2050 तक सोडियम की खपत में 30 फीसदी कटौती के लक्ष्य से पिछड़ती नजर आ रही दुनिया- WHO

2050 तक सोडियम की खपत में 30 फीसदी कटौती के लक्ष्य से पिछड़ती नजर आ रही दुनिया- WHO

नई दिल्ली: दुनिया 2025 तक सोडियम के सेवन में 30 फीसदी की कमी लाने के अपने वैश्विक लक्ष्य से पीछे छूटती नजर आ रही है, जो वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों की जान बचाने के लिए अहम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अपनी तरह की पहली रिपोर्ट तो कुछ यही बयां करती है.

सोडियम एक आवश्यक पोषक तत्व है, लेकिन शरीर में इसकी अधिकता हृदयरोग, मस्तिष्काघात (स्ट्रोक) और असामयिक मौत का कारण बन सकती है. नमक (सोडियम क्लोराइड) मानव शरीर में सोडियम का मुख्य स्रोत है. हालांकि, यह सोडियम ग्लूटामेट सहित अन्य मसालों में भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जिनका इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है.

कोई अनिवार्य उपाय लागू नहीं किया गया है:
वैश्विक स्तर पर रोजाना प्रति व्यक्ति औसतन 10.8 ग्राम नमक की खपत होने का अनुमान है. यह आंकड़ा पांच ग्राम से कम नमक इस्तेमाल करने की डब्ल्यूएचओ द्वारा सुझाई गई मात्रा की तुलना में दोगुना से भी अधिक है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के महज पांच फीसदी सदस्य देशों में सोडियम की खपत में कमी लाने के लिए व्यापक एवं अनिवार्य नीतियां बनाई गई हैं, जबकि 73 फीसदी सदस्य देशों में इस तरह की कोई प्रभावी नीति है ही नहीं. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत में ‘प्री-पैकेज्ड’ खाद्य सामग्री पर सोडियम की मात्रा अनिवार्य रूप से दर्ज किये जाने के अलावा कोई अनिवार्य उपाय लागू नहीं किया गया है.

70 लाख लोगों की जान बचाने में मदद मिल सकती है:
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अत्यधिक किफायती सोडियम कटौती नीतियों के कार्यान्वयन से 2030 तक वैश्विक स्तर पर अनुमानित 70 लाख लोगों की जान बचाने में मदद मिल सकती है. इसमें कहा गया है कि यह कदम गैर-संचारी रोगों से होने वाली मौतों में कमी लाने के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने की कवायद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ नौ देशों- ब्राजील, चिली, चेक गणराज्य, लिथुआनिया, मलेशिया, मेक्सिको, सऊदी अरब, स्पेन और उरुग्वे में सोडियम की खपत में कटौती के लिए व्यापक एवं अनिवार्य अनुशंसित नीतियां मौजूद हैं.

बाय’ हस्तक्षेपों को लागू करने का आह्वान किया:
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने एक बयान में कहा कि अस्वास्थ्यकर आहार वैश्विक स्तर पर बीमारियों और मौतों के मुख्य कारकों में शुमार है और सोडियम का अत्यधिक सेवन बड़ी संख्या में मौतों और बीमारियों का कारण बनता है. घेब्रेयेसस ने कहा कि यह रिपोर्ट दर्शाती है कि ज्यादातर देशों में सोडियम की खपत में कटौती के लिए कोई अनिवार्य नीति अपनाया जाना अभी बाकी है, जिससे वहां के लोगों में हृदयाघात, मस्तिष्काघात और अन्य स्वास्थ्य विकारों का खतरा बढ़ जाता है डब्ल्यूएचओ ने सोडियम की खपत में कटौती के लिए सभी देशों से उसके चार ‘बेस्ट बाय’ हस्तक्षेपों को लागू करने का आह्वान किया.

कम सोडियम वाले उत्पाद चुनने में मदद मिल सके: 
इनमें नमक की मात्रा में कमी लाने के लिए खाद्य पदार्थों के उत्पादन की प्रक्रिया बदलना, खाद्य सामग्री एवं भोजन में सोडियम की मात्रा निर्धारित करना, अस्पतालों, विद्यालयों, कार्यस्थलों और नर्सिंग होम जैसे सार्वजनिक संस्थानों में नमक या सोडियम-युक्त खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सीमित करने के लिए सार्वजनिक खाद्य खरीद नीतियों का निर्माण करना और खाद्य सामग्री के पैकेट के सामने वाले हिस्से पर उसमें मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी उपलब्ध कराना शामिल है, ताकि लोगों को कम सोडियम वाले उत्पाद चुनने में मदद मिल सके. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि विभिन्न अध्ययनों से सोडियम के अत्यधिक सेवन और गैस्ट्रिक कैंसर, मोटापे, ऑस्टियोपोरोसिस व किडनी रोग सहित अन्य घातक बीमारियों के बीच सीधा संबंध होने के संकेत मिल रहे हैं. सोर्स-भाषा