वॉलीबॉल खिलाड़ी बहनों और उनके पिता को अंतराष्ट्रीय खेलों में प्रतिभा दिखाने की तलाश

वॉलीबॉल खिलाड़ी बहनों और उनके पिता को अंतराष्ट्रीय खेलों में प्रतिभा दिखाने की तलाश

जयपुर: राजस्थान के चुरू जिले के एक गांव की पांच बहनें अपने पिता के सपने को साकार करने और देश का नाम रोशन करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल खेलने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं.

आइना हमलावर अटैकर के रूप में खेलीं:
जिगसाना ताल गांव की लड़कियों ने हाल में आयोजित राज्य स्तरीय राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक में तीसरा स्थान हासिल कर सुर्खियां बटोरीं. पांच बहनों में सबसे छोटी नितिका ने टीम की कप्तानी की जबकि प्रियंका सेटर के रूप में खेलीं और अर्बीना और आइना हमलावर (अटैकर) के रूप में खेलीं. खेल स्पर्धाओं में भाग लेने वाली पांच बहनों में सबसे बड़ी बहन भावना ने एक बार एक एथलीट के रूप में एक राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लिया था और वर्तमान में एक शारीरिक प्रशिक्षण प्रशिक्षक पाठ्यक्रम की तैयारी कर रही हैं.

खेल आयोजनों में खेलों में भाग ले चुकी:
उनके पिता ओम प्रकाश सहारण ने पीटीआई-भाषा को बताया कि राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में टीम तीसरे स्थान पर रही थी. छह सदस्यीय टीम में से पांच मेरी बेटियां थीं. उनमें से सबसे छोटी नितिका, जो कप्तान के रूप में खेली थी उसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सम्मानित किया था. सहारण की आठ बेटियां हैं और उनमें से सात जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजनों में खेलों में भाग ले चुकी हैं.

राज्य स्तरीय स्तर पर तीन बार स्वर्ण पदक जीता:
उन्होंने कहा कि आइना चार बार राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल खेल चुकी हैं और एक बार रजत पदक जीत चुकी हैं जबकि प्रियंका, अर्बिना और आइना ने राज्य स्तरीय स्तर पर तीन बार स्वर्ण पदक जीता है. सहारण ने कहा कि उनकी बेटियां 2016 से तैयारी कर रही हैं और हर दिन पांच घंटे वॉलीबॉल का अभ्यास करती हैं. उन्होंने उनके इस संकल्प का श्रेय अपने प्रशिक्षकों दिलीप सिंह पूनिया और संजय दुआ को दिया.

1986 से पहले राज्य स्तर पर वॉलीबॉल खेला था:
सहारण ने कहा कि वह हर महीने अपनी बेटियों को हरियाणा में एक ओपन वॉलीबॉल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ले जाते थे, जहां उन्होंने कई पदक जीते हैं. उन्होंने कहा कि मेरा कोई बेटा नहीं है इसलिए मैंने अपनी बेटियों को खेल प्रशिक्षण देने का फैसला किया ताकि वे देश के लिए खेल सकें और पदक ला सकें और गांव और देश के लोगों को गौरवान्वित कर सकें. सहारण ने कहा कि यह मेरा एक अधूरा सपना है क्योंकि मैंने भी 1986 से पहले राज्य स्तर पर वॉलीबॉल खेला था.

दिए गए प्रशिक्षण के कारण संभव हुआ:
उन्होंने कहा कि उन्हें केवल सही मार्गदर्शन और सही प्रशिक्षण की जरूरत है. सहारण ने अपनी बेटियों के जन्म के बाद उन्हें खिलाड़ी बनाने का फैसला किया और उन्हें स्कूल के मैदान में प्रशिक्षित किया. उन्होंने कहा कि दिलीप पूनिया ने मेरी बेटियों को भी वॉलीबॉल का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनाने के लिए लड़कों के साथ खिलाया. आइना ने कहा कि देश के लिए खेलना और लोगों को गौरवान्वित करने के अपने पिता के सपने को पूरा करना मेरा सपना है. यह मेरे परिवार की प्रेरणा और हमारे प्रशिक्षक दिलीप पूनिया द्वारा दिए गए प्रशिक्षण के कारण संभव हुआ है.

उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि हमारी मेहनत एक दिन रंग लाएगी और मैं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करूंगी. ग्रामीण ओलंपिक खेलो के प्रभारी विजयपाल धूआन ने टूर्नामेंट में लड़कियों के प्रदर्शन की सराहना की. उन्होंने कहा उनके प्रदर्शन को चुरू के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग से भी प्रशंसा मिली जिन्होंने उनके खेल को देखा. सोर्स-भाषा