वन नेशन वन इलेक्शन विषय पर बीजेपी की बैठक; मदन राठौड़ बोले- पीएम मोदी के आह्वान से यह सर्वव्यापी अभियान बनना चाहिए

वन नेशन वन इलेक्शन विषय पर बीजेपी की बैठक; मदन राठौड़ बोले- पीएम मोदी के आह्वान से यह सर्वव्यापी अभियान बनना चाहिए

जयपुर: आज वन नेशन वन इलेक्शन विषय पर बीजेपी की JLN मार्ग स्थित पंचायतीराज संस्थान के सभागार में बैठक हुई है. इस दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि सुनील बंसल ने यूपी में बीजेपी को सफलता दिलाई है. यूपी संगठन महामंत्री के तौर पर काम किया. लगातार तीन बार मोदी जी को जिताने का काम इन्होंने किया. अब एक राष्ट्र एक चुनाव अभियान से जुड़े है.

ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के सामने बिल रखा गया है. पार्टी अभियान में जुटी हुई है. विभिन्न प्रकल्पों से हम प्रस्ताव भिजवाने का काम करेंगे. JPC के सामने सभी प्रस्ताव जाएंगे. सबके भाव सामने आ जाएंगे. वन नेशन वन इलेक्शन हो जाए मोदी जी ने आह्वान किया है. ये सर्वव्यापी अभियान बनना चाहिए.

भारत में निष्पक्ष चुनाव कराना बड़ी चुनौती:
वहीं बीजेपी राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने कहा कि देश की स्वाधीनता के साथ हमने लोकतंत्र अपनाया है. लोकतंत्र है तो चुनाव एक अनिवार्य प्रक्रिया है. चुनाव निष्पक्ष हो ये तो लोकतंत्र की मजबूती का परिचायक है. भारत एक बड़ा देश है. यहां निष्पक्ष चुनाव कराना बड़ी चुनौती है. तकरीबन 96 करोड़ वोटर भारत में है. कुछ लोग जब हार जाते है तो कुछ दल EVM को जिम्मेदार ठहरा देते हैं. बैलेट से EVM तक चुनावी सुधार हुए हैं.

TN शेषन ने चुनाव सुधारों में अहम काम किया:
सुनील बंसल ने आगे कहा कि चुनाव सुधारों को लेकर बहस लंबे समय से देश में चल रही है. पहली बार TN शेषन ने चुनाव सुधारों में अहम काम किया है. पिछले 30 सालों से लगातार चुनाव हो रहे हैं. आम चुनाव और अलग अलग राज्य में चुनाव चलते रहते हैं. चुनाव को लोग एंजॉय भी करते है. बार बार चुनाव होने से कई समस्याएं देश में आ रही हैं. जैसे खर्चे भी बढ़ रहे. इस देश में चार आम चुनाव एक साथ हुए है. इमरजेंसी के बाद से सिस्टम डिस्टर्ब हुआ है.

चुनावी आचार संहिता के कारण वर्किंग डे प्रभावित होते हैं:
चुनावी आचार संहिता के कारण वर्किंग डे प्रभावित होते हैं. 300 के आसपास वर्किंग डे प्रभावित होते हैं. जनहित के काम पेंडिंग हो जाते है. मोदी पहली बार PM बने थे तब उन्होंने एक बैठक में कामों को लेकर रिव्यू किया था. ऐसे लाखों काम पेंडिंग हुए. ऐसा उदाहरण मैंने बनारस में देखे. मुलायम सिंह के समय एक फ्लाईओवर बनने में 10 साल लगे. मोदी जी जब सांसद बने तब उन्होंने छह माह में वो पुल चालू करवाया. बार बार चुनाव होने से विकास की गति धीमी हो जाती है.

गुड गवर्नेंस प्रभावित होती:
बार बार चुनाव होने से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों का इसी काम में अधिकांश समय बीतता है. साथ ही गुड गवर्नेंस प्रभावित होती है. ऑफिसर्स की अलग अलग प्रांतों में ड्यूटी लगती है. इस बार चुनावों में 1 करोड़ के करीब तक सरकारी कार्मिकों की ड्यूटी लगी. आर्थिक समस्या भी बड़ा मुद्दा है. एक वोट डालने का खर्चा 1400 रुपया आता है. ये खर्च चुनाव आयोग का होता है.

 

इससे राजनीति कम होगी और विकास होगा:
उन्होंने कहा कि चार पांच लाख करोड़ रुपया एक चुनाव पर लग जाता है. इसलिए चर्चा एक राष्ट्र एक चुनाव की शुरू हुई. मकसद है एक साथ हो लोकसभा और विधानसभा चुनाव. कोविंद कमेटी ने 100 दिन में सभी चुनाव कराने की बात कही है. इससे राजनीति कम होगी और विकास होगा. पॉलिसी पैरालिसिस से देश को मुक्ति मिलेगी. बार बार चुनाव होने से शासन भी कठोर निर्णय नहीं ले पाता है. 

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