बांसवाड़ा: रियासत काल से दशहरे (Dussehra) पर निकाली जाने वाली अंबामाता मंदिर (Ambamata Temple) से मातारानी की परम्परागत सवारी बुधवार को हर्षोल्लास पूर्वक निकाली गई. सवारी प्रमुख मार्गों से होकर वनेश्वर शिवालय पहुंची और वहां पूजन आदि के बाद पुन: निज मंदिर पहुंची. जहां महाआरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े. वहीं कालिकामाता में मातारानी की स्तुति करते हुए श्रद्धालुओं ने गरबा खेला.
बुधवार सुबह मां अंबे के जयकारों के साथ सवारी आरंभ हुई. सवारी में एक पालकी में मातारानी की पुष्पों से सुसज्जित तस्वीर थी तो दूसरी पालकी में अखंड ज्योत रखी थी. आगे युवा भगवा ध्वज लहराते हुए और श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए चल रहे थे. सवारी शहर के प्रमुख मार्गों से होकर वनेश्वर पहुंची. जहां भगवान के पूजन-दर्शन के बाद सवारी परम्परागत मार्ग से होते हुए पुन: अंबामाता मंदिर पहुंची. यहां भक्तों ने विदाई गरबा ‘बोल्यू-चाल्यू माफ करजो' सहित अन्य गरबों का गायन किया. आरती के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ.
गरबा खेलने में पुरुष श्रद्धालु भी पीछे नहीं:
सवारी के दौरान कालिकामाता और अन्य स्थान पर श्रद्धालुओं ने जमकर गरबा खेला. बड़ी संख्या में महिलाएं, युवतियां और बालिकाएं ‘फर-फर चुनरी फरतो जाए, आज मां नो गरबों रमतो जाए..., सोना नो गरबो नै रूपा नो गरबो..., हे मां महाकाली नू मुखड़ो लाल गुलाल रे..., मां नी चुनरी उड़े आकाश रे..., मां पावा ने गढ़ थी, उतर्या मां काली..., तू तो काली ने कल्याणी ओ मां...' आदि गरबों पर जमकर थिरकी. गरबा खेलने में पुरुष श्रद्धालु भी पीछे नहीं रहे.