बीकानेर: निर्वाचन आयोग ने शनिवार को सरदार शहर में उपचुनाव का ऐलान कर दिया. 5 दिसंबर को यहां पर चुनाव होगा. सरदारशहर विधानसभा सीट दरअसल दलों से ज्यादा भंवर लाल शर्मा के राजनीतिक करियर के लिए जानी जाती है. वे यहां से 7 बार विधायक रहे और तीन बार अलग दलों या निर्दलीय चुनाव जीते. चुनाव की घोषणा के बाद से ही टिकट की टिक टिक शुरू हो गई है. सरदारशहर विधानसभा सीट पर चुनाव के इतिहास के साथ-साथ भविष्य की संभावनाओं को तलाशती एक खास रिपोर्ट.
सरदार शहर में उप चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दलों ने गणित लगाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट कर एक तरह से आत्मविश्वास दिखाया है कि जीतेगा सुशासन और जीतेगी. कांग्रेस तो वहीं भाजपाई भी सियासी शतरंज पर अपने मोहरों की दाल भात रही है. दरअसल दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा की सरदारशहर में अपनी एक पहचान रही है. लोगों से उनके जुड़ाव का ही नतीजा ही है कि वे 7 बार यहां से विधायक चुने गए बिना कांग्रेस और भाजपा के विवो चुनाव जीते यानी दलों से हटकर भंवरलाल शर्मा के यहां पर लेकिन रही है.
एक देसी कहावत बहुत प्रचलित रहती है कि भैंस ब्याने पर भी भंवरलाल आ जाते हैं जो यह बताता है कि भंवर लाल शर्मा ने भले ही पार्टियों को छोड़ा पकड़ा हो, पर अपने इलाके की जनता की नब्ज को कभी नहीं छोड़ा. ऐसे में बहुत उम्मीदें लगाई जा रही है कि उन्हीं के बेटे अनिल शर्मा को कांग्रेस का टिकट जा सकता है तो वहीं भाजपा में रहकर अनिल पिता का नाम तो आ ही रहा है साथ ही साथ यह संभावना भी उभर रही है कि भाजपा यहां किसी किसान नेता पर भी दांव लगा दे राजनीति संभावनाओं की कला है भविष्य में क्या होगा इसका इंतजार करना होगा, लेकिन आइए हम नजर डालते हैं सरदार शहर के चुनावी इतिहास पर.
सरदार शहर विधानसभा सीट पर ये तीसरा उपचुनाव है:
इससे पहले हुए दो उपचुनाव
-1993 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के नरेन्द्र
बुढानिया ने भाजपा के भंवर लाल शर्मा को हराया
- 1996 में नरेंद्र बुडनिया के सांसद बनने से खाली हुई सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें भंवर लाल शर्मा विजयी रहे
-1985 में लोकदल से ,1990 में जनता दल से और 1996 में जनता दल से भंवर लाल चुनाव जीते
-तो वही भंवर लाल शर्मा 1998,2003 ,2013 2018 में कांग्रेस से चुनाव जीतने में कामयाब रहे
सरदारशहर से कांग्रेस के दिग्गज नेता चंदनमल बैध भी विधायक रहे हालांकि उनको भंवर लाल शर्मा ने हराया. दलों के हिसाब से गणित को समझे तो कांग्रेस यहां से 6 बार जीतने में कामयाब रही ,भाजपा को इतनी सफलता नहीं मिली. हालांकि शुरुआती दौर में जनता पार्टी से हजारीमल और बीजेपी से मोहनलाल चुनाव जीते थे. उप चुनाव की घोषणा के साथ ही अब टिकट को लेकर क़यास शुरू हो गए हैं. माना जा रहा है कि सरदार शहर में भंवरलाल शर्मा के पुत्र अनिल शर्मा को कांग्रेस टिकट थमा सकती है, तो वहीं भाजपा में एक बार भंवरलाल शर्मा को पटखनी देने वाले अशोक पिंचा का नाम चर्चा में है.
साथ ही साथ किसान नेता को लेकर भी भाजपा अपने गणित को खंगाल रही है. दरअसल सरदारशहर सीट को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और भाजपा के प्रतिपक्ष नेता राजेंद्र राठौड़ की प्रतिष्ठा भी दांव पर रहेगी.कांग्रेसी अपनी सरकार के कामकाज के साथ-साथ भंवर लाल शर्मा की सहानुभूति की लहर पर सवार होकर जनता के बीच आएंगे तो वहीं भाजपा नाकामियों गिनाएंगी.