जयपुर: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 4 दिसंबर को राजस्थान के हाड़ौती के उस प्रवेश द्वार से दाखिल होगी जो क्षेत्र मालव संस्कृति का अंग रहा है. हाड़ौती को आरएसएस की प्रयोगशाला भी कहा जाता रहा है. हम बात कर रहे झालावाड़ की, सूर्य मंदिर की आभा झालावाड़ को नई ऊर्जा देती है और चंद्रमौली महादेव देते आशीर्वाद. हाड़ौती की सियासत जनसंघ और बीजेपी के अजेय इतिहास के लिए जानी जाती है झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी तक फैला हाड़ौती हमेशा से कांग्रेस के लिए कमजोर कड़ी रहा. झालावाड़ जिले की सीटो पर तो पिछले दो चुनावों से कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला. कांग्रेसियों को उम्मीद है कि राहुल गांधी की पदयात्रा से कांग्रेस को संजीवनी मिलेगी. आज हाड़ौती की 17 विधानसभा सीटों में से 10 बीजेपी और 7 कांग्रेस के पास है और 2 संसदीय सीटों पर "कमल" स्थापित है. गांधी परिवार ने हाड़ौती के कई दौरे किए लेकिन राहुल गांधी की पदयात्रा लीक से हटकर होगी.
पहली बार राहुल गांधी अपनी पार्टी की सरकार वाले राज्य राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा का आगाज करेंगे. राजस्थान में सरकार कांग्रेस की लेकिन पहली राजनैतिक चुनौती मिलेगी उस हाड़ौती की धरती से जहां 1952 से हाथ पर जनसंघ और बीजेपी भारी रही है. पदयात्रा का मकसद रहेगा इतिहास बदलना. पदयात्रा की शुरुआत होगी झालावाड़ से. राजस्थान के हाड़ौती और मध्यप्रदेश के मालवा अंचल की संधि रेखा पर झालावाड़ स्थित है. यहीं कारण है कि ये मालव संस्कृति का अंग रहा है. रामायण, महाभारत और पौराणिक शहरों में इसे गिना जाता है.
चंद्रमौलेश्वर मंदिर यहां के आराध्य है, तो वहीं सूर्य मंदिर की आभा झालावाड़ को नई ऊर्जा देती है. गागरोन का शान से खड़ा जलदुर्ग इतिहास को संजोता है. मौर्य, मालव, गुप्त, खींची, परमार, खिलजी, मुगलों, मराठों, झालाओं के शासन झालावाड़ ने देखें. त्याग, तपस्या और जौहर की यह धरती रही है. संत पीपाजी ने सर्व सदभाव परंपरा की नींव रखी. आधुनिक झालरापाटन को बनाने का श्रेय झाला जालिम सिंह के शासन को जाता है. चांदी और तांबे के सिक्के यहां बनते थे. गुरु नानक के संदेशों की यह धरती रही थी. वहीं गंगा जमनी तहजीब की मिसाल मामा-भांजे की दरगाह यहां मौजूद है.
सूफी संतो को झालावाड़ प्रिय रहा उनकी सीख आज भी यहां जिंदा है. जैन संप्रदाय का भी प्रमुख तीर्थ शांति नाथ जैन मंदिर यहीं है. बौद्ध कालीन गुफायें यहां मिली है. धर्म का केन्द्र होने के कारण ही कर्नल टॉड ने इसे सिटी ऑफ बेल्स कहा था. राहुल गांधी का पहला पड़ाव झालरापाटन में ही होगा. पहले बताते हैं आपको कि आखिर हाड़ौती क्यों संघ-जनसघ और बीजेपी के लिए मजबूत रहा और क्यों कांग्रेस के लिए चुनौती. हाड़ौती के झालरापाटन से वसुंधरा राजे विधायक बनकर मुख्यमंत्री के ओहदे तक पहुंची, वो भी एक बार नहीं दूसरी बार,1989 से 2004 तक वसुंधरा राजे सांसद रही और उसके बाद से अब तक उनके पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद, अतिश्योक्ति नहींहै की झालावाड़ वसुंधरा राजे का अभेद्य दुर्ग है. पिछले दो विधानसभा चुनावों से झालावाड़ जिले की चारों सीटों पर कमल ही खिल रहा है.
---झालावाड़ जिला और कमल---
- जिले की चार विधानसभा सीट खानपुर, झालरापाटन मनोहर थाना और डग
- इन सभी सीटों पर बीजेपी के विधायक
- झालरापाटन से वसुंधरा राजे विधायक
- झालावाड़-बारां लोकसभा सीट से बीजेपी के दुष्यंत सिंह सांसद
- 2008 में कांग्रेस ने मनोहर थाना और डग जीते थे
- 1998 में खानपुर में कांग्रेस जीती थी
- वसुंधरा राजे झालावाड़ की सबसे बड़ी नेता ,अभी तक 'अजेय''
- पुराने नेताओं में वो जिन्होंने झालवाड़ में जनसंघ- बीजेपी को खड़ा किया, इमरजेंसी में जेल गये
फूलचंद सर्राफ:- संघपृष्ठ भूमि, जनसंघ को खड़ा किया
नेमीचंद कागला:- संघपृष्ठ भूमि, जनसंघ को खड़ा किया
निर्मल कुमार सकलेचा:- संघपृष्ठ भूमि, जनसंघ को खड़ा किया
गुरुल दास वटवानी:- संघपृष्ठ भूमि, जनसंघ को खड़ा किया
सुधीर काका:- संघपृष्ठ भूमि, जनसंघ को खड़ा किया
सुदर्शन काका:- संघपृष्ठ भूमि, जनसंघ को खड़ा किया
चतुर्भुज वर्मा:- लोकसभा सदस्य रहे और राज्य सरकारों में दो बार मंत्री, खानपुर विधायक नरेन्द्र नागर है चतुर्भुज वर्मा के दामाद
स्वर्गीय अनंग कुमार जैन:- भैंरो सिंह शेखावत सरकार मंत्री रहे थे, इस इलाके के वरिष्ठ नेता
एसएन गुप्ता:- बीजेपी के वरिष्ठ नेता
श्याम सुंदर शर्मा:- बीजेपी के वरिष्ठ नेता, राजे के विश्वस्त
श्रीकिशन पाटीदार:- वसुंधरा राजे के सिपहसलार
---झालावाड़ और हाथ---
- यहां कांग्रेस की सियासत पर माधवराव सिंधिया का प्रभाव रहा
- जुझार सिंह पूर्व सांसद
- मान सिंह चौहान वरिष्ठ नेता
इन सब में सबसे अहम है लाल कृष्ण आडवाणी, 60 से 70 दशक के बीच आर एस एस के प्रचारक के तौर पर लालकृष्ण आडवाणी ने झालावाड़ में प्रवास किये, कुछ साल उन्होंने झालावाड़ के पाटन में बिताये और संघ को सशक्त बनाने का काम किया. एम पी से सटे होने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने भी हाड़ौती में संघ प्रचारक के तौर पर भूमिका निभाई थी. हाड़ौती में जनसंघ और बीजेपी की मजबूती के लिए ही राजमाता विज्याराजे सिंधिया को जाना जाता है. प्रदेश कांग्रेस के संगठन सचिव रामसिंह कसवां साफ मानते है कि वसुंधरा राजे फैक्टर यहां कांग्रेस की कमजोर परिस्थितियों का कारण है.
बारां जिले की चार सीटों में से तीन कांग्रेस के पास है अंता से प्रमोद भाया, बारां अटरु से पानाचंद मेघवाल और किशनगंज से निर्मला सहरिया कांग्रेस विधायक और एक सीट छबड़ा से बीजेपी के प्रताप सिंह सिंघवी विधायक है. यहां कांग्रेस के बड़े नेता प्रमोद जैन भाया की सियासी ताकत के कारण बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलती रही. झालवाड़-बारां संसदीय सीट पर भी बीजेपी सबसे कड़ी चुनौती तभी मिली जब भाया की उर्मिला जैन ने लोकसभा चुनाव लडा था. अभी प्रमोद जैन भाया गहलोत सरकार में खनिज मंत्री है.
---बारां और कमल---
चतुर्भुज वर्मा:- राज्य सरकार में मंत्री रहे
रघुवीर सिंह कौशल:- भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे
प्रेम सिंह सिंघवी:- विधायक रहे और भैंरो सिंह शेखावत के लिये छबड़ा सीट छोड़ी थी. प्रेम सिंह सिंघवी के पुत्र प्रताप सिंघवी आज छबडा विधायक है.
देवीदत्त गाडिया:- जनसंघ के जमाने के नेता
प्रेम नारायण गालव:- आज वरिष्ठ जन बोर्ड चैयरमेन
हेमराज मीना:- पूर्व विधायक
यशभानु जैन:- जनसंघ के जमाने के नेता
मदन दिलावर:- पूर्व मंत्री, विधायक
---बारां और हाथ---
- शिवनाथ धाकड पूर्व विधायक
- प्रमोद जैन भाया खनिज मंत्री
कोटा को हाड़ौती का प्रमुख सियासी केंद्र माना जाता है. आज देश के सियासी मानचित्र पर अंकित है कारण है ओम बिरला, कोटा बूंदी सांसद ओम बिरला देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा के स्पीकर है. बिरला पहले भाजपा के विधायक भी रह चुके. कांग्रेस की कोटा की सियासत यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के इर्द गिर्द घूमती है. कोटा में छह सीटें है इनमे से सांगोद से भरत सिंह, कोटा उत्तर से धारीवाल और पीपल्दा से रामनारायण मीणा कांग्रेस के विधायक है. तीनों ही हाड़ौती कांग्रेस के दिग्गज है. कोटा दक्षिण से संदीप शर्मा, रामगंज मंडी से मदन दिलावर, लाडपुरा कल्पना राजे बीजेपी से विधायक है.
राजस्थान में कोटा को संघ की प्रयोगशाला का केंद्र कहा गया, फिर भी कांग्रेस ने समय समय पर अच्छा प्रदर्शन किया. बीजेपी के शासन काल में कोटा के नेताओ की मंत्रिपरिषद में धाक रही, चाहे ललित किशोर चतुर्वेदी हो या रघुवीर कौशल या फिर हरिकुमार ओदिच्य,उधर कांग्रेस में शहर में धारीवाल और ग्रामीण में रामनारायण मीणा मजबूत है, दोनों सांसद भी रह चुके. बीजेपी के कोटा के ग्रामीण इलाके में प्रहलाद गुंजल का दबदबा है, कोटा सिटी में सेवन वंडर्स बनाने के लिए धारीवाल को जाना जाता है. एक दौर था रामकिशन वर्मा का भी जिनकी तूती बोलती थी.
---कोटा और कमल---
कृष्ण कुमार गोयल:- केन्द्र सरकार में मंत्री रहे थे,राज्य सरकार में उधोग मंत्री भी रहे
स्वर्गीय ललित किशोऱ चतुर्वेदी:- भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री
दाऊदयाल जोशी:- पूर्व सांसद
हरिप्रसाद औदिच्य:- पूर्व शिक्षा मंत्री
मणिभाई पटेल:- जनसंघ के जमाने के नेता
हरिकृष्ण जोशी:- जनसंघ के जमाने के नेता
हरीश शर्मा:- जनता पार्टी के नेता रहे
प्रकाश चंद:- संघ प्रचारक बीजेपी के पूर्व संगठन महामंत्री
ओम बिरला:- लोकसभा अध्यक्ष, कोटा -बूंदी से भाजपा सांसद, पूर्व संसदीय सचिव
प्रहलाद गुंजल:- हाड़ोती के सबसे बड़े गुर्जर नेता, पूर्व विधायक
भवानी सिंह राजावत:- पूर्व संसदीय सचिव
मदन दिलावर:- भाजपा विधायक, हार्डकोर संघनिस्ठ नेता
---कोटा और हाथ---
भुवनेश चतुर्वेदी:- पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व पीएम नरसिम्हा राव के खास, इंदिरा गांधी के भी करीबी रहे
रिखब चंद धारीवाल:- वरिष्ठ नेता, शांति धारीवाल के पिता
ईसरारुल हक:- पूर्व सांसद
रामकिशन वर्मा:- पूर्व मंत्री, प्रखर नेता
बूंदी में एक दौर तक कांग्रेस का वर्चस्व रहा. पंडित नेहरू के करीबी ऋषि दत्त मेहता ने प्रखर स्वाधीनता सेनानी रहे, ऋषिदत्त को टिकट नहीं मिटा तब भी नेहरू जी ने चुनाव लड़ाया. उनके परिवार के ही स्वाधीन मेहता और सत्यभामा ने कांग्रेस के लिए कार्य किया, पूर्व बृज सुंदर शर्मा यहां के बड़े नेता रहे और ब्राह्मण पॉलिटिक्स को धार दी. आगे चलकर हरिमोहन शर्मा ने अपनी पकड़ बनाई. लेकिन जनसंघ और बीजेपी ने यहां आगे चलकर जड़े जमा ली. पुरुषार्थ वर्ग, मूल ओबीसी के वोट का बीजेपी को लाभ मिला.
---बूंदी और कमल---
ओम प्रकाश शर्मा:- जनसंघ जमाने के नेता
स्वर्ण भाटिया:- वरिष्ठ भाजपाई
हरिप्रसाद शर्मा:- जनसंघ जमाने के नेता
मांगीलाल मेघवाल:- पूर्व विधायक
प्रभुलाल करसोलिया:- वरिष्ठ भाजपा नेता
नाथूलाल गुर्जर:- पूर्व भाजपा विधायक
ममता शर्मा:- पूर्व संसदीय सचिव, पहले कांग्रेस में थी आज बीजेपी में
बाबू लाल वर्मा:- राजे सरकार में मंत्री रह चुके
चंद्रकांता मेघवाल:- बीजेपी विधायक के पाटन
---बूंदी और हाथ---
ऋषि दत्त मेहता:- स्वाधीनता सेनानी
बृज सुंदर शर्मा:- पूर्व मंत्री
भैरों प्रकाश माथुर:- वरिष्ठ नेता
गोपीदत दौराश्री:- वरिष्ठ नेता
रंगलाल:- वरिष्ठ नेता
ललित-दाऊदयाल-कौशल की तिकड़ी हाड़ौती की बीजेपी में चर्चित रही है. इनके नाम कमाल का सियासी प्रदर्शन है. जिसने स्थानीय कांग्रेस की जड़े हिला दी थी. बीते कई सालों से यहां बीजेपी पर्याय है वसुंधरा राजे. ओम बिरला नई सियासी ताकत बनकर उभरे हैं. कांग्रेस ने हाड़ौती पर पूरी तरह परचम फहराने के लिए चुनावों में कई प्रयोग किये लेकिन वो असफल साबित हुये. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने हाड़ौती की धरती पर चुनावी यात्राएं की, राहुल गांधी भी पहले आ चुके...लेकिन अब नए अंदाज में राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के जरिए परवन नदी की पाल पर चढ़कर सियासी हुंकार भरने जा रहे हैं. पदयात्रा में गूंज ERCP की भी होगी