सुधारों को तेजी से लागू करने का लाभ भारत को आर्थिक वृद्धि के रूप में मिलेगा : विश्व बैंक

नई दिल्ली:  भारत द्वारा महत्वाकांक्षी सुधार एजेंडा को तेजी से लागू करने का लाभ उसे आर्थिक वृद्धि के रूप में मिल सकता है. विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है. रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि हाल में आर्थिक प्रगति के सभी संकेतक कमजोर रहे हैं, जिसके चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था उपलब्धि शून्य दशक की आशंका का सामना कर रही है.

घटती दीर्घावधि वृद्धि संभावनाएं: रुझान, उम्मीदें और नीतियां शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के प्रभाव को हटा दें तो वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2030 के अंत में तीन दशक में सबसे कम रहेगी. रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 से पहले के दशक में उत्पादकता में वैश्विक मंदी पहले ही दीर्घकालिक आर्थिक संभावनाओं के बारे में चिंताएं बढ़ा रही थी. यह आय वृद्धि और उच्च मजदूरी के लिए जरूरी है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि निवेश वृद्धि कमजोर हो रही है, वैश्विक श्रम शक्ति सुस्त रूप से बढ़ रही है, मानव पूंजी कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रभावित हुई है, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि मुश्किल से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि से मेल खा रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक इन दशाओं में यह एक उपलब्धि शून्य दशक हो सकता है, जैसा कि अतीत में कुछ देशों या क्षेत्रों के लिए हुआ है, वैसा पूरी दुनिया के लिए हो सकता है. अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने के लिए एक बड़ी और व्यापक नीति के अभाव में वैश्विक औसत संभावित जीडीपी वृद्धि दर के 2030 तक घटकर 2.2 प्रतिशत तक आने की आशंका है. यह आंकड़ा 2011-12 के 2.6 प्रतिशत से कम है. (भाषा)