गुवाहाटी: गौहाटी हाई कोर्ट ने राज्य की जेलों में बंद कैदियों की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी के लिए मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्डों और समितियों के प्रभावी कामकाज के लिए असम सरकार को मार्च तक का समय दिया है.
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश आरएम छाया और न्यायाधीश सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक अप्रैल से बोर्डों के कामकाज शुरू करने के लिए सभी व्यवस्था करने का निर्देश दिया. दिनांक 13 दिसंबर के आदेश में कहा गया है कि प्रतिवादी अधिकारियों को प्रक्रिया पूरी करने के लिए 31.03.2023 तक का समय दिया जाता है और इसके लिए आवश्यक बजटीय आवंटन का प्रावधान भी किया जाए ताकि मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड और समितियां 01.04.2023 से प्रभावी ढंग से काम करना शुरू कर सकें.
कार्यान्वयन के लिए संबंधित बोर्डों के ध्यान में लाया जाएगा:
पीठ ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को राज्य की जेलों, विशेष रूप से मोरीगांव जिला जेल में न तो लागू किया गया और न ही इसका पालन किया गया. अदालत ने निर्देश दिया कि प्रत्येक जिले में मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड को अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपनी चाहिए. आदेश में कहा गया है,यदि कोई विसंगति पाई जाती है, तो उसे अधिनियमों के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संबंधित बोर्डों के ध्यान में लाया जाएगा.
समितियों को निर्धारित बजट की आवश्यकता होती है:
पीठ ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार कैदियों को जेलों में सामान्य कैदियों के साथ रखा जाता है, और कहा कि याचिकाकर्ता ‘स्टूडियो नीलिमा: कोलेबरेटिव नेटवर्क फॉर रिसर्च एंड कैपेसिटी बिल्डिंग’ ने दो अधिनियमों के प्रावधानों को लागू न करने के उदाहरणों को साझा किया है. सरकार ने अदालत को बताया कि इन बोर्डों और समितियों को निर्धारित बजट की आवश्यकता होती है, जो सक्रिय रूप से विचाराधीन हैं और इसके लिए प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे. सोर्स-भाषा