श्योपुर: भारत में पिछले सात दशक से विलुप्त चीतों को पुन: बसाने की योजना ‘‘चीता प्रोजेक्ट’’ के तहत भारतीय वायुसेना के विमान से दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को शनिवार को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लाकर अलग अलग बाड़ों में छोड़ दिया गया. इसके साथ ही केएनपी में अब कुल 20 चीते हो गए हैं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने दोपहर के आसपास ग्वालियर से भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों से केएनपी लाए जाने के बाद इन चीतों को अलग अलग बाड़ों में छोड़ा.
भारतीय वायुसेना का परिवहन विमान चीतों को लेकर सुबह करीब दस बजे ग्वालियर हवाई अड्डे पर उतरा. 12 चीतों का यह दूसरा जत्था केएनपी लाया गया है. इनमें सात नर और पांच मादा चीते शामिल हैं. इससे पहले पिछले साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केएनपी में एक समारोह में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के पहले जत्थे को बाड़ों में छोड़ा था. कुनो के वन मंडलाधिकारी पी के वर्मा ने मौके से पीटीआई-भाषा को बताया कि दक्षिण अफ्रीका से आए चीतों को पृथक-वास में रखा गया है.’’ परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने बताया कि इन चीतों ने परिवहन विमान से दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग स्थित ओआर टांबो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हजारों मील दूर भारत में अपने नए घर के लिए यात्रा शुक्रवार शाम को शुरू की थी.
केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी चीतों के लिए 10 बाड़े स्थापित किए हैं. इनमें से दो बाड़ों में दो जोड़ी चीता भाइयों को रखा जाएगा. भारत में अंतिम चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. भारत में चीतों को फिर से बसाने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की गई. इसके तहत पहले नामीबिया से और अब दक्षिण अफ्रीका से चीतों को यहां लाया गया है. सोर्स- भाषा