जयपुर: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से ही कांग्रेस के हार का सिलसिला लगातार जारी है. लोकसभा चुनाव के बाद अभी तक कांग्रेस अपने दम पर किसी भी राज्य में सरकार नहीं बना पाई है. बिहार के परिणाम के बाद कांग्रेस के हार का आंकड़ा और बढ गया है. राहुल गांधी के कांग्रेस में संक्रिय होने के बाद कांग्रेस अब तक तीन लोकसभा और करीब 60 विधानसभा चुनाव हार चुकी है.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीटें मिलने और भाजपा को बहुमत हासिल नहीं करने से लगा था कि अब सियासी फिजां में बदलाव होगा. पर भाजपा ने इस रिजल्ट से सबक लेते हुए जोरदार कमबैक किया और कईं राज्यों में शानदार जीत हासिल की उधर कांग्रेस लोकसभा चुनाव परिणाम का मोमेंटम बरकरार नहीं रख पाई. पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली. दिल्ली में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला और अब बिहार में महज छह सीटों पर कांग्रेस सिमट गई. लोकसभा चुनावों में हार की हैट्रिक और कईं राज्यों में हार से जाहिर सी बात है कि कांग्रेस नेता और कार्यकर्ताओं में हताशा बढ गई है. लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस थिंक टैंक कुछ नहीं कर पा रहा है. इसको लेकर पार्टी में कई तरह की अटकलों और चर्चाओं का दौर जारी है. पीएम मोदी के कांग्रेस में विभाजन की बयान से बेचैनी और बढ गई है.
-आखिर क्यों लगातार कांग्रेस हार रही है चुनाव
-राहुल गांधी के सक्रिय होने के बाद हार का सिलसिला जारी
-राहुल की सक्रियता के बाद कांग्रेस हारी 3 लोकसभा और 60 विधानसभा चुनाव
-टोटल 63 चुनाव यानी 80 प्रतिशत चुनाव कांग्रेस हारी
-राहुल की अगुवाई में 9 राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी
-वहीं 7 राज्यों में सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने का मौका मिला
-कईं राज्यों में तो कांग्रेस लंबे समय से है सत्ता से महरूम
-हार और बेकद्री के चलते कईं दिग्गजों ने छोड़ दिया कांग्रेस का दामन
-संगठन सृजन अभियान भी नहीं हो रहा पार्टी को खड़ा करने में कामयाब
-बिहार चुनाव परिणाम के बाद राहुल गांधी वोट चोरी मुद्दे पर अटके हुए हैं
सियासी जानकार औऱ कांग्रेस के कईं नेता पार्टी की लगातार हार के कईं कारण मानते हैं. कईंयों का कहना है कि कांग्रेस ने आज अपनी गांधी और नेहरू की विचारधारा को छोड़ दिया है. पुराने और अनुभवी नेता हाशिए पर चल रहे है. राहुल गांधी साउथ के नेताओं को ज्यादा तवज्जो दे रहे है. वहीं वामपंथी विचारधारा के लोग पार्टी में आज हावी हो गए है. इसके अलावा एनजीओ और कॉरपोरेट कल्चर के लोगों की एंट्री और उनके फैसले लागू होने से पार्टी का यह हश्र हुआ है. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी असल जनहित के मुद्दों को नहीं उठा पा रही है.
हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी के अतीत के सुनहरे पल वापस पाने के लिए कईं कदम उठाए. जैसे उदयपुर चिंतन शिविर में आरक्षित वर्ग और युवाओं को ज्यादा मौका देने के फैसले लिए गए. संगठन सृजन अभियान के तहत पार्टी में ऊपर से लेकर नीचे तक कईं अहम बदलाव किए. लेकिन उसके बावजूद जनता की अदालत में कांग्रेस कामयाब नहीं हुई. अब अगले साल कईं राज्यों में चुनाव है. देखते है कांग्रेस पार्टी कमबैक के लिए अब क्या कदम उठाती है.