जयपुर: आईटी और आर्टिफिशियल इंटलिजेंस का जमाना है. लेकिन सरकारी विभाग अभी भी बाबा आदम के समय के नियमों का बोझ ढो रहे हैं. यहां तक कि कई विभागों में नए समय के हिसाब से नए नियम भी बना लिए हैं लेकिन विभागीय वेबसाइट पर इसे अपडेट ही नहीं किया गया. ऐसे में सीएस उषा शर्मा ने फिर विभागों को अपनी नियमावली बनाने, नियमों को अपडेट करने और अपडेटेड नियमों की पूरी नियमावली को विभागीय वेबसाइट पर 3 माह में अपडेट करने के निर्देश दिए हैं.
गुड गवर्नेंस का उसूल है कि विभागों के कामकाज के तरीके में पारदर्शिता हो और इसके लिए जरूरी है कि आम जनता की सहूलियत और जरूरत के मुताबिक नियमों को बदलते हुए सर्विस डिलीवरी सुनिश्चित की जाए. इस पर भी सरकारी विभागों के कामकाज के तरीके में खास बदलाव नहीं आया है.
ऐसे में सीएस उषा शर्मा ने ये दिए हैं निर्देश
विभाग नए समय के हिसाब से करें नियमों में बदलाव.
RTI, लोक सेवाओं के प्रदान की गांरटी, अन्य नियमों अनुसार हो बदलाव.
IT के बढ़ते उपयोग के मद्देनजर हो बदलाव.
विभाग की कार्य प्रकृति अनुसार किया जाए बदलाव .
साथ ही इस समय की कार्य प्रकृति कितनी बदली, उसके अनुसार हो बदलाव.
विभाग में पदों के कार्य मापदंड और कर्तव्यों के निर्धारण का रखा जाए बदलाव में ध्यान.
इन मापदंडों अनुसार बनाए विभाग अपनी नियमावली.
जिन विभागों में पहले से ही है नियमावली, उनमें हो अपडेशन / संशोधन.
विभागीय नियम तैयार करने या अपडेट करने में तय फॉर्मेट का रखा जाए ध्यान.
इसके लिए तय दिशानिर्देशों का भी रखा जाए ध्यान.
ये हैं नियमावली बनाने/ अपडेशन के दिशानिर्देश
विभाग नियमावली तैयार करने/अपडेशन, संशोधन का काम करेंगे 3 माह में पूरा.
इस काम में लिया जा सकता है विशिष्ट अनुभवी लोगों का योगदान.
प्रशासनिक विभाग की राय / पूर्वानुमति लेकर रिटायर्ड या अनुभवी कर्मचारी से टास्क बेसिस पर काम करवाना संभव.
HOD नियम अनुसार पारिश्रमिक / मुद्रण और अन्य खर्चा कर सकेंगे.
पारिश्रमिक राशि को किए काम के अनुपात में तय किश्तों अनुसार किया जाए.
नियमावली में सारे पहलू शामिल हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करके होगा अंतिम किश्त का भुगतान.
राज्य सरकार के सारे स्थायी और समय-समय पर जारी विभागीय आदेशों को किया जाए शामिल.
विभागीय गतिविधियों के नियमों, प्रावधानों को नियमावली में किया जाए शामिल.
विभाग के विशिष्ट मामले किस प्रक्रिया,किस स्तर से और किन पहलुओं के मद्देनजर कितने समय में निपटाए जाएंगे, इसका हो जिक्र.
विशिष्ट सत्र में विशिष्ट काम कराए जाएं तो उस काम की प्रकृति और उसे पूरा करने के मापदंड का रखा जाए ध्यान.
उस काम को पूरा करने के समय / अवधि / माह / सत्र का हो नियमावली में जिक्र .
दौरे करने वाले अधिकारियों के निरीक्षण या दौरे को भी किया जाए नियमावली में शामिल.
वेबसाइट,पोर्टल का विवरण और उन पर मामलों के निपटारे की प्रक्रिया और दिशानिर्देशों को किया जाए शामिल.
नियमावली में जरूरी फॉर्मेट के नमूने / प्रारूप को किया जाए शामिल .
नियमावली बनाने व अपडेशन में यह ध्यान रखा जाए कि उसके नियम या दिशानिर्देश सरकार के प्रसारित नियमों के खिलाफ नहीं हो.
यह नियमावली ऐसी हो कि यह विभाग के लिए पथ प्रदर्शिका का काम कर सके.
कुछ विभाग ऐसे भी हैं जिनके नियम एक जगह पर उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में सीएस ने ARD के जरिये अपने परिपत्र में हर विभाग की विभागीय
नियमावली होनी चाहिए. साथ ही उसका समय की जरूरत अनुसार अपडेशन और संशोधन भी किया जाना चाहिए.