सचिवालय में डेपुटेशन पर लगे कर्मचारियों-अधिकारियों का मुद्दा गरमाया, नए लिपिकों की ज्वॉइनिंग से सेक्शन्स में अव्यवस्था की स्थिति, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः सचिवालय में नव चयनित करीब 562 लिपिकों को विभाग आवंटन और ज्वॉइनिंग के साथ फिर एक बार यहां डेप्यूटेशन पर लगे बाहर के कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में भेजने का मुद्दा गरमा गया है. जहां एक ओर नए लिपिकों की ज्वॉइनिंग से सेक्शन्स में अव्यवस्था की स्थिति हो रही है. वहीं इसे लेकर मुख्य सचिव सुधांश पंत के एक साल पहले जारी आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है और सचिवालय के मूल कैडर के कर्मचारी-अधिकारी ठगा सा महसूस कर रहे हैं. 

सचिवालय में डेप्यूटेशन पर लगे बाहर के कर्मचारियों का मुद्दा लाइलाज मर्ज बन रहा है. 

विभागों में 5 साल और फिर एक्सटेंशन के साथ जहां कर्मी और अधिकारी डेप्यूटेशन पर लगे हैं तो वहीं कार्य व्यवस्था के नाम पर दूसरे विभाग में लगने वाले स्टाफ की संख्या बहुत ज्यादा है. 

ऐसे कर्मचारियों की संख्या करीब 700 है.

ऐसे में जानकारों का मानना है कि डेप्यूटेशन पर लगे कर्मियों के साथ कार्य व्यवस्था के नाम पर लगे कर्मियों को भी उनके मूल विभाग में भेजना चाहिए. 

खास तौर पर सचिवालय में यह मर्ज इसलिए बड़ा है कि यहां मंत्रियों के निजी स्टाफ या अन्य अहम पद पर दूसरी सेवा के या बाहरी लोग व्यक्तिगत पसंद के आधार पर लगाए गए हैं.

इसका सचिवालय कर्मचारी और अधिकारी संघ विरोध करते रहे हैं.     

पिछले साल मुख्य सचिव ने अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों और सचिवों से सचिवालय में लगे बाहर के कर्मचारियों-अधिकारियों की सूचना मांगी थी और इसे लेकर सक्रियता भी दिखाई गई थी. 

उनसे यह भी जानकारी मांगी गई थी कि संबंधित अधिकारी या कर्मचारी कबसे उनके विभाग में प्रतिनियुक्ति पर हैं. 

उन्हें प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकारियों या स्टाफ की पूरी सूची भेजने के लिए कहा था लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी.

क्या आ रही है समस्या ?
नव चयनित लिपिकों की ज्वॉइनिंग बाद सचिवालय के विभागों में सेक्शन्स में बैठने की जगह नहीं है. 

इसका कारण यह है कि किसी भी सेक्शन्स के आकार को एकदम से बढ़ाया नहीं जा सकता.

साथ ही कंप्यूटर और सरकारी कामकाज के लिए जरूरी अन्य सुविधाएं भी सेक्शन्स में उतनी नहीं हैं जिससे राजकाज भी प्रभावित हो रहा है.

क्या है मांग ?
सचिवालय कर्मचारी संघ और अन्य संघ काफी सालों से सचिवालय में अलग-अलग विभागों में प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकारियों और स्टाफ को उनके मूल विभाग में भेजने की मांग कर रहे हैं.

इसका निहितार्थ यह भी है कि डेप्यूटेशन पर लगे पटवारी अपना पटवार सर्किल संभालें, शिक्षक शिक्षा का काम करें ताकि उनके क्षेत्र का कामकाज भी प्रभावित न हो और सचिवालय में भी व्यवस्था बनी  रहे.

ऐसे कर्मचारियों की बड़ी संख्या है जो कि लंबे समय से प्रतिनियुक्ति पर हैं और एक ही सीट पर जमे हुए हैं.  

ऐसे कर्मचारियों को लेकर शुद्धिकरण करने के लिए कहा गया था लेकिन अभी भी ये बाहरी कर्मचारियों का सचिवालय में काम करना जारी है. 

सचिवालय में नए लिपिकों की भर्ती करके उन्हें विभाग भी आवंटित कर दिए गए हैं जिसके बाद भी डेप्यूटेशन पर लगे बाहर के कर्मचारियों के यहां काम करने का खासा विरोध हो रहा है.