जयपुर: चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कमजोर परफॉर्मेंस रहने के बाद कांग्रेस अभी से आगामी निकाय औऱ पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. कांग्रेस ने निकाय औऱ पंचायत चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तरह बाप और वामदलों सहित किसी भी पार्टी के कोई साथ गठबंधन नहीं करेगी. वहीं जनहित के मुद्दों पर कांग्रेस जल्द सभी जिलों में रैलियां और विरोध-प्रदर्शन करेगी.
राजस्थान में इस साल नवंबर में निकाय औऱ अगले साल पंचायत चुनाव प्रस्तावित है. लिहाजा कांग्रेस ने अभी से चुनाव की रणनीति बनाने पर मंथन शुरु कर दिया है. दरअसल 4 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को एक सीट मिली थी. ऐसे में कांग्रेस निकाय औऱ पंचायत चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए करारा जवाब देना चाहती है. लिहाजा अभी से कांग्रेस ने अपने नेताओं औऱ कार्यकर्ताओं को चार्ज करना शुरु कर दिया है. इसके लिए पार्टी जल्द कईं फैसले लेने जा रही है.
-निकाय और पंचायत चुनाव की जंग में जुटी कांग्रेस
-निकाय-पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस ने बनाई रणनीति
-चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर गए कईं नेताओं की होगी घर वापसी
-सियासी औऱ जातिगत समीकरणों को साधते हुए कईं नेताओं की होगी ज्वाइनिंग
-बाप और वाम दल सहित किसी भी दल के साथ नहीं होगा गठबंधन
-MLA,सांसदों,पीसीसी पदाधिकारी,जिला अध्यक्ष औऱ वरिष्ठ नेताओं को मिलेगी जिम्मेदारी
-जल्द जनहित के मुद्दों को लेकर कांग्रेस सभी जिलों में करेगी प्रदर्शन
-प्रभारी,पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष के होंगे चुनाव से पहले दौरे
-चुनाव से पहले तमाम खाली पदों पर हो जाएगी नियुक्तियां
चुनाव से पहले पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए वरिष्ठ नेता रंधावा, जूली, डोटासरा, गहलोत औऱ पायलट जिलों के दौरे करेंगे. वहीं पार्टी सभी जिला हेडक्वार्टर पर जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर रैलियां, धरने और प्रदर्शन का भी आयोजन करेगी. पार्टी का लक्ष्य चुनाव से पहले ब्लॉक, मंडल और नगर स्तर पर पार्टी गतिविधियों को सक्रिय रुप से संचालित करना है.
वहीं उदयपुर चिंतन शिविर के फैसलों के तहत पार्टी एससी, एसटी, महिलाओं, ओबीसी और यूथ को इस बार सबसे ज्यादा टिकट देगी. साथ ही निचले लेवल के संगठन ब्लॉक, मंडल और नगर अध्यक्षों की सिफारिश पर भी टिकटों का वितरण करेगी. दरअसल कांग्रेस समय रहते अभी से इसलिए भी तैयारियों में जुट चुकी है क्योंकि इन चुनाव में अधिकतर माहौल सत्तारूढ़ दल के पक्ष में होता है. लिहाजा कांग्रेस ने इसके चलते अभी से कमर कस ली है.