जयपुर: इस साल 12 नवंबर को दीपावली है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर पूरे देशभर में दीपावली का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है. दीपावली की तैयारियां कई दिनों पहले से होने लगती है. दीपावली पर पूरे घर को दीयों और रंगबिरंगी लाइटों से सजाया जाता है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल दीपावली बहुत ही खास रहेगी क्योंकि कई दशकों के बाद दीपावली पर एक साथ 3 शुभ योग और 5 राजयोग का निर्माण हुआ है.
दीपावली 12 नवंबर को है. इस दिन अमावस्या दोपहर तकरीबन 2:45 बजे से शुरू होगी. शाम को लक्ष्मी पूजा वक्त पांच राजयोग रहेंगे. इनके साथ आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेंगे. दीपावली पर शुभ योगों की ऐसी स्थिति पिछले 700 सालों में नहीं बनी. इतने शुभ संयोग बनने से ये लक्ष्मी पर्व सुख-समृद्धि देने वाला रहेगा. दीपावली पर बन रही ग्रह स्थिति देश की तरक्की का शुभ संकेत दे रही है. दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से नया साल शुरू होता है. व्यापारियों में पुष्य नक्षत्र और धनतेरस से नए बही-खाते लेकर कारोबारी नया साल शुरू करने की परंपरा भी रही है. दीपावली से ही जैन समाज का महावीर निर्वाण संवत भी शुरू होता है.
शुभ योग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली का त्योहार कार्तिक माह के अमावस्या तिथि पर मनाने का विधान होता है. दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का काफी महत्व होता है. दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे अच्छा माना जाता है. दीपावली पर अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर करीब 2:45 मिनट पर शुरू हो जाएगी. वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक दीपावली की शाम के समय जब लक्ष्मी पूजा होगी उसी दौरान 5 राजयोग का निर्माण भी होगा. इसके अलावा आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेगा. इस तरह से दिवाली 8 शुभ योगों में मनाई जाएगी. दीपावली पर इस तरह का शुभ योग कई दशकों के बाद बना है. ऐसे में इस शुभ योग में दीपावली सभी के लिए सुख-समृद्धि और मंगलकामना साबित होगी.
5 राजयोग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल दिवाली पर एक साथ 5 राजयोग देखने को मिलेगा. ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के होंगे. इन राजयोगों का निर्माण शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे. वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग को सम्मान और लाभ देने वाला माना जाता है. हर्ष योग धन लाभ, संपत्ति और प्रतिष्ठा बढ़ता है. काहल योग स्थिरता और सफलता देता है. वहीं, उभयचरी योग से आर्थिक संपन्नता बढ़ती है. दुर्धरा योग शांति और शुभता बढ़ाता है. वहीं कई सालों बाद दीपावली पर दुर्लभ संयोग भी देखने को मिलेगा जब शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे.
12 नवंबर को सुबह चतुर्दशी और दोपहर में अमावस्या
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि 12 नवंबर को सुबह रूप चौदस रहेगी. दोपहर 2.45 बजे अमावस्या तिथि लग जाएगी. लक्ष्मी पूजन अमावस्या की रात में ही होता है, इस कारण दीपावली की पूजा 12 नवंबर को ही होगी. पूजा के ज्यादातर मुहूर्त दोपहर 3 बजे से ही रहेंगे. अमावस्या सोमवार को दोपहर 02:57 तक रहेगी, इसलिए अगले दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी. अमावस्या का स्नान दान वगैरह सोमवार को ही होगा.
अमावस्या दो दिन तक, लेकिन 12 नवंबर को दीपावली
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक महीने की अमावस्या रविवार सोमवार दोनों ही दिन रहेगी, लेकिन दीपावली 12 तारीख को मनेगी. रविवार की रात में अमावस्या होने से लक्ष्मी पूजन इसी तारीख को किया जाएगा. सोमवार को अमावस्या दिन में ही खत्म हो जाएगी. ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि जिस दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के वक्त अमावस्या हो तब लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए. इस बात का ध्यान रखते हुए दीपावली 12 नवंबर को ही मनाएं.
कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 12 नवंबर 2023, दोपहर 02:45 से
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्ति - 13 नवंबर 2023, दोपहर 02:57 तक
दीपावली 12 नवंबर 2023
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली पर घरों को रोशनी से सजाया जाता है. दीपावली की शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना होती है. मान्यता है दीपावली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर ये देखती हैं किसका घर साफ है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है. माता लक्ष्मी वहीं पर अपनी कृपा बरसाती हैं. दीपावली पर लोग सुख-समृ्द्धि और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं. अथर्ववेद में लिखा है कि जल, अन्न और सारे सुख देने वाली पृथ्वी माता को ही दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है. कार्तिक अमावस्या का दिन अंधेरे की अनादि सत्ता को अंत में बदल देता है, जब छोटे-छोटे ज्योति-कलश दीप जगमगाने लगते हैं. प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी के साथ गणपति, सरस्वती, कुबेर और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है.
दीपावली पर जरूर करें ये उपाय
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली पर लक्ष्मी जी और गणेश महाराज की पूजा का विधान है. इसके अलावा आप इस दिन हनुमानजी, यमराज, चित्रगुप्त, कुबेर, भैरव, कुलदेवता और अपने पितरों का पूजन भी जरूर करें. वहीं धन की देवी मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का भी पूजा करें. इसके साथ ही दीपावली पूजा में आप श्रीसूक्त और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं.
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त - शाम 05:40 से शाम 07::36 तक
प्रदोष काल ( लग्न ) - शाम 05:34 - रात 08::08 तक
वृषभ लग्न - शाम 05:48 - रात 07:45 तक
महानिशीथ काल मुहूर्त
सिंहलग्न :- मध्यरात्रि 12:18 से अंतरात्रि 02:34 तक
व्यापारिक प्रतिष्ठान पूजन मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त - प्रातः 11:47 से दोपहर 12:33 तक
शुभ का चौघड़िया - दोपहर 01:31 से दोपहर 02:51 तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 2:11 से दोपहर 2:55 बजे तक
गृहस्थों के लिए पूजन मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त - शाम 05:40 से शाम 07::36 तक
प्रदोष काल ( लग्न ) - शाम 05:34 - रात 08::08 तक
वृषभ लग्न - शाम 05:48 - रात 07:45 तक
दिवाकाल का श्रेष्ठ समय
चर-लाभ-अमृत का चौघड़िया - प्रातः 08:08 से दोपहर 12:11 तक
अभिजित मुहूर्त - प्रातः 11:47 से दोपहर 12:33 तक
शुभ का चौघड़िया - दोपहर 01:31 से दोपहर 02:51 तक
रात्रि का श्रेष्ठ समय
शुभ-अमृत-चर का चौघड़िया - सायं 05:34 से रात्रि 10:31 तक,
लाभ का चौघड़िया - मध्यरात्रि 01:50 से अंतरात्रि 03:29 तक,
शुभ का चौघड़िया - अंतरात्रि 05:08 से प्रातः 06:48 तक