जयपुरः विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर राजस्थान राज्य ने एक बार फिर जैव विविधता के संरक्षण और संवर्धन में अपनी सशक्त भूमिका का प्रदर्शन किया है. "हमारे जीवन के लिए हमारी जैव विविधता" थीम के तहत इस वर्ष का दिन मनाया जा रहा है, और राजस्थान की पहलें इस दिशा में प्रेरणास्त्रोत बनी हुई हैं. 22 मई को विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा.
राजस्थान, जिसे अक्सर मरुस्थलीय राज्य के रूप में देखा जाता है, जैव विविधता के खजाने से भरपूर है. राज्य में विभिन्न जल-स्थल, वन क्षेत्र और जीव-जंतुओं के संरक्षण स्थल मौजूद हैं, जो न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं, बल्कि पर्यटन और स्थानीय आजीविका के प्रमुख स्रोत भी हैं.
रामसर साइट्स की शान
राजस्थान में कुल 3 रामसर साइट्स हैं—केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर), सांभर झील और उदयपुर. इनमें केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों के लिए विश्वविख्यात है. वहीं, सांभर झील एशिया की सबसे बड़ी अंतःस्थलीय लवणीय झील है, जो हजारों फ्लेमिंगो और अन्य पक्षियों की शरणस्थली बनती है. उदयपुर को इसी वर्ष पर रामसर साइट के तौर पर अधिकृत किया गया है. यह सभी साइट्स न केवल जैव विविधता को संरक्षित कर रही हैं, बल्कि राज्य की अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी मजबूत बना रही हैं.
झीलें और जल-आधारित जैव विविधता
उदयपुर, जिसे झीलों की नगरी कहा जाता है, पिचोला, फतेहसागर और जयसमंद जैसी झीलों के माध्यम से सैकड़ों जलजीवों और पक्षियों को आश्रय प्रदान करता है. इन जलाशयों में जैव विविधता का संतुलन बनाए रखने हेतु नियमित रूप से सफाई, अवैध मछली पकड़ने पर नियंत्रण और जलस्तर संतुलन बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं.
जंगल सफारी और वन्य जीवन संरक्षण
रणथंभौर (सवाई माधोपुर), सरिस्का (अलवर) और मुकुंदरा हिल्स (कोटा) टाइगर रिज़र्व्स राजस्थान की वन्य जैव विविधता की रीढ़ हैं. यहां बाघ, तेंदुए, भालू, नीलगाय, हिरण, और सैकड़ों प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं. ये जंगल सफारी पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ जैव विविधता के संरक्षण का संदेश भी देते हैं.
'एक पेड़ मां के नाम' और 'हरियालो राजस्थान' अभियान
राज्य सरकार द्वारा हाल ही में चलाए जा रहे ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान ने सामाजिक भावनाओं को पर्यावरणीय चेतना से जोड़ा है. प्रत्येक नागरिक को प्रेरित किया जा रहा है कि वह अपनी माता के नाम पर एक पौधा लगाए और उसका संरक्षण करे. इसके साथ ही ‘हरियालो राजस्थान’ अभियान के तहत राज्य में लाखों पौधे लगाए जा चुके हैं और वन क्षेत्र विस्तार की दिशा में निरंतर कार्य हो रहा है.
स्थानीय सहभागिता और सहकारी समितियाँ
राजस्थान में जैव विविधता संरक्षण में स्थानीय समुदायों और महिला सहकारी समितियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है. गांवों में महिलाएं जल संरक्षण, पौधरोपण और पारंपरिक जैविक कृषि के माध्यम से जैव विविधता को बचा रही हैं. विश्व जैव विविधता दिवस के अवसर पर राजस्थान ने यह साबित किया है कि यदि नीति, प्रकृति और नागरिक मिलकर प्रयास करें तो मरुस्थल में भी हरियाली, जीवन और संतुलन संभव है. आने वाले वर्षों में जैव विविधता की रक्षा के लिए इन प्रयासों को और सशक्त और समावेशी बनाने की जरूरत है, ताकि भावी पीढ़ियों को एक स्वस्थ और संतुलित पर्यावरण मिल सके.