VIDEO: राजस्थान में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम, नगर परिषद, नगर निगम और नगर पालिका कर सकेंगे औद्योगिक भू रूपांतरण, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा को लागू कर दिया गया है. इससे प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना में लगने वाले समय में बचत होगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस वित्तीय वर्ष के बजट भाषण में औद्योगिक भू रूपांतरण को सुगम बनाने की घोषणा की थी. इसके पीछे उद्देश्य यही है कि प्रदेश में औद्योगिक इकाईयों की स्थापना की प्रकिया को कम समय में पूरा किया जाए. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इसी घोषणा को धरातल पर उतारने के लिए नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं. आपको बताते हैं कि इस आदेश के तहत किस तरह निकायों को असीमित अधिकार दिए गए हैं.

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम:
-कृषि भूमि के औद्योगिक भू रूपांतरण के लिए अब तक निकायों के पास सीमित अधिकार थे
-10 हजार वर्गमीटर भूमि से बड़े मामले मंजूरी के लिए सरकार को भेजे जाते थे
-नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक
-10 हजार वर्गमीटर से बड़े मामलों में अब निकाय स्तर पर गठित समितियां फैसला करेंगी
-इस नए आदेश से भू रूपांतरण के लिए फाइलें सरकार को भेजनी नहीं होंगी
-निकाय स्तर पर ही सभी पत्रावलियों का निस्तारण किया जाएगा

कृषि भूमि के औद्योगिक संपरिवर्तन के मामलों पर निर्णय के लिए राज्य सरकार ने समितियों का गठन कर दिया है. ये समितियां 10 हजार वर्गमीटर भूमि से बड़े आकार की भूमि के औद्योगिक भू रूपांतरण के मामले में फैसला करेंगी. ये समितियां प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास और नगरपालिका स्तर पर गठित की गई हैं. आपको बताते हैं विभिन्न निकायों के लिए गठित कमेटियों में किन-किन को शामिल किया गया है.

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम:
-प्राधिकरण में आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है
-समिति के सदस्य सचिव प्राधिकरण के सचिव बनाए गए हैं 
-जबकि निदेशक आयोजना और 
-निदेशक विधि कमेटी के सदस्य बनाए गए हैं
-UIT में अध्यक्ष की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है
-समिति के सदस्य सचिव न्यास के सचिव बनाए गए हैं 
-जबकि आयोजना प्रभारी और 
-विधि अधिकारी के सदस्य बनाए गए हैं
-नगर पालिका में कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई
-समिति के सदस्य सचिव निकाय के आयुक्त/अधिशासी अधिकारी बनाए गए हैं 
-जबकि आयोजना शाखा के वरिष्ठतम अधिकारी और 
-जिला कलेक्टर कार्यालय में उच्चतर विधि अधिकारी सदस्य बनाए गए हैं