जयपुर: भाजपा की दो सूचियां जारी होने के बाद कांग्रेस ने भी दो दिन में उम्मीदवारों की लगातार दो सूचियां तो जारी कर दी, लेकिन गहलोत सरकार के नंबर दो और सबसे ताकतवर मंत्री शांति धारीवाल का नाम अभी भी तय नहीं हो पाया. गहलोत सरकार के मौजूदा 28 में से 20 मंत्रियों के नाम आ चुके है, लेकिन इंतजार शांति धारीवाल, महेश जोशी व लालचंद कटारिया के नाम का है, जो बढ़ता ही जा रहा है. लंबी उहापोह और इंतजार के बाद सर्वे को साइडलाइन करके कांग्रेस ने जब पहली सूची जारी की, तो सभी की नजरें इस बात पर थी कि क्या इस सूची में सरकार के नंबर दो शांति धारीवाल, महेश जोशी व धर्मंद्र राठौड़ के नाम है या नहीं. तीनों ही नाम नहीं थे.
कांग्रेसियों ने सोचा शायद दूसरी सूची में आ जाएगा, लेकिन रविवार रात को जब दूसरी सूची आई, तो उसमें भी तीनों के नाम नदारद थे. अब सवाल खड़े होते जा रहे है. इनके नाम आएंगे भी या नहीं. वैसे हाईकमान को आंख दिखा चुके इन नेताओं को अब आलाकमान इंतजार करा-कराकर आंख दिखा रहा है. उम्मीद है कि अंतिम सूचियों तक इनके नाम ऐसे ही घसीटे जाएंगे. अगर आलाकमान का पेंच नहीं होता, तो सीएम अशोक गहलोत के साथ ही इनके नाम पहली सूची में आ चुके होते. कोटा के विकास पुरुष कहे जाने वाले शांति धारीवाल गहलोत कैबिनेट में सीएम के बाद नंबर 2 के मंत्री माने जाते हैं.
सीएम गहलोत के सबसे खास हैं. गहलोत कह चुके है कि सरकार बनी तो मेरे अगले यूडीएच मंत्री धारीवाल ही होंगे, लेकिन फिलहाल तो उनकी टिकट पर ही संशय है. दूसरा नाम जलदाय मंत्री महेश जोशी का है. 25 सितंबर मामले में इनको भी नोटिस मिल चुका है. विधानसभा क्षेत्र के कई विवाद भी इनके साथ जुड़े है. सर्वे भी कमजोर ही बताया जा रहा है. तीसरी नाम RTDC के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ का है, जो पहले जिस पुष्कर सीट पर दावेदारी कर रहे थे, वहां नसीम अख्तर इंसाफ को टिकट दिया जा चुका है. अब उनके पास एक ही सीट अजमेर उत्तर बची है. चर्चा है कि मुख्यमंत्री इन तीनों को टिकट दिलाना चाहते है, लेकिन आलाकमान है कि मानता ही नहीं. संदेश दिया जा रहा है कि सब कुछ मंजूर है, लेकिन ये तीन नहीं.
अपनी सूचियों में पुराने चेहरे ही उतार रही है कांग्रेस:
कांग्रेस अपनी सूचियों में पुराने चेहरे ही उतार रही है, लेकिन इसके बावजूद आठ मंत्री अभी तक सूची में जगह नहीं बना सके है. शांति धारीवाल व महेश जोशी के अलावा प्रमुख नाम कृषि मंत्री लालचंद कटारिया का है. विधायक बनने के बाद जब लोकसभा चुनाव हुए थे, तो कटारिया के झोटवाड़ा में कांग्रेस करीब एक लाख वोट से पिछड़ गई थी. इसी डर से कटारिया अब चुनाव नहीं लड़ना चाहते. उनकी पंसद आमेर सीट है, लेकिन वहां पहले से ही स्थानीय दावेदार है. कामां से आने वाली मंत्री जाहिदा का टिकट भी विरोध के भंवर में फंसा हुआ है. एक मात्र मंत्री है, जिनके खिलाफ सबसे ज्यादा प्रदर्शन हुए कामां के बाद जयपुर से लेकर दिल्ली तक. हेमाराम चौधरी चुनाव लड़ने से फिर मना कर चुके है. ऐसे में पार्टी उनको मनाने की कोशिश में है, नहीं मानते है तो फिर विकल्प तलाशने में समय लगेगा. मोदी हवा में भी जीतने वाले रमेश मीना का नाम भी दो सूचियों में नहीं आया है. मंत्री सुभाष गर्ग आरएलडी के कोटे से है. शायद उनका नाम तब आएगा जब औपचारिक रूप से गठबंधन का एलान हो जाएगा.
सरकार के एक और मंत्री का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में:
सरकार के एक और मंत्री का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है. वे है पोकरण से आने वाले सालेह मोहम्मद. पार्टी सालेह मोहम्मद को टिकट देना चाहती है, लेकिन सालेह मोहम्मद चाहते है कि पोकरण के साथ ही जैसलमेर सीट का फैसला होना चाहिए. वे यहां पर मौजूदा विधायक रूपाराम की जगह मानवेंद्र सिंह को टिकट की पैरवी कर रहे है. सालेह मोहम्मद ने तो यहां तक कह दिया बताया कि अगर मानवेंद्र का टिकट न देकर रूपाराम को ही टिकट दिया जाता है तो फिर वे कांग्रेस की टिकट नहीं लेंगे. यानी फैसला करना है, तो पोकरण व जैसलमेर पर एक साथ करे. रूपाराम दलित समाज से आते है, लेकिन जैसलमेर की सामान्य सीट से जीते है. उनके पास चौहटन की सुरक्षित सीट पर जाने का मौका, लेकिन वे जैसमलेर से ही फिर लड़ना चाहते है. रूपाराम व सालेह मोहम्मद का आसपास के क्षेत्रों में सीधा प्रभाव है, लेकिन आपस में छत्तीस का आंकड़ा है. मुख्यमंत्री की हेलीकॉप्टर में बैठाकर सुलह कराने की कोशिश भी बेकार गई. बस इस आपसी विवाद के चलते पोकरण व जैसलमेर का फैसला नहीं हो पा रहा. मंत्री ही नहीं बल्कि कुछ दिग्गज नेताओं के टिकट भी अभी तक कांग्रेस तय नहीं कर पाई. सीकर से राजेंद्र पारीक व धोद से परसराम मोरदिया इंतजार ही कर रहे है.