अहमदाबाद Gujarat Election Result 2022: गुजरात में प्रचंड जीत की ओर भाजपा, भूपेंद्र पटेल 10 या 11 दिसंबर को ले सकते शपथ 

Gujarat Election Result 2022: गुजरात में प्रचंड जीत की ओर भाजपा, भूपेंद्र पटेल 10 या 11 दिसंबर को ले सकते शपथ 

 Gujarat  Election Result 2022: गुजरात में प्रचंड जीत की ओर भाजपा, भूपेंद्र पटेल 10 या 11 दिसंबर को ले सकते शपथ 

अहमदाबाद: गुजरात में भाजपा प्रचंड जीत की ओर बढ रही है. जानकारी के मुताबिक भूपेंद्र पटेल 10 या 11 दिसंबर को शपथ ले सकते है. शपथ ग्रहण समारोह में PM मोदी, अमित शाह शामिल होंगे. भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे. इससे पहले गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को जारी मतगणना के शुरुआती रुझानों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बड़ी बढ़त हासिल करती नजर आ रही है. भाजपा 1995 से राज्य में कोई विधानसभा चुनाव नहीं हारी है. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध सुबह 10.30 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 150 सीटों पर, कांग्रेस 18 और आम आदमी पार्टी (आप) छह सीटों पर आगे चल रही है. भाजपा के कई विधायक शुरुआती रुझानों में आगे चल रहे हैं. हार्दिक पटेल, पुर्णेश मोदी और कई अन्य चर्चित चेहरे भी आगे हैं. आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी खम्भालिया विधानसभा सीट से आगे चल रहे हैं. 

आप सोमनाथ, व्यारा, जामनगर (उत्तर) और कुछ अन्य सीटों पर आगे है. गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना राज्य के 37 मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में बृहस्पतिवार सुबह शुरू हुई. आप के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, जिससे कांग्रेस की परेशानी बढ़ी हुई है. गुजरात में बहुमत के लिए कुल 182 सीट में से किसी भी पार्टी को 92 का आंकड़ा छूना होगा. चुनाव बाद के सर्वेक्षणों में भाजपा के आसान जीत दर्ज करने और लगातार सातवीं बार राज्य में सरकार बनाने का पूर्वानुमान लगाया गया है.

नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के संजय कुमार ने कहा कि अगर भाजपा गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बहुमत हासिल कर लेती है तो इससे पार्टी का मनोबल काफी बढ़ेगा. भाजपा ने राज्य में 27 साल के शासन के बाद सत्ता विरोधी भावनाओं से जूझते हुए हाल का चुनाव लड़ा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी के लिए ‘तुरुप का इक्का’ थे और सत्तारूढ़ दल ने सत्ता विरोधी लहर के मुकाबले के लिये ‘ब्रांड मोदी’ पर भरोसा किया.

चुनावों में प्रमुख मुद्दों में बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, राज्य के कुछ हिस्सों में पानी नहीं पहुंचना, बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण और किसानों को अत्यधिक बारिश के कारण फसल क्षति का उचित मुआवजा नहीं मिलना था. इस बार मतदान प्रतिशत 2017 की तुलना में लगभग चार प्रतिशत कम हुआ। राज्य में 2017 में 68.39 प्रतिशत के मुकाबले इस बार सिर्फ 64.33 प्रतिशत मतदान हुआ.

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