Rajasthan News: रबी सीजन में बुवाई के आंकड़े में पीछे रह गए किसान, पिछले सीजन में टारगेट की 95.18 प्रतिशत हुई थी बुवाई

जयपुर: रबी सीजन की बुवाई के दौरान किसानों को उम्मीद थी कि इस बार बुवाई का आंकड़ा बढ़ेगा, लेकिन किसान पिछले साल से पीछे रह गए. बुवाई में पिछड़ने के दो बड़े कारण माने जा रहे हैं. पहला कारण तो अगस्त 2023 के दौरान मानसून की बेरुखी रही, जिसके चलते किसानों की जमीन में नमी नहीं आ सकी. दूसरा बड़ा कारण विधानसभा चुनाव रहा. किसानों ने चुनाव के बाद बुवाई पर जोर दिया, लेकिन रबी के पीछले सीजन से आगे नहीं निकल सके. बड़ी बात यह रही कि इस बार गेहूं की बुवाई में किसान पीछे रह गए. 

पिछले सीजन में बुवाई के कुल आंकड़े में से प्राप्त लक्ष्य (प्रतिशत में) 
गेहूं-----------98.60 
जौ------------123.72
चना-----------110.52
सरसों---------84.62
तारामीरा-----93.88
कुल बुवाई क्षेत्र-95.18

इस सीजन में बुवाई के कुल आंकड़े में से प्राप्त लक्ष्य (प्रतिशत में) 
गेहूं-----------92.31
जौ------------126.16
चना-----------92.11
सरसों---------88.30
तारामीरा-----41.94
कुल बुवाई क्षेत्र-92.73

आंकडो़ं की बात करें तो रबी सीजन के दौरान पिछले साल के मुकाबले कुछ फसलों की बुवाई का क्षेत्र घटा दिया गया. सबसे बड़ा असर सरसों पर पड़ा. पिछले रबी सीजन में सरसों की बुवाई का आंकड़ा 45 लाख 52 हजार हैक्टेयर था, जो इस सीजन में 41 लाख ही रह गया. यानि पिछले सीजन से 4 लाख हैक्टेयर में बुवाई कम होनी थी. इसीलिए इस साल सरसों की बुवाई का आंकड़ा ज्यादा रहा, लेकिन कुल बुवाई क्षेत्र कम रहा. चने की बात करें तो पिछले सीजन के मुकाबले 18.41 प्रतिशत बुवाई कम हुई है. उधर, तारामीरा ने तो पीछे रहने का रेकार्ड ही तोड़ दिया. पिछले रबी सीजन में तारामीरा 93.88 प्रतिशत रहा था, जबकि इस सीजन में मात्र 41.94 प्रतिशत ही रह गया. कुल बुवाई आंकड़े की बात करें तो 92.73 प्रतिशत रहा है, जबकि पिछले सीजन में यह 95.18 प्रतिशत था. 

रबी सीजन के दौरान विधानसभा चुनाव बड़ा मुद्दा रहा. जब तक चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, किसान ने भी पूरी तरह से बुवाई पर ध्यान नहीं दिया. चुनाव बाद किसान बुवाई में जुट गए, लेकिन पिछले साल से ज्यादा बुवाई नहीं हो सकी. किसानों का कहना है कि अगस्त में मानसून ने भी परेशान रखा. बारिश नहीं होने से खेतों में नहीं आ सकी और किसान बुवाई में लेट होता चला गया.  रबी के इस सीजन में कुल बुवाई 1 करोड़ 17 लाख 15 हजार हैक्टेयर में होने का लक्ष्य था, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1 करोड़ 16 लाख 36 हजार था.