जयपुर: गुलाब चंद कटारिया अब असम के राज्यपाल होंगे. उनके राजस्थान की सियासत से दूर जाने के साथ ही मेवाड़ वागड़ की पॉलिटिक्स में सवाल खड़े हो गए है कि कौन बनेगा कटारिया का उतराधिकारी ! उधर आम आदमी पार्टी ने डूंगरपुर के पूर्व देवेंद्र कटारा को शामिल कर अपने मंसूबे जता दिया. वहीं आदिवासी अंचल में भारतीय आदिवासी पार्टी ने सक्रियता बढ़ा दी है. यह राजस्थान की सियासत का अलग पुट है कि मेवाड़-वागड़ ने जिस पार्टी की चुनावी आंधी चलती है उसी को राजस्थान पर राज करने का अवसर मिलता है. ऐसा अक्सर हुआ भी है.
बीजेपी ने आदिवासी अंचल को लेकर अपनी नवीन पॉलिटिक्स को सामने ला दिया है.विधायक रहते हुए गुलाब चंद कटारिया को असम का महामहिम बनाने की सियासी घटना ने ये जाहिर कर दिया है कि मेवाड़ वाघड में नया नेतृत्व उभारा जाएगा.अभी चितौड़ सांसद चंद्र प्रकाश जोशी,राजसमंद सांसद दिया कुमारी और डूंगरपुर बांसवाड़ा सांसद कनक मल कटारा में से किसी एक को नई जिम्मेदारी मिल सकती है ,केंद्रीय मंत्रिपरिषद के संभावित फेरबदल और विस्तार में जगह मिल सकती है. तीनों ही अलग अलग वर्ग से ताल्लुक रखते है.किरण माहेश्वरी बड़ा नाम था लेकिन वो दुनिया से चल बसी,आज वो होती तो उदयपुर संभाग में गुलाब चंद कटारिया का विकल्प बनती, दिवंगत किरण माहेश्वरी की बेटी दीप्ति माहेश्वरी अभी राजसमंद से विधायक है. लेकिन वहीं आकर रुक जाता है कि क्या कोई दूसरा नेता गुलाब चंद कटारिया की जगह ले पाएंगे. गुलाब चंद कटारिया ने अपने परिश्रम से आदिवासी अंचल में कमल को मजबूत किया था. नए चेहरों को आगे बढ़ाया.मेवाड की सियासत को साधना आसान काम नही है. गुलाब चंद कटारिया कहते है केवल मेवाड़ ही जहां भगवान एकलिंग को आराध्य मान कर सारे काम होते है.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने चुनावी साल में पत्ते खोलना शुरू कर दिया है. अरसे से राजस्थान में मेहनत कर रहे आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी और दिल्ली से विधायक विनय मिश्रा ने आदिवासी अंचल के नेता देवेंद्र कटारा को AAP में शामिल करा लिया.कभी कॉमरेड रहे ,कभी भाजपाई रहे देवेंद्र कटारा पिछली विधानसभा में बीजेपी से विधायक थे ,टिकट कटा तो निर्दलीय ताल ठोक दी थी.हालांकि ये भविष्य के गर्भ में है कि आदिवासी क्षेत्र में कटारा आम आदमी पार्टी को कितनी मजबूती दे पाते है लेकिन एंट्री हो गई है. मेवाड़ वागड़ की सियासत में हलचल तभी से शुरू हो गई थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानगढ़ दौरा हुआ था.चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही आदिवासी बेल्ट में बीटीपी के बढ़ते दखल से चिंतित थे अब भारतीय आदिवासी पार्टी की सक्रियता ने मुख्य दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया.पिछले विधानसभा चुनावों में BTP ने नुकसान पहुंचाया था.कांग्रेस के पास अवसर है गुलाब चंद कटारिया के महामहिम बनने के बाद उदयपुर की सियासत में पैदा हुई रिक्तता को भरने की.
गुलाब चंद कटारिया अभी तक अंगद के पांव बने हुए थे और कांग्रेस उनको चुनौती नहीं दे पा रही थी जाहिर उदयपुर या यूं कहे मेवाड़ में कांग्रेस को अब स्पीकर डॉ सीपी जोशी की गाइडलाइंस पर आगे बढ़ना होगा. रघुवीर मीणा के पास अवसर है फिर से उभरने का.वहीं वागड़ में महेंद्रजीत मालवीय बड़े फेस है साथ ही अर्जुन बामनिया,ताराचंद भगोरा,गणेश घोघरा सरीखे बड़े आदिवासी क्षत्रप है.हालांकि हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव में इन्हें अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है. 1952 से हो रहे चुनावों के परिणाम देखे तो पलड़ा मेवाड़ वागड़ में कांग्रेस का ही भारी रहा. राज्य में सर्वाधिक शासन करने वाले मुख्यमंत्री रहे मोहन लाल सुखाड़िया की कर्मभूमि मेवाड़ रही,वहीं वागड़ को हरिदेव जोशी ने मुख्यमंत्री बनकर सियासी पहचान दी.आज विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी मेवाड के नाथद्वारा से ही सांसद है और गुलाब चंद कटारिया को गौरव पूर्ण पद मिला है.