बॉलीवुड की असफलता पर Karan Johar का बेबाक बयान, कही ये बात

मुंबई : फिल्म मेकर करण जौहर (Karan Johar) हमेशा किसने किसी बात के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं. उनसे बॉलीवुड से संबंधित कोई सवाल पूछा जाता है तो वह बेबाकी से अपनी राय रखते हैं. इस बार उन्हें फिलहाल बॉलीवुड की जो स्थिति चल रही है उस पर बात करते हुए देखा गया और उन्होंने खुद को भी जिम्मेदार ठहराया है.

एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में करण जौहर (Karan Johar) ने कहा कि चीजों को आजमाने के लिए बॉलीवुड में रीढ़ की हड्डी नहीं है और ना ही दृढ़ निश्चय है। उन्होंने कहा कि यह इंडस्ट्री ट्रेंड में चल रही चीजों और फायदे की गाड़ी पर सवार हो जाती है। करण ने कहा कि मुंबई और दिल्ली के लगभग 60 से 70% दर्शक फिल्म देखने के लिए जाते हैं जिससे बिजनेस पर प्रभाव पड़ता है. लेकिन अब लोगों का रवैया बदल गया है पैंडेमिक से पहले जिस तरह फिल्म देखने के लिए जाते थे वैसे अब नहीं जाते हैं.

करण ने कहा कि फिल्में अब वैसी कमाई नहीं कर रही है और ना ही आने वाले समय में करने वाली है क्योंकि पहले जिन फिल्मों को 70 करोड़ मिल जाते थे वह अब 30 करोड़ भी नहीं कमा पा रही। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में यह आंकड़ा नहीं बदलने वाला है.

बॉलीवुड की खामियों के बारे में बात करते हुए करण (Karan) ने कहा कि हिंदी की सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि कहानी कि कहानी को लेकर दृढ़ निश्चय और आस्था हमारे अंदर नहीं है. सलीम जावेद जैसी आवाज ने 70 के दशक तक कहानी और किरदार को सहेज कर रखा था. 80 के दशक से हमने फिल्मों के रीमेक बनाना शुरू कर दिया और दृढ़ निश्चय खत्म होना शुरु हो गया. बाद हम हर तमिल और तेलुगु फिल्म का रीमेक बनाने लगे कुछ फिल्में हिट होने लगी तो बॉलीवुड में एक ही ट्रेंड फॉलो करना शुरू कर दिया.

करण जौहर (Karan Johar) ने कहा कि नब्बे के दशक में हमने लव स्टोरी देखी जो देश भर के दर्शकों को बहुत पसंद आई थी. वह फिल्म थी हम आपके हैं कौन इसके बाद मेरे सहित सभी ने लव स्टोरी बनाना शुरु कर दी और दुनिया को एक शाहरुख खान दे दिया. लेकिन इस वजह से हमने अपना 70 का दशक यानी अपनी जड़ों को पीछे छोड़ दिया है. 

उन्होंने बताया कि साल 2001 में फिल्म लगान के बाद उसी तरह की फिल्में बनने लगी। 2010 में बॉक्स ऑफिस पर दबंग के आने के बाद सभी को लगाकर कमर्शियल फिल्मों का द्वारा गया है और यही बनने लगा। करण ने कहा कि दिक्कत यह है कि मैं यह बात अपने लिए भी कर रहा हूं कि हमारे अंदर दृढ़ निश्चय और रीढ़ की हड्डी नहीं है यह चीजें हमें दूसरी इंडस्ट्री से सीखने की जरूरत है।