Ashadha Month 2024: 23 जून से 5 जुलाई तक वर्जित रहेंगे सभी मांगलिक कार्य, 13 दिन का ही होगा आषाढ़ कृष्ण पक्ष

Ashadha Month 2024: 23 जून से 5 जुलाई तक वर्जित रहेंगे सभी मांगलिक कार्य, 13 दिन का ही होगा आषाढ़ कृष्ण पक्ष

जयपुर: विक्रम संवत 2081 में आषाढ़ कृष्ण पक्ष 13 दिनों का होगा. सामान्य रूप से प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं. प्रत्येक पक्ष में 15 अथवा 14 तिथियों का मान रहता है, परंतु कभी देव योगवश तिथि गणित क्रिया द्वारा दो तिथियों का क्षय वश 13 रह जाती है. ऐसा इस वर्ष सूर्य और चंद्र की गति के कारण संयोग बन रहा है. इसी तरह जून के आखिरी सप्ताह में तिथियों के क्षय होने से आषाढ़ कृष्ण पक्ष 15 की बजाय 13 ही दिन का रहेगा. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि  23 जून से 5 जुलाई के बीच दो तिथियां क्षय होने से यह स्थिति बनेगी. दरअसल आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा और आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी तिथि का क्षय होगा. जब-जब ऐसा संयोग आता है देश-दुनिया में आपदा या अप्रत्याशित घटनाओं के होने की आशंका रहती है. लगभग 31 साल पहले वर्ष 1993 में भी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में भी ऐसी स्थिति बनी थी. तब 13 दिन का शुक्ल पक्ष था. सैंकड़ों वर्षों बाद 2024 का आने वाला आषाढ़ मास का कृष्ण पक्ष देश और दुनिया के लिए संकट का कारण बनने वाला है. 23 जून से 21 जुलाई तक आषाढ़ मास के दौरान कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि और चतुर्थी तिथि के क्षय होने से यह पक्ष 13 दिनों की होगी और यह काल दुर्योग काल के रूप में होगा. यह संयोग शुभ नहीं माना जाता है. लिहाजा दुर्योग काल के 13 दिनों तक शुभ काम या कोई भी मांगलिक काम नहीं करना चाहिए.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार पर्व त्योहारों की तिथियों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. इसके चलते देवशयनी एकादशी 17 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत होगी और समापन 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन होगा. इस बार चातुर्मास पूरे 118 दिनों तक रहेंगे. पिछले साल चातुर्मास 148 दिनों के थे. पिछले साल अधिकमास होने से दो श्रावण मास भी आए थे. इस कारण चातुर्मास चार माह की बजाय पांच माह तक चले थे. चातुर्मास के बाद आने वाले त्योहार भी पिछले साल के मुकाबले इस बार 11 से 12 दिन पहले आएंगे. ये दुर्लभ संयोग करीब 31 साल बाद देखने को मिल रहे हैं.

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि  भारतीय पंचांग में हर पक्ष 15 दिन का होता है. लेकिन आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में 15 के बजाय 13 दिन ही रहेंगे. इसे भारतीय शास्त्रों में विश्व घस्र पक्ष नाम दिया गया है. इन 13 दिनों को अशुभ माना जाता है. इस बार यह पक्ष 23 जून से शुरू होकर 5 जुलाई तक रहेगा. इस दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे. हालांकि, बहुत जरूरी होने पर शुभ दिन और तिथि देखकर काम किया जा सकता है. द्वापर युग के महाभारत काल का संयोग एक बार फिर बन रहा है. इसके कारण आषाढ़ कृष्ण पक्ष सिर्फ 13 दिन का होगा. महाभारत के पहले 13 दिन का पक्ष निर्मित हुआ था. ज्योतिष शास्त्र में इसे दुर्योग काल माना जा रहा है. महाभारत काल का संयोग बनने के कारण प्रजा को नुकसान, रोग संक्रमण, महंगाई, प्राकृतिक आपदा, लड़ाई झगड़ा, विवाद बढ़ने की आशंका जताई जा रही है.

दैव योगवश 
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि सामान्य रूप से प्रत्येक मास में दो पक्ष होते हैं. प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियों का मान रहता है परंतु कभी दैव योगवश तिथि गणित क्रिया द्वारा तिथि क्षय वश तेरह रह जाती है. इस वर्ष ग्रह सूर्य और चंद्र की गति के कारण 13 दिन के पखवाड़े का संयोग बन रहा है. वेदों में लिखा है कि अनेक युग सहस्त्रयां दैवयोत्प्रजायते. त्रयोदश दिने पक्ष स्तदा संहरते जगत. इसका अर्थ है देव योग से कई एक युगों में तेरह दिन का पक्ष आता है. इस संयोग में प्रजा को नुकसान, रोग, मंहगाई व प्राकृतिक प्रकोप, झगड़ों का सामना करना पड़ सकता है.

11 से 13 दिन पहले आएंगे सभी पर्व
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी जो पिछले साल सात सितंबर को थी. हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को होगा जो पिछले साल 18 सितंबर को था. यानी 12 दिन पहले इस बार तीज मनाई जाएगी. इसी प्रकार सभी त्योहारों में 10 से 12 दिन पहले आने का अंतर रहेगा. जलझूलनी एकादशी 14 सितंबर को मनाई जाएगी, जो पिछले साल 25 सितंबर को थी. अनंत चतुर्दशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी, जो पिछले साल 28 सितंबर को थी. पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से होगी, पिछले साल 30 सितंबर से हुई थी. नवरात्र तीन अक्टूबर और दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दिवाली पिछले साल 12 नवंबर को आई थी. इस बार जल्दी आएगी.

नहीं होंगे मांगलिक कार्य, संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक
पक्षस्य मध्ये द्वितिथि पतेतां यदा भवेद्रौरव काल योगः. पक्षे विनष्टं सकलं विनष्ट मित्याहुराचार्यवराः समस्ताः. 
एकपक्षे यदा यान्ति तिथियश्च त्रयोदश. त्रयस्तत्र क्षयं यान्ति वाजिनो मनुजा गज:.. 
त्रयोदश दिने पक्षे तदा संहरेत जगत्. अपि वर्षे सहस्रेण कालयोग प्रकीर्तित:.. 
द्वितियामारभ्य चतुर्दश्यन्तं तिथिद्वये ह्रासे. त्रयोदश दिनात्मक: पक्षोऽति दोषोवतो भवति.. 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि आषाढ़ कृष्ण पक्ष 13 दिन का है यह 13 दिन का पक्ष होने से पृथ्वी पर जनहानि युद्ध की संभावना होती है जिस वर्ष 13 दिन का पक्ष होता है वह वर्ष संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है. विशेष कर द्वितीया तिथि से लेकर चतुर्दशी तिथि पर्यंत अगर दो तिथि का क्षय हो तो विशेष रूप से संपूर्ण विश्व के लिए हानिकारक होता है यह पक्ष मंगल कार्य हेतु भी उत्तम नहीं है. यह दुर्योग होता है. ज्योतिष शास्त्र में इसे अच्छा नहीं माना गया है. ऐसा दुर्योग होने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि, राजसत्ता का परिवर्तन, विप्लव, वर्ग भेद आदि उपद्रव होने की संभावना पूरे साल बनी रहती है. प्रजा को नुकसान, रोग संक्रमण, महंगाई, प्राकृतिक आपदा, लड़ाई झगड़ा, विवाद, अग्नि कांड, भूकंप, गैस दुर्घटना, वायुयान दुर्घटना होने की संभावना.  अचानक मौसमी बदलाव भी हो सकते हैं. बारिश और बर्फबारी होने की आशंका है.

13 दिन का पखवाड़ा और प्रमुख घटनाएं 
पंचांगों में स्पष्ट वर्णन मिलता है कि महाभारत सहित कई बड़े युद्ध ऐसे ही 13 दिन के पखवाड़े के संयोग में हुए हैं.
1937 में ऐसा ही संयोग में विनाशकारी भूकंप आया था तब बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ था.
1962 में ऐसा संयोग हुआ तब भारत चीन युद्ध हुआ था. ज्योतिष का आंकलन है कि तब भी 13 दिन का पखवाड़ा था.
1999 में जब 13 दिन के पक्ष का संयोग बना तब कारगिल युद्ध हुआ था. 1979 व 2005 में भी अप्रिय घटनाएं हुई थी.

भूलकर भी ना करें मांगलिक कार्य
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि यह मान्यता है कि महाभारत काल का ये दुर्योग काल शुभ नहीं है. इस काल में विनाश, आपदा और आपातकालीन जैसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है. कलयुग में यह काल इस बार 100 साल के बाद फिर से बन रहा है. इस काल में लोगों को भूलकर भी कोई मांगलिक कार्य जैसे कि शादी, विवाह, गृह प्रवेश, निवेश या कीमती चीजों की खरीदारी नहीं करनी चाहिए.