VIDEO: यूरिया की कमी कब तक ! यूरिया का कोटा बढ़ने के बावजूद सप्लाई की कमी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: अन्नदाता को कई जिलाें में यूरिया की कमी झेलने को मिल रही है. सरसों, चना, गेहूं और जाै आदि रबी सीजन की प्रमुख फसलों की बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है. सिंचाई के दौरान किसानों को यूरिया की जरूरत रहती है, ऐसे में प्रदेश के कई जिलों में यूरिया की किल्लत बनी हुई है. रबी सीजन की फसलाें के लिए कृषि विभाग का डीएपी और यूरिया का कोटा बढ़ चुका है. यूरिया और डीएपी के लिए स्वीकृत मांग की तुलना में करीब डेढ़ लाख मैट्रिक टन यूरिया का आवंटन कोटा केन्द्र सरकार ने बढ़ा दिया है. लेकिन आवंटन के विपरीत समय पर आपूर्ति नहीं होने के चलते प्रदेश में यूरिया की किल्लत बनी हुई है. 

दरअसल अक्टूबर माह में जितनी आपूर्ति होनी चाहिए थी, वह नहीं हो सकी है. इसी के चलते अब तक किसानों को यूरिया के लिए मारामारी झेलनी पड़ रही है. राज्य में इस बार करीब 115 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में रबी सीजन की फसलों की बुवाई हो रही है. इनमें प्रमुखता से सरसों, गेहूं और चना की फसल की बुवाई की जा रही है. तीनों ही फसलों के लिए किसानों को बुवाई से पूर्व डीएपी और इसके बाद सिंचाई दौरान निरंतर यूरिया की जरूरत बनी रहती है. ऐसे में यूरिया की जरूरत दिसंबर माह के अंत तक रहेगी. किसानों को अक्टूबर में बुवाई के समय भी पर्याप्त यूरिया नहीं मिल सका था. हालांकि यह किल्लत पूरे प्रदेश में नहीं, बल्कि इक्का-दुक्का जिलों में ही अधिक देखने को मिल रही है.

इन 10 कंपनियों के भरोसे कृषि विभाग:
- नवंबर में 4.50 लाख मैट्रिक टन यूरिया होना है सप्लाई, अब तक मिल सका 1.57 लाख मैट्रिक टन
- चम्बल फर्टिलाइजर्स को 85 हजार मैट्रिक टन करना है सप्लाई,  हो सका है 36545 मैट्रिक टन
- कृभको सरकारी कम्पनी को 31500 मैट्रिक टन करना है, अब तक हुआ 16923 मैट्रिक टन
- एनएफएल कम्पनी को 48600 मैट्रिक टन करना है सप्लाई, अब तक हुआ 25967 मैट्रिक टन
- आरसीएफ कम्पनी को 43880 मैट्रिक टन का लक्ष्य, सप्लाई किया 16176 मैट्रिक टन
- इफको सरकारी कम्पनी को 155030 मैट्रिक टन करना है, अब तक किया 37992 मैट्रिक टन
- श्रीराम फर्टिलाइजर को 19 हजार मैट्रिक टन करना है सप्लाई, अब तक किया 9145 मैट्रिक टन
- जीएनएफसी कम्पनी को 7 हजार मैट्रिक टन लक्ष्य, अब तक किया 2647 मैट्रिक टन
- जीएसएफसी कम्पनी का लक्ष्य 5300 मैट्रिक टन, अब तक सप्लाई दी 1843 मैट्रिक टन
- नर्मदा बायो कम्पनी का लक्ष्य 0, इसके विपरीत कम्पनी ने सलाई दी 10547 मैट्रिक टन
- आईपीएल कम्पनी का लक्ष्य 55445 मैट्रिक टन, अभी तक कोई सप्लाई नहीं दी  

इन आंकड़ों से साफ है कि किसानों को यूरिया की किल्लत के पीछे सबसे बड़ा हाथ सरकारी कोऑपरेटिव कम्पनियों का है. प्रदेश में नवंबर माह में सबसे अधिक यूरिया आपूर्ति इफको सरकारी कम्पनी को करनी है, लेकिन अभी तक कम्पनी ने कुल लक्ष्य की एक चौथाई आपूर्ति भी नहीं दी है. कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो यूरिया की किल्लत के पीछे केन्द्र से आपूर्ति में कमी बड़ी वजह है. दरअसल केंद्र ने राज्य का यूरिया का कोटा तो बढ़ा दिया है, लेकिन अभी भी आपूर्ति पर्याप्त नहीं दी जा रही है. यूरिया की रैक लगाने का कार्य रेल मंत्रालय और केन्द्रीय मंत्रालय के अधीन होता है, ऐसे में कई जिलों में रैक लगाने का कार्य समय पर नहीं हो पा रहा है. इन्हीं वजहों से कई जिलों में किसानों को लाइनों में लगकर यूरिया खरीदना पड़ रहा है. 

रकबा बढ़ा, यूरिया की कमी:
- इस बार रबी सीजन का कुल रकबा 115 लाख हैक्टेयर होने की उम्मीद
- सरसों की बुवाई होगी सर्वाधिक, 38.3 लाख हैक्टेयर में बुवाई संभव
- गेहूं का रकबा 31.80 लाख हैक्टेयर होना संभव
- 22 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में चना की बुवाई संभव
- 3.10 लाख हैक्टेयर में जौ की बुवाई संभावित 
- 3 लाख हैक्टेयर में तारामीरा की बुवाई संभावित

कुलमिलाकर कृषि विभाग को इस बार फसलों की बंपर बुवाई और अच्छे उत्पादन की उम्मीद तो है, लेकिन अभी कुछ जिलों में खाद को लेकर मची किल्लत ने विभागीय अफसरों के लिए परेशानी बढ़ा दी है. हालांकि कृषि मंत्री लालचंद कटारिया और कृषि आयुक्त कानाराम लगातार प्रयासरत हैं कि किसानों को समय पर यूरिया और डीएपी मिल सके, जिससे कि किसानों का फसल उत्पादन प्रभावित नहीं हो.