VIDEO: बांधों के ठेके पर भी गर्मी की मार, इस बार नहीं हो सके सूखे बांधों के ठेके, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश की भीषण गर्मी इस बार मत्स्याखेट के ठेकों पर भी भारी पड़ी है. बांधों के तेजी से सूखने का असर ठेकों पर भी दिखाई दिया. तभी तो 125 में से मात्र 52 बांधों का ठेका हो सका है. कहा जा रहा है कि कुछ बांधों की रिजर्व प्राइज ज्यादा है और कुछ बांध सूख चुके हैं. बांधों में पिछले साल से कम पानी बचा है लेकिन कुछ मत्स्य पालकों ने सूखे ठेकों पर भी दांव खेला है उन्हें उम्मीद है कि इस बार मानसून बेहतर रहेगा और मछली पालन से अच्छी कमाई होगी. 

मत्स्य विभाग ने इस बार मत्स्य पालन के ठेके में देरी की है. मार्च में होने वाले ठेके मई में हुए हैं. 15 जून से क्लोजिंग सीजन लग जाएगा और ढाई माह तक मत्स्याखेट नहीं हो सकेगा. ऐसे में मत्स्य पालक को 12 में से मात्र 7 माह ही बांध में मछली पालन का समय मिलेगा. उधर, बांध ठेके की रिजर्व प्राइज में इजाफा हो गया है. बांध लगातार सूखते जा रहे हैं. लेकिन जिन बांधों के ठेके हुए हैं, उनका जलस्तर भी तेजी से नीचे जा रहे हैं. 125 बांधों के लिए निविदा जारी हुए और 52 बांधों को मत्स्याखेट के लिए ठेके पर दिया गया है. इसमें सोमकमला अंबा 1 करोड़ 31 लाख 27 हजार 999 की राशि के साथ ठेके पर गया है. सभी बांध पांच साल के लिए ठेके पर गए हैं और हर साल राशि जमा करानी होगी. ठेकेदार को 28 मई तक कुल राशि का एक चौथाई पैसा जमा करवाना होगा, नहीं तो उस बांध का ठेका निरस्त माना जाएगा. 

अच्छी बारिश की आस में सूखे बांध भी गए ठेके पर 
क श्रेणी के 31 और अन्य श्रेणी के 21 बांधों के हुए ठेके
ठेकेदार को 28 मई तक एक चौथाई राशि जमा कराने के निर्देश 
बांध सोमकमला अंबा का ठेका 1 करोड़ 31 लाख 27 हजार 999 रुपए में
मत्स्य पालकों ने कहा कि कुछ बांधों की दर ज्यादा रखने से नहीं हुआ ठेका
मत्स्य पालकों ने रात के समय बांध में सीड डालने की रखी है मांग 
मत्स्य पालकों को ठेका लेते ही भीषण गर्मी में डालना पड़ सकता है सीड 

मत्स्य विभाग ने पिछले माह बांधों में मत्स्याखेट के लिए निविदा जारी की थी. जिसमें 125 बांधों में ठेके के अधिकार आवंटन की बात की गई. लेकिन मात्र 52 बांधों के ही ठेके हो सके हैं. इसमें भी जयपुर जिले के 5 में से मात्र दो बांधों को ठेके पर दिया जा सका है. नेवटा बांध और मावठा का ठेका नहीं हो सका. कई बाधों में ठेके की राशि इतनी ज्यादा रखी गई कि मत्स्य पालकों ने रूचि ही नहीं दिखाई. जयपुर जिले के दो बांधों में यही कारण माना जा रहा है. 

क श्रेणी के 20 लाख से अधिक ठेके वाले बांध 
बंध बरैठा मय नदी काकड़ा का ठेका 70 लाख 21 हजार रुपए में
बांध बड़गांव का ठेका 63 लाख 11 हजार 786 रुपए में 
बांध शील की डूंगरी का ठेका 51 लाख 51 हजार रुपए में 
बांध सरजना का ठेका 51 लाख 27 हजार 999 रुपए में 
बांध धुवा मोतीसागर का ठेका 30 लाख रुपए में 
नदी बनास (राजसमंद-चित्तौड़गढ़-भीलवाड़ा) का ठेका 24 लाख 52 हजार रुपए में 
बांध रायपुर मय नदी का ठेका 28 लाख 62 हजार 999 रुपए में
नदी बनास (बीसलपुर की ओवरफ्लो के नीचे) ठेका 26 लाख 27 हजार 200 रुपए में
बांध गड़ेला का ठेका 25 लाख 25 हजार 525 रुपए में 
नदी पार्वती पालीघाट का ठेका 23 लाख रुपए में 
बांध पक्का बंधा का ठेका 21 लाख 51 हजार रुपए में 

प्रदेश के हजारों मत्स्य पालकों की आस अब मानसून पर टिकी हुई है. मानसून से पूर्व मछली पालन का ठेका तो ले लिया, लेकिन मानसून की मेहर नहीं हुई तो मत्स्य पालकों को भारी नुकसान भी हो सकता है. दूसरी बड़ी बात यह है कि मत्स्य पालक बांध में सीड डालने के लिए रात को इजाजत देने की मांग कर रहे हैं. देखने वाली बात यह है कि क्या विभाग इस बार मत्स्य पालकों की मांग पूरी करता है.