जयपुर: आबकारी विभाग राजस्व लक्ष्यों की तरफ दौड़ रहा है और अप्रेल व मई के दौरान लक्ष्य के मुकाबले 84 प्रतिशत राजस्व अर्जित किया गया है. लेकिन बड़ी बात है कि जयपुर शहर और ग्रामीण की स्थिति लगातार नीचे जा रही है. हालाकि कोटा की स्थिति भी अच्छी नहीं. कई जिलों के राजस्व वसूली में पिछड़ने के कई कारण बताए जा रहे हैं.
आबकारी विभाग को इस वित्तीय वर्ष बड़ा लक्ष्य मिला और उसी का पीछा भी किया जा रहा है. दो माह के आंकड़े बताते हैं कि कई जिले 100 प्रतिशत वसूली के साथ टाप पर चल रहे हैं जबकि कई बड़े जिले पिछड़ रहे हैं, उनमें जयपुर भी शामिल है. बताया जा रहा है कि शराब की तय दाम से अधिक वसूली के चलते स्थिति बिगड़ रही है. विभाग ने मई के दौरान लक्ष्य के मुकाबले 80 प्रतिशत राजस्व वसूली की है. मई के दौरान 1757.45 करोड़ के मुकाबले 1400.26 करोड़ की वसूली की गई. इसमें प्रतापगढ़ 124 प्रतिशत के साथ पहले नंबर पर रहा. जबकि जयपुर सिटी 76 प्रतिशत के साथ 27वें और जयपुर ग्रामीण 72 प्रतिशत के साथ 36वें स्थान पर रहा. मात्र 66 प्रतिशत वसूली के साथ 42वें स्थान पर रहा.
मई के दौरान राजस्व वसूली
जिला------------------प्रतिशत
प्रतापगढ़--------------124
बांसवाड़ा--------------112
जालौर-----------------108
डूंगरपुर----------------103
सलूंबर----------------102
सिरोही-----------------96
बारां---------------------92
उदयपुर-----------------87
करौली------------------85
राजसमंद---------------84
झालावाड़---------------84
चित्तौड़गढ़--------------84
सवाईमाधोपुर----------84
झुंझुनूं-------------------83
बाड़मेर-कोटपूतली-----82
बूंदी-अलवर-बालोतरा-डीग-81 प्रतिशत
अजमेर------------------80
भीलवाड़ा----------------79
पाली---------------------78
टोंक-चूरू-दौरा-जयपुर सिटी---76
डीडवाना-कुचामन-फलौदी--75
भरतपुर-नागौर-धौलपुर------74
ब्यावर------------------73
जैसलमेर-कोटा-जयपुर ग्रामीण-72 प्रतिशत
सीकर-उदयपुर-66
आबकारी विभाग में अप्रैल और मई के दौरान लक्ष्य के मुकाबले 84 प्रतिशत राजस्व की प्राप्ति की है. इसमें भी कई जिले पिछड़ गए. जयपुर शहर की स्थिति और नीचे चली गई. प्रतापगढ़ 130 प्रतिशत वसूली के साथ पहले नंबर पर है. डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालौर और कोटपूतली-बहरोड़ टाप फाइव में शामिल है. जयपुर ग्रामीण 30वें स्थान पर और जयपुर शहर 77 प्रतिशत के साथ 35वें स्थान पर है. दो माह की वसूली में कोटा प्रदेशभर में सबसे पिछड़ गया. कोटा में मात्र 62 प्रतिशत वसूली की गई.