जयपुर : प्रदेश का सबसे बड़ा एसएमएस अस्पताल में निशुल्क दवा योजना मरीजों को दर्द बढ़ा रही है. RMSCL-SMS के बीच समन्यवय की कमी के चलते मरीज दवाओं के लिए आधा दर्जन से अधिक काउंटरों पर भटकने को मजबूर है. हालात ये है कि बुजुर्ग मरीजों को "कैल्शियम" जैसी साधारण दवा के लिए पांच-पांच घंटे का इंतजार करवाया जा रहा है.
ये कोई गांव की पीएचसी या सीएचसी की तस्वीर नहीं, बल्कि सूबे के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के कुप्रबन्धन की बानगी है. हाल ही चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने मौसमी बीमारियों की समीक्षा के दौरान साफ निर्देश दिए थे कि मरीजों के लिए अस्पतालों में पर्याप्त दवाएं उपलब्घ होनी चाहिए, लेकिन शायद एसएमएस अस्पताल के जिम्मेदारों को आदेशों की कोई फिक्र नहीं है. तभी तो दवा प्रोक्योरमेंट की मुख्य एजेंसी आरएमएससीएल की तरफ से अनुलब्ध जरूरी दवाओं का रेंट कांट्रेक्ट अभी तक नहीं हो पाया है. ऐसे में हालात ये है कि चिकित्सक को दिखाने के बाद गरीब मरीज,बुजुर्ग दवाओं के लिए इधर से उधर धक्के खाने को मजबूर है.
मरीजों को यूं बना रहे फुटबॉल :
- अस्पताल में चिकित्सक से परामर्श के बाद जब मरीज दवा काउंटरों पर पहुंचते है तो कुछ दवाएं थमाकर अनुपलब्ध दवाओं के लिए निर्धारित 10 और 11 नम्बर काउंटर पर भेजा जाता है
- यहां लम्बी लाइन में लगने के बाद जब नम्बर आता है तो आईडी की दो फोटोकॉपी मांगी जाती है, जिसे लाने के बाद उसे फिर लाइन में लगना पड़ता है
- इसके बाद जब नम्बर आता है तो उसके दस्तावेज लेकर पीओ बनाया जाता है, जिसमें मरीज को चार से पांच घंटे बाद निजी दुकान से दवा खरीदकर उपलब्घ करवाई जाती है.
- इस पूरी प्रक्रिया में 200 से अधिक जरूरी दवाएं है, जिसके लिए गंभीर श्रेणी के मरीजों को घंटों इंतजार करवाया जा रहा है.
आखिर किस स्तर पर चूक
आरएमएससीएल : राजस्थान में दवाओं की सप्लाई का मुख्य काम राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉपोरेशन लिमिटेड का है. पिछले दिनों में कॉपोरेशन में कई तरह के विवाद सामने आया, जिसके चलते काफी दवाओं के टेण्डर फाइनल ही नहीं किए गए. नतीजन फिलहाल आवश्यक दवा सूची में शामिल 1822 दवाओं में से करीब 300 से अधिक दवाएं आपूर्ति में नहीं आ रही है या फिर जितनी जरूरत है उतनी नहीं मिल रही है.
एसएमएस अस्पताल : मरीजों को दवा उपलब्ध कराने के प्रति चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर काफी गंभीर है. पिछले दिनों ही उन्होंने साफ निर्देश दिए थे कि मौसमी बीमारियों का सीजन शुरू होने वाला है. ऐसे में जो दवाएं आरएमएससीएल की सप्लाई में नहीं आ रही है, उन्हें खरीदने के लिए अस्पताल खुद के स्तर पर रेट कांट्रेक्ट करें. बावजूद इसके एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने समय पर रेट कांट्रेक्ट ही नहीं किया. अब जैसे ही दवाएं शॉर्ट हुई तो लोकल परर्चेज के नाम पर महंगी दर पर दवाएं खरीदना शुरू कर दिया. जबकि यदि अस्पताल दवाओं का रेंट कांट्रेक्ट कर लेता तो सस्ती दर पर दवाएं उपलब्ध होती. इसके साथ ही मरीजों को एक ही काउंटर पर दवा तत्काल उपलब्ध हो सकती थी.