जयपुर: प्रदेश का जंगलात महकमा इन दिनों अजीब हालात से गुजर रहा है. प्रदेश के आई एफ एस कैडर में ऐसी रिक्तता आ गई है जिससे वन और वन्य जीव संरक्षण चुनौती बन गया है. आईएफएस कैडर में कुल 92 अधिकारी हैं इनमें से 15 प्रतिनियुक्ति पर और एक एपीओ चल रहे हैं. यानी महज 76 अधिकारियों के भरोसे हरित राजस्थान की कल्पना को साकार और वन एवं वन्य जीव संरक्षण का दावा किया जा रहा है' जो सीधे-सीधे बेमानी दिखाई देता है.
आखिर कैसे होगा हरित राजस्थान का सपना साकार ?
काडर में कुल 92 IFS उनमें भी 15 प्रतिनियुक्ति पर
APCCF स्तर के 4, CCF और CF स्तर जे 2-2 अधिकारी
और 7 उप वन संरक्षक भी हैं वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर
इनमें से एक संग्राम सिंह कटियार चल रहे हैं एपीओ
8 आईएफएस अधिकारी इस समय चल रहे हैं प्रशिक्षण पर
ऐसे में महज 76 IFS अधिकारियों के भरोसे चल रहा प्रदेश का जंगलात महकमा
जबकि वर्तमान में प्रदेश में टाइगर व लेपर्ड रिजर्व और कन्जर्वेशन रिजर्व की है सर्वाधिक संख्या
फ्रांस की एएफडी, जापान की जायका और वर्ल्ड बैंक का भी अहम प्रोजेक्ट
प्रदेश में वन क्षेत्र विस्तार की भी राज्य सरकार की है मंशा
जल्द ही धौलपुर टाइगर रिजर्व की भी होने वाली है अधिसूचना जारी
प्रदेश में वर्तमान में है बाघ व बघेरों की सर्व कालीन सर्वोच्च संख्या
ऐसे में आईएफएस अधिकारियों की कमी और पदोन्नति के बाद पदस्थापन न होने से पूरे कैडर में निराशा
क्या मनचाही पोस्टिंग न मिलने से अपना कैडर छोड़ते हैं आईएफएस अधिकारी !
या फिर गृह राज्य में पदस्थापन की रहती है मंशा ?
या प्रदेश में नहीं मिल रहा उन्हें उचित मान-सम्मान
पर इससे विपरीत प्रभाव पड़ता है अधिकारी के कैडर वाले राज्य पर
प्रदेश में भी 92 IFS में से 15 हैं प्रतिनियुक्ति पर, एक एपीओ
पवन उपध्याय पर्यावरण सचिव व सीया में सदस्य सचिव हैं
अनुराग भारद्वाज आईसीएफआरई देहरादून, गोविंद सागर भारद्वाज चंडीगढ़
बी प्रवीण गृह मंत्रालय नई दिल्ली, आनंद मोहन जल संसाधन मंत्रालय नई दिल्ली
प्रियरंजन कृषि मंत्रालय नई दिल्ली, आकांक्षा महाजन केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण
अनूप केआर केरल, हरिणी वी बेंगलुरु, शशि शंकर रांची, बालाजी करी तेलंगाना
विक्रम केसरी प्रधान खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय नई दिल्ली, संग्राम सिंह कटियार एपीओ
कविता सिंह संयुक्त सचिव राज्यपाल, सुदर्शन शर्मा आई आर ओ जयपुर, हेमंत सिंह एनटीसीए नई दिल्ली
आईएफएस अधिकारियों के बड़े वर्ग दूसरे विभागों में जाना जंगलात महकमे में कर रहा दुश्वारियां पैदा
एक तरफ तो प्रदेश में वर्तमान में बाघ बघेरों सहित वन्यजीवों की संख्या सर्व कालीन सर्वोच्च है. दूसरी तरफ नए टाइगर रिजर्व और कंजर्वेशन रिजर्व बनाए गए हैं, सफारी शुरू की गई हैं. और तो और हरित राजस्थान की कल्पना को साकार करने के लिए विदेशी एजेंसियों की सहायता से 5000 करोड रुपए के प्रोजेक्ट भी शुरू हो रहे हैं. ऐसे हालात में प्रदेश में आईएफएस अधिकारियों की कमी राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन गई है. प्रदेश के आईएफएस कैडर में वर्तमान में 92 अधिकारी हैं इनमें से 15 प्रतिनियुक्ति पर और एक एपीओ चल रहे हैं. वहीं 8 अधिकारी प्रशिक्षण पर हैं. ऐसे में महज 76 अधिकारियों के बल पर प्रदेश का जंगलात महत्व रैंग कर चलता दिखाई दे रहा है. हालांकि बीस फीसदी पदों को डेप्यूटेशन से भरने का है प्रावधान लेकिन राजस्थान में फॉरेस्ट कैडर की हालत दूसरी ही दिखाई देती है.
दरअसल जंगलात महकमे के साथ भेदभाव पहले से ही चलता रहा है यहां औपचारिकता ज्यादा और गंभीरता से काम कम होते हैं. स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड और एक्सपर्ट कमेटी में कुछ चुनिंदा सियासी रसूख रखने वाले या होटल लॉबी से जुड़े हुए लोगों को ही बार-बार रिपीट किया जाता है. लोकल लेवल पर एडवाइजरी कमेटियों का गठन नहीं हुआ है. मानद वन्यजीव प्रतिपालक नियुक्त नहीं हो सके हैं. ऊपर से कोढ़ में खाज की स्थिति तब होती है जब आई एफ एस कैडर मैं होम कैडर के अधिकारी उचित मान सम्मान नहीं मिलने या प्राइम पोस्टिंग के लालच में दूसरे राज्य महकमों में प्रतिनियुक्ति पर चले जाते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो सुदूर राज्यों के हैं और जिन्हें राजस्थान कैडर मिला वह अपने गृह राज्य में प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं. ऐसे में राजस्थान के अंदर वन और वन्य जीव संरक्षण बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. अत्यधिक बेमौसम बरसात के नाम पर वन्यजीवों का आकलन रोक दिया गया है. बरसों से कुछ अधिकारी एक ही सीट पर जमे हुए हैं. पदोन्नत हुए आई एफ एस अधिकारियों को 6 महीने बाद भी पदस्थापन नहीं मिला है.
वनपाल रेंजर के पद पर तो रेंजर एसीएफ के पद पर कार्य कर रहे हैं. ऐसे में आपसी तालमेल और बेहतर कार्य करने की इच्छा शक्ति समाप्त हो गई है. वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले बढ़े हैं, जंगलों में शिकार की घटनाएं नहीं रुक रही है, बाघ गायब हुए हैं, रेस्क्यू ऑपरेशंस में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. धौलपुर टाइगर रिजर्व के तौर पर प्रदेश का पांचवा टाइगर रिजर्व बनने जा रहा है. जल्द ही आधा दर्जन नए कंजर्वेशन रिजर्व बनने हैं. विदेशी सहायता से बायोडायवर्सिटी के 5000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट प्रदेश में शुरू हो रहे हैं. सरकार ने वन क्षेत्र विस्तार की घोषणा की है. ऐसे में आईएएस कैडर में अधिकारियों की कमी और और पदों का सटीक व उचित विभाजन में होने से प्रदेश के जंगलात महत्व को विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार जल्द ही इस दिशा में ध्यान देगी और हरित राजस्थान की कल्पना साकार करने के लिए कुछ नए लोगों को भी स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड एक्सपर्ट कमिटी और बतौर मानद वन्यजीव प्रतिपालक मौका मिलेगा और आई एफ एस कैडर को रिस्ट्रक्चर करने की दिशा में भी तेजी से काम होगा.