जयपुर: नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाने के साथ ही राजस्थान बीजेपी में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. अब नए नेता प्रतिपक्ष की खोज होगी. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और राजेंद्र राठौड़ का दावा मजबूत माना जा रहा. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने चुनावी रणनीति के मद्देनजर राजस्थान में ऑपरेशन शुरु कर दिए है. सीएम गहलोत के बजट के बाद बदले सियासी हालात में बीजेपी भी रणनीति बदलकर काम कर रही है. कटारिया के निर्वाचन क्षेत्र उदयपुर में उप चुनाव भी हो सकते हैं.
पिछले काफी समय से ये बात सियासी गलियारों में चर्चा में थी कि गुलाब चंद कटारिया राज्यपाल बनाए जा सकते है. आखिरकार ऐसा ही हुआ. अभी नेता प्रतिपक्ष के पद पर गुलाब चंद कटारिया का सफर बाकि था. लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता. गुलाब चंद कटारिया की सियासी पारी को विराम देने के पीछे मातृ संगठन की सोच थी क्योंकि असम में ऐसा चेहरा राज्यपाल के पद पर चाहिए था जो राष्ट्रवादी हिंदुत्ववादी हो, आदर्शवादी छवि का हो संसदीय गुणों से वाकिफ हो और वरिष्ठता रखता हो.
असम वैसे भी बीजेपी और संघ के लिए अहम राज्य है CAA समेत तमाम मुद्दे यहां ज्वलंत है, बांग्लादेश नजदीक है. हिंदू फायर ब्रांड कहे जाने वाले हेमंत विश्व शर्मा यहां के सीएम है. दूसरी ओर राजस्थान में गुलाब चंद कटारिया को मेवाड़ की धरती पर हिंदू फायर ब्रांड कहा जाता है. गुलाब चंद कटारिया के राज्यपाल के नाम की घोषणा होते ही बीजेपी नेताओं के बीच हर्ष की लहर दौड़ गई. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, प्रभारी अरुण सिंह,बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, युनुस खान, कालीचरण सराफ, प्रताप सिंह सिंघवीसमेत कई नेताओं ने बधाई दी. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि राजस्थान की राजनीति में सदैव गुलाब जी भाईसाहब का मार्गदर्शन मिला.
कटारिया के राज्यपाल बनने की घोषणा के साथ ही सियासत गरमा गई:
BJP के अंदर गुलाब चंद कटारिया के राज्यपाल बनने की घोषणा के साथ ही सियासत गरमा गई है. सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष का फैसला करना होगा क्योंकि विधानसभा का सत्र अभी चल रहा है. पहली पसंद के तौर पर वसुंधरा राजे का नाम लिया जा रहा. वे पहले भी नेता प्रतिपक्ष रह चुकी है और विधायकों के बीच का एक बड़ा खेमा उन्हें ही अपना नेता मानता रहा है. उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का नाम भी चर्चा में शुमार है, अरसे से फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा सदन में वे ही संभाल रहे हैं. राठौड़ का कहना है निर्णय नेतृत्व करेगा. अन्य नेताओं ने भी कहा कि फैसला आलाकमान को करना है.
राजस्थान से असम का पुराना नाता रहा:
राजस्थान की बीजेपी में ही नहीं बल्कि असम में रह रहे प्रवासियों के बीच भी गुलाब चंद कटारिया के राज्यपाल बनाए जाने की खबरों से खुशी की लहर है. कुछ राजस्थानी प्रवासी तो आज ही कटारिया को बधाई देने पहुंच गए. राजस्थान से असम का पुराना नाता रहा है. राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरिदेव जोशी भी असम के गवर्नर रह चुके है. दिलचस्प संयोग है कि जोशी को भी राज्यपाल बनाने के लिए सीएम पद छोड़ना पड़ा और गुलाब चंद कटारिया को भी राज्यपाल बनने के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ना होगा.