस्थान की पहचान उभरते हुए वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर की जा रही है और शाही शान-ओ-शौकत वाली शादियों का चलन मरुधरा में बढ़ता जा रहा है.
पाश्चात्य संस्कृति में विवाह एक गठबंधन तो है लेकिन संस्कार नहीं. यही कारण है कि वहां विवाह विच्छेद के प्रकरण अधिक देखने को मिलते हैं. विज्ञान आधारित वैदिक संस्कारों को लेकर पश्चिमी देशों में उत्सुकता और आकर्षण तो पहले से ही देखने को मिलता रहा है लेकिन जिस तरह से राजस्थान पर्यटन ने प्रदेश को वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर प्रमोट किया है उससे एक नया चलन अब सामने आया है. वो है.. मॉक वेडिंग और ट्रेडिशनल वेडिंग. दरअसल शाही ठाठ बाट के साथ और विभिन्न रीति रिवाज के साथ जिस तरह से राजस्थान के अंदर शादियां की जाती हैं.
उनमें विज्ञान आधारित वैदिक संस्कारों की झलक देखने को ही मिलती है और यह एक गठबंधन होने के साथ-साथ संस्कार के तौर पर भी देखा जाता है. यही कारण है कि वैदिक मंत्रोचार के साथ की गई शादियां पाश्चात्य देशों की तुलना में अधिक टिकती हैं और परस्पर सहयोग और त्याग की भावना लिए होती हैं. राजस्थानी शादियों में परंपरागत नृत्य और संगीत, व्यंजन, पहनावा और विभिन्न रीति रिवाज विदेशी सैलानियों को लुभाते रहे हैं. ट्रैवल एजेंट और टूर ऑपरेटर्स के जरिए विदेशी अविवाहित जोड़ भी राजस्थान में आकर ट्रेडीशनल वेडिंग कर रहे हैं और एक खास कल्चर जो डेवलप हुआ है तेजी से उसके तहत विदेशी विवाहित जोड़े भी राजस्थान जाकर दोबारा से परंपरागत और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शादियां कर रहे हैं जिसे मॉक वेडिंग का नाम दिया गया है. फ्रांस, इटली, जर्मनी सहित अन्य कई देशों के पर्यटक यहाँ आकर शादी कर रहे हैं.
पर्यटन विशेषज्ञ संजय कौशिक का कहना है कि पिछले दिनों इटली से जयपुर आई महिला पर्यटक मोनिका बारबन ने मॉक वैडिंग के लिए हमसे सम्पर्क किया. क्योंकि वे अपने पति एनरिको स्क्रोकारो को सरप्राइज देना चाहती थी. इस तरह की शादी का शुरुआती खर्चा करीब 70 हजार रुपए आता है. इसमें दुल्हन की ज्वैलरी, लहंगा, मेकअप, दुल्हे की शेरवानी, कार, मंदिर में शादी की पूरी व्यवस्था, पुजारी, फेरे भी शामिल हैं. इसके बाद अन्य सुविधाएं शामिल करने पर खर्चा उस हिसाब से बढ़ जाता है. इस दौरान राजस्थानी परम्परा के अनुसार जोड़े की माँक वैडिंग या री मेरेज कराई जाती है.
राजस्थान में यहां के रीति रिवाज के साथ शादी करने का विदेशी पर्यटकों का अनुभव भी कम दिलचस्प नहीं है. यहाँ पिछले दिनों इटली से शादी करने आई पर्यटक, मोनिका बारबन ने बताया कि राजस्थानी परम्परा के अनुसार मॉक वैडिंग का अपना एक अलग ही अनुभव रहा. उनका कहना था कि हम जानना चाहते थे, कि यहां जब शादी होती है तो किस तरह रस्में निभाई जाती हैं. विदेशी पर्यटक राजस्थान से मॉक वेडिंग इसीलिए भी कर रहे हैं कि यहां के परंपरागत लहंगे ओढ़नी और शेरवानी जैसे पहनावे और यहां के दाल बाटी चूरमा सहित परंपरागत व्यंजन विदेशियों को आकर्षित करते हैं.
राजसी ठाठ बाट, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक मूल्यों के पोषण के लिए राजस्थान की प्रसिद्धि देश दुनिया में रही है. पाश्चात्य देशों के पर्यटकों में इन दिनों एक चलन तेजी से बढ़ा है कि राजस्थान जाकर वे मैरिज या री मैरिज करेंगे तो उनका दांपत्य जीवन ज्यादा सुखी और लंबा चलेगा. यही कारण है कि डेस्टिनेशन वेडिंग के तौर पर राजस्थान की पहचान विश्व भर में तेजी से बढ़ी है.