सितंबर में थोक मुद्रास्फीति घटकर 10.7 प्रतिशत पर, 18 माह का निचला स्तर

नई दिल्ली: विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में नरमी, खाद्य वस्तुओं और ईंधन के दाम में कमी आने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) सितंबर में लगातार चौथे महीने घटकर 10.7 प्रतिशत पर आ गई. यह 18 महीने का सबसे निचला स्तर है. थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने यानी अगस्त में 12.41 प्रतिशत के स्तर पर थी. यह पिछले साल सितंबर में 11.80 प्रतिशत थी. डब्ल्यूपीआई इस वर्ष मई में 15.88 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गई थी. डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में लगातार चौथे महीने गिरावट का रुख देखने को मिला है. सितंबर, 2022 में लगातार 18वें महीने यह दो अंक में रही है. अप्रैल, 2021 से ही यह 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया, सितंबर, में मुद्रास्फीति में मुख्य रूप से खनिज तेलों, खाद्य वस्तुओं, कच्चे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, रसायन एवं रासायनिक उत्पाद, मूल धातु, बिजली, कपड़ा आदि की कीमतों में तेजी का योगदान रहा. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि डब्ल्यूपीआई में मासिक आधार पर जो धीरे-धीरे गिरावट आ रही है उसकी मुख्य वजह जिसों के दामों में नरमी आना है.

पुनरुद्धार की कुल गति और जिसों के दामों में कमजोरी के परिदृश्य को देखते हुए मुद्रास्फीति और कम होगी. सितंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 11.03 प्रतिशत रह गई, जो अगस्त में 12.37 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. हालांकि, समीक्षाधीन महीने में सब्जियों की महंगाई बढ़कर 39.66 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 22.29 प्रतिशत थी. ईंधन और बिजली में महंगाई दर सितंबर में 32.61 प्रतिशत रही, जो अगस्त में 33.67 प्रतिशत थी. विनिर्मित उत्पादों और तिलहन की मुद्रास्फीति क्रमशः 6.34 प्रतिशत और नकारात्मक 16.55 प्रतिशत थी.

एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च में मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि डब्ल्यूपीआई में कमी ईंधन के दाम में नरमी और विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति में कमी की वजह से आ रही है हालांकि, कुछ क्षेत्रों में बिजली के दाम बढ़ने से यह लाभ कुछ कम रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक मुख्य रूप से मौद्रिक नीति के जरिये मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखता है. खुदरा मुद्रास्फीति लगातार नौवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. सितंबर में यह 7.41 प्रतिशत पर थी. महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक ने इस साल प्रमुख ब्याज दर रेपो को चार बार बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत कर दिया है. (भाषा)