कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से पूछा कि राज्य में खाद्य विषाक्तता की घटनाओं को रोकने के संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं. न्यायमूर्ति अनिल के. नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पी.जी. अजितकुमार की पीठ ने यह भी पूछा कि क्या लाइसेंसधारियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है ?
सबरीमला से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा, “विभिन्न होटलों में खाद्य विषाक्तता के सिलसिले में सरकार क्या कार्रवाई कर रही है? क्या उन लाइसेंसधारकों पर मुकदमा चलाया जा रहा है? राज्य में खाद्य विषाक्तता की घटनाओं के मद्देनजर केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मंगलवार को सभी 14 जिलों में ‘व्यापक’ निरीक्षण करने और लाइसेंस के बिना संचालित या मिलावटी और अस्वास्थ्यकर भोजन परोसने वाली दुकानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया था. बाद में बुधवार को प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि खाद्य सुरक्षा विभाग ने प्रदेश भर में खाने-पीने की 547 दुकानों का निरीक्षण किया और उनमें से बिना लाइसेंस व साफ-सफाई के संचालित की जा रही 48 दुकानों की सेवाएं निलंबित कर दीं.
विज्ञप्ति में कहा गया कि इसके अलावा खाने-पीने की 142 दुकानों को नोटिस जारी किए गए हैं और निरीक्षण आगे भी जारी रहेगा. इसके अनुसार, पिछले छह महीनों में लगभग 82,406 भोजनालयों को पंजीकृत किया गया था और 18,037 को लाइसेंस दिया गया था. सोर्स- भाषा