जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पोस्ट करते हुए कहा कि कल मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वो मेरी निजी राय नहीं हैं. मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान एवं उस पर विश्वास किया है. समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों रिटायर्ड न्यायाधीशों व रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशों तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणियां की हैं एवं उस पर चिंता व्यक्त की है.
कल मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वो मेरी निजी राय नहीं हैं। मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान एवं उस पर विश्वास किया है। समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट के अनेकों रिटायर्ड न्यायाधीशों व रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीशों तक ने ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार पर टिप्पणयां की हैं एवं उस…
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 31, 2023
मेरा न्यायपालिका पर इतना विश्वास है कि मुख्यमंत्री के रूप में जजों की नियुक्ति हेतु हाईकोर्ट कॉलेजियम के जो नाम हमारे पास टिप्पणी के लिए आते हैं, मैंने उन पर भी कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है. मेरा स्पष्ट मानना है कि हर नागरिक को न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए और ज्यूडिशियरी पर विश्वास करना चाहिए. इससे लोकतंत्र मजबूत होगा.
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में जनहित याचिका पेश की गई. सीनियर एडवोकेट शिवचरण गुप्ता ने जनहित याचिका दायर की है. सोमवार 4 सितंबर को हाई कोर्ट मामले में सुनवाई कर सकता है. मुख्यमंत्री गहलोत ने कल न्यायपालिका के खिलाफ मीडिया को बयान दिया था. जनहित याचिका में बताया गया है. CM गहलोत ने जो बयान दिया वह न्यायपालिका को शर्मसार करता है. न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है. यह अवमानना की परिभाषा में आता है. अतः माननीय उच्च न्यायालय स्वप्रेरित प्रसंज्ञान ले. संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर आवमाननाकर्ता को दंडित करे.