जयपुर : सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में दो वर्ष की छूट मिलने से सचिवालय कर्मचारी संघ की बड़ी जीत हुई है. इससे अब सचिवालय ही नहीं, अन्य सेवाओं के सरकारी कर्मियों की डीपीसी बैठकें होकर पदोन्नति का रास्ता खुल जाएगा. वहीं सचिवालय में दो संवर्गों के डीएस पद पर प्रमोशन के लिए 16-10 के अनुपात को लेकर टकराव और संघर्ष अभी जारी है.
सचिवालय ही नहीं, प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई. दरअसल सचिवालय कर्मचारी संघ ने अलग-अलग सरकारी सेवाओं में प्रमोशन के लिए दो वर्ष की छूट की मांग की और इसके लिए प्रदर्शन भी किया और अब ये प्रयास रंग लाए.
क्या थी प्रमुख बाधा ?
प्रमोशन में दो वर्ष की छूट को लेकर आम सहमति तो थी,लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यह थी कि जिन्होंने छूट लेकर पूर्व के पदों में पदोन्नति पा ली है उन्हें यह छूट दी जाए या नहीं,इसे लेकर खासी बहस छिड़ गई थी.
ऐसे में सचिवालय कर्मचारी संघ अध्यक्ष बुद्धिप्रकाश शर्मा,अधिकारी सेवा संघ अध्यक्ष दलजीत सिंह और सहायक कर्मचारी संघ ने यह प्रस्ताव रखा कि जिन्होंने पूर्व में यह छूट पा ली है उन्हें छोड़कर प्रमोशन में दो साल की छूट दी जाए.
बड़े संघर्ष के बाद आखिरकार सचिवालय फोरम के प्रतिनिधि समझाने में सफल रहे और आखिरकार 24 जून को मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव का पत्रावली पर अनुमोदन कर दिया.
दो संवर्गों को लेकर फॉर्मूला
दरअसल जो सचिवालय अधिकारियों का पीए/पीएस संघ के साथ विरोध का कारण यह माना जाता रहा है कि सचिवालय की पूरी सेवा को आवंटित पदों में से काफी बड़ा हिस्सा पीए/पीएस कैडर को मिल जाता है.
ऐसे में अब 13-10 के अनुपात के बजाय 16-10 के अनुपात में पद आवंटन के फॉर्मूले पर मोटे तौर पर सहमति बनने की बात कही जा रही है और इसे लेकर प्रस्ताव विचाराधीन है.
इसके बाद भी आदेश जारी नहीं होने और मुद्दा अटकने से आशंकाएं उभर रहीं हैं.
क्या होगा फॉर्मूला लागू होने पर ?
फॉर्मूला लागू होने पर सचिवालय सेवा को आवंटित कुल पदों में से 16-10 का अनुपात रहेगा यानि सचिवालय के मूल अधिकारियों व कर्मचारियों का संवर्ग है उसे और ज्यादा पद मिलेंगे.
इससे इस संवर्ग के पदोन्नति के रास्ते खुलेंगे
कैडर पृथक्करण से क्या हो सकता है नुकसान ?
सचिवालय के कर्मचारी और अधिकारी व पीए/पीएस दोनों ही आधारस्तंभ हैं.
दोनों को अलग-अलग करने से दोनों ही कैडरों के लिए सरकार को भविष्य में अलग-अलग स्वतंत्र रूप से पद आवंटित करने होंगे.
इससे दोनों ही कैडरों में पहले से ज्यादा पद मिलने की संभावना है. खास तौर पर इसका फायदा सचिवालय के अधिकारी वर्ग को होने का इसलिए है कि उनके लिए जो पद मिलेंगे वे पीए/पीएस संघ में बंटेंगे नहीं.
दो वर्ष की छूट का मसला सुलझने के बाद अब सचिवालय कर्मचारी संघ के चुनाव भी जल्द होने के आसार हैं.